पुजा मुहूर्त – सही समय का चयन कैसे करें
जब पुजा मुहूर्त को समझते हैं, तो यह सिर्फ एक समय नहीं, बल्कि ग्रहों की स्थिति के आधार पर धर्मिक कार्यों के लिए सबसे अनुकूल क्षण है। इसे शुभ समय भी कहा जाता है, जिससे मन की शांति और ऊर्जा का बेहतर प्रवाह मिलता है। इसी संदर्भ में ज्योतिष, ग्रहों‑नक्षत्रों के प्रभाव को पढ़ने की विद्या और पंचांग, तिथि‑समय‑नक्षत्र की विस्तृत तालिका दो मुख्य सहायक उपकरण बनते हैं। इन तीनों के बीच आपसी संबंध कारगर होता है: पुजा मुहूर्त समय निर्धारण में ज्योतिष के डेटा पर भरोसा करता है, और पंचांग के अल्गोरिद्म उसे सटीक बनाते हैं।
पहला महत्वपूर्ण संबंध यह है कि अष्टकविचार, आठ प्रमुख ज्योतिषीय सिद्धांत प्रतिव्यक्तियों को निर्धारित करता है कि कौन से ग्रह शुभ या अशुभ माने जाते हैं। यदि किसी दिन में बुध या शुक्र गति क्रमशः उत्तरायण में हों, तो वह दिन पूजा के लिये अधिक अनुकूल माना जाता है। दूसरी ओर, राहु‑केतु, छाया ग्रहों के असर को ध्यान में रखने वाला सिद्धांत कभी‑कभी समय को बाधित कर सकते हैं। इसलिए, मुहूर्त चुनते समय हमें इन दो प्रमुख सिद्धांतों को एक साथ देखना चाहिए। यह सरल नियम बज़ी ट्रैक‑ट्रेस जैसा है: एक पक्ष में ग्रहों की गति, दूसरे पक्ष में नक्षत्र‑पद्धति, और बीच में मुहूर्त का मिलन।
दूसरा संबंध भविष्यवाणी और व्यावहारिक उपयोग के बीच बनता है। कई लोगों को लगता है कि मुहूर्त निकालना केवल धार्मिक अनुष्ठान के लिये है, पर वास्तविकता में यह दैनिक कार्यों, व्यापार‑उद्यम या परीक्षा‑तैयारी में भी लागू हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, जब आप विवाह मुहूर्त, शादी के लिये अनुकूल तिथि‑समय चुनते हैं, तो आप वही सिद्धांत लागू करते हैं जो पूजा के लिये उपयोग होते हैं। इसी तरह, किसी नई प्रोजेक्ट की शुरुआत में शुभ शुरुआत, किसी काम की शुभारंभिक तिथि को देखना, सफलता की संभावनाओं को बढ़ाता है। इस प्रकार, मुहूर्त का दायरा धार्मिक से बाहर निकल कर जीवन के हर पहलू में फैला है।
पुजा मुहूर्त तय करने की आसान विधि
सबसे पहले, अपने स्थान के अनुसार स्थानीय पंचांग, जिसमें तिथि‑समय‑नक्षत्र आपके क्षेत्र के लिये अनुकूल होते हैं देखें। फिर, उस दिन के वैदिक अष्टकविचार को पढ़ें और देखें कि कौन से ग्रह शुभ हैं। अगर शुक्र या बुध के लाभकारी पहलू सक्रिय हों, तो वो दिन पूजा के लिये मजबूत समर्थन देता है। अगला कदम है काला समय, दिन के उन दो घंटे के भाग जहाँ ऊर्जा घटती मानी जाती है से बचना। आमतौर पर 12‑2 बजे और 3‑5 बजे को काला समय माना जाता है, इसलिए इन घंटों में पूजा नहीं करनी चाहिए। अंत में, एक भरोसेमंद ज्योतिषी, ग्रह‑नक्षत्र के विशेषज्ञ से परामर्श लें, ताकि आपकी व्यक्तिगत कुंडली के हिसाब से अंतिम पुष्टि मिल सके।
इन चरणों को अपनाने के बाद आप खुद को एक सटीक, विश्वसनीय मुहूर्त के साथ तैयार पाएँगे। कई बार लोग बिना चेक किए जल्दी‑बाजी में पूजा कर लेते हैं और परिणाम निराशाजनक होते हैं। लेकिन जब आप ऊपर बताए गये संबंधों—ज्योतिष, पंचांग, अष्टकविचार और काला समय—को समझते हैं, तो आप अपने कार्य में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं। यह प्रक्रिया न केवल मन की शांति देती है, बल्कि आपके इरादों को भी सुदृढ़ बनाती है।
अगले सेक्शन में हम विभिन्न विषयों पर लिखी गई लेखों की लिस्ट पेश करेंगे—जैसे कि धार्मिक अनुष्ठान, शादी के मुहूर्त, घर‑बिल्डिंग का शुभ समय, और दैनिक कार्यों के लिये सर्वोत्तम पंगतियाँ। आप यहाँ देखेंगे कि कैसे अलग‑अलग घटनाओं में वही सिद्धांत लागू होते हैं और आपका जीवन और अधिक सरल बनता है। तैयार हैं? नीचे देखिए हमारे संग्रह में कौन‑कौन से दिलचस्प लेख हैं।

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