यौन उत्पीड़न: पहचानें, रोकें, कार्रवाई करें
अगर कभी आपको या आपके आसपास किसी को असहज महसूस हुआ हो, तो यह यौन उत्पीड़न की निशानी हो सकती है। कई बार लोग इसे हल्के में लेते हैं, लेकिन असर बहुत बड़ा होता है। सबसे पहले समझिए कि उत्पीड़न सिर्फ शारीरिक नहीं, शब्दों और इशारों से भी हो सकता है।
उत्पीड़न के सामान्य संकेत
कोई अनचाहा स्पर्श, अनुचित टिप्पणी या निजी तस्वीरें शेयर करना – ये सब चेतावनी होते हैं। अगर आप लगातार बिंदु-भेद महसूस करते हैं कि किसी की बात से आपको डर लगता है, तो यह गंभीर हो सकता है। अक्सर शिकार को खुद पर सवाल उठाने लगते हैं; याद रखिए, दोष कभी भी आपके हाथ में नहीं होता।
काम या पढ़ाई के माहौल में दबाव बनाकर लिंगभेद दिखाना भी उत्पीड़न का रूप है। ऐसे मामलों में कई लोग चुप रह जाते हैं क्योंकि वे नौकरी या ग्रेड खोने से डरते हैं। लेकिन कानूनी सुरक्षा मौजूद है, इसलिए आवाज़ उठाने में देर न करें।
शिकायत कैसे दें और कौन मदद कर सकता है
सबसे पहले अपने संस्थान की शिकायत प्रक्रिया देखें – कॉलेज या कंपनी के पास अक्सर एक पीड़ित सहायता पोर्टल होता है। अगर वहाँ से समाधान नहीं मिलता, तो स्थानीय पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करें। भारत में महिला सशक्तिकरण मंत्रालय की हेल्पलाइन 1091 और 181 भी तुरंत मदद देती है।
कानून की बात करें तो भारतीय दण्ड संहिता (IPC) के सेक्शन 354 और 376 जैसे धारा यौन उत्पीड़न को दंडित करती हैं। साथ ही, कार्यस्थल पर Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 लागू है – यह नियोक्ता को सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए कहता है।
आपको अपने अधिकारों की पूरी जानकारी रखें: आप यौन उत्पीड़न के शिकार होने पर तुरंत शिकायत कर सकते हैं, न्यायालय में केस दाखिल कर सकते हैं और मुआवजा भी प्राप्त कर सकते हैं। याद रखिए, प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन आपका साहस दूसरों को भी प्रेरित करेगा।
अगर आप मानसिक रूप से थक गए हों तो भरोसेमंद दोस्तों या परिवार के सदस्य से बात करें। कई NGOs और काउंसलिंग सेंटर मुफ्त सहायता देते हैं – जैसे राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन (181) या सशक्त भारत पहल। इन संस्थाओं से मिलकर आप अपनी भावनाओं को समझ सकते हैं और आगे बढ़ने की योजना बना सकते हैं।
रोकथाम के लिए कुछ आसान कदम अपनाएँ: सार्वजनिक जगहों में सुरक्षित रास्ते चुनें, अपना मोबाइल हमेशा चार्ज रखेँ, और अगर कोई अजीब महसूस करे तो तुरंत अपने आस-पास के लोगों को सूचित करें। सोशल मीडिया पर भी निजी जानकारी साझा करने से बचें – अक्सर यही डेटा दुरुपयोग का कारण बनता है।
कंपनी या स्कूल में यदि आप एक सुरक्षित कार्यस्थल चाहते हैं, तो HR विभाग को स्पष्ट नीतियों की माँग करें और प्रशिक्षण सत्र आयोजित करवाएँ। जब सभी मिलकर इस मुद्दे को समझेंगे, तो माहौल बदलना आसान होगा।
अंत में यह याद रखें कि यौन उत्पीड़न केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक बुराई है। आपका कदम चाहे छोटा या बड़ा हो, हमेशा बदलाव की ओर ले जाता है। अगर आप या कोई और पीड़ित है, तो देर न करें – तुरंत कार्रवाई शुरू करें।
हम आशा करते हैं कि यह गाइड आपको समझने, रोकने और मदद पाने में उपयोगी रहा होगा। अपने अधिकारों को जानिए, सुरक्षित रहें, और दूसरों को भी जागरूक बनाइए।

मलयालम अभिनेता सिद्दीकी के यौन उत्पीड़न मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत की अवधि में विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम अभिनेता सिद्दीकी के यौन उत्पीड़न मामले में अग्रिम जमानत की अवधि दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। यह मामले 2016 में थिरुवनंतपुरम के होटल में एक महत्वाकांक्षी अभिनेत्री द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था। सिद्दीकी ने आरोपों को अस्वीकार करते हुए कहा है कि उन्हें 2019 से उत्पीड़न और झूठे आरोपों के लंबे कैम्पेन का शिकार बनाया गया है।
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