Sensex 138 अंक बढ़ा, Nifty गिरावट जारी – प्री‑ऑपन मार्केट में क्या चल रहा है?

प्री‑ऑपन सत्र की मुख्य चालें

शुक्रवार की प्री‑ऑपन ट्रेडिंग में BSE Sensex ने 138 अंक की बढ़त दर्ज की, जबकि NSE Nifty ने निरंतर नीचे जाने की लकीर नहीं तोड़ी। 8:05 बजे तक GIFT Nifty 24,959 पर 0.15% ऊपर था, जिससे संकेत मिला कि खुलते ही बेंचमार्क इंडेक्स में हल्की राहत मिल सकती है। पिछले दिन के डेटा से पता चलता है कि दोनों प्रमुख सूचकांक क्रमशः 0.68% और 0.66% की गिरावट के साथ निरंतर नीचे जा रहे थे, जिससे निवेशकों का मन हल्का नहीं था।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने चौथे लगातार सत्र में लगभग ₹4,995.42 करोड़ के शेयर बेचते हुए रुझान को नीचे की ओर दबाया, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 23वें सत्र में ₹5,103.01 करोड़ की खरीदारी करके कुछ समर्थन दिया। इस तनाव के बीच, कुछ बड़े स्टॉक्स की कीमतें भी नीचे ही झुकीं—TCS 2,941 पर 0.55% गिरा, Mahindra & Mahindra 3,510 पर 0.57% नीचे, ICICI Bank 1,368 पर 0.57% गिरा और Infosys 1,475 पर 0.66% की कमी दर्ज हुई।

तकनीकी विश्लेषण और आगे की संभावनाएँ

तकनीकी विश्लेषण और आगे की संभावनाएँ

निफ्टी ने हाल ही में 61.8% फिबोनाच्ची रिट्रेसमेंट स्तर 24,807 और 100‑दिन EMA 24,747 को तोड़ दिया है। यह टूटना दर्शाता है कि सुस्तावस्था जारी रहने की संभावना है। RSI का 40 के नीचे गिरना मोमेंटम की कमजोरी को दर्शाता है, जिससे आगे भी नीचे की ओर झुकाव संभावित है। यूरो स्टॉक्स की फ्यूचर कीमतें 0.6% ऊपर रहने के बावजूद, US के S&P 500 फ्यूचर एशिया सत्र में स्थिर रहे, जिससे वैश्विक बाजार की अनिश्चितता झलकी।

टैरिफ से जुड़ी नई खबरें और संभावित व्यापार नीति बदलाव ने भी बाजार के मूड को बिखेर दिया है। यूरोपीय बाजार में सकारात्मक संकेत मिलने के बावजूद, भारत में अभी भी विदेशी निवेशकों की सतत बिक्री और घरेलू संस्थागत समर्थन के बीच संतुलन बना हुआ है।

कंपनी स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण विकास भी सामने आए। REC ने पावर ट्रांसमिशन के लिए नया डिवीजन स्थापित किया, जबकि Monarch Networth Capital को SEBI ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक फंड के लिए पंजीकरण प्रदान किया। Waaree Energies ने पावर प्रोजेक्ट्स के लिये नई सब्सिडियरी बनायी, जिससे इस सेक्टर में दीर्घकालिक निवेश की संभावनाएं उजागर हुईं।

इन सब संकेतों को देखते हुए प्री‑ऑपन में कुछ स्टॉक्स ने चुनिंदा रुचि दिखायी, जहाँ ट्रेडिंग वॉल्यूम अभी भी सीमित रहा। कुल मिलाकर, भारतीय बाजार अभी भी विदेशी बिक्री के दबाव और घरेलू समर्थन के बीच तंगी से गुजर रहा है, और निफ्टी के तकनीकी संकेतकों के आधार पर आगे की गिरावट की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।