जून 6, 2025 को स्टावांगर में खेले गए नॉर्वे चेस टूर्नामेंट के अंतिम दौर में एक ऐसा मोड़ आया जिसे शतरंज के इतिहास में याद किया जाएगा। मैग्नस कार्लसन ने अपना सातवां नॉर्वे चेस खिताब जीत लिया—एक ऐसा रिकॉर्ड जिसे अब तक किसी ने नहीं बनाया। लेकिन यह जीत किसी आसान दिन का नतीजा नहीं थी। वह अपने आखिरी खेल में अर्जुन एरिगाइसी के खिलाफ लगभग हारे हुए स्थिति से बाहर निकले, एक राज़ी के साथ खिताब बचा लिया। उसी समय, डी गुकेश डॉम्मराजू—दुनिया के वर्तमान चैंपियन—फैबियानो कारूआना के हाथों एक भयानक गलती के बाद हार गए। गुकेश ने अपने आखिरी चाल में एक ऐसी गलती की जिसने उसके खिताब के सपने को धूल में मिला दिया।
अंतिम दौर का ड्रामा: एक नाटकीय वापसी
अंतिम दौर का मुकाबला बिल्कुल एक फिल्म की तरह था। कार्लसन ने 34 चालों तक एरिगाइसी के हमले में बर्बाद होते हुए अपनी जान बचाने की कोशिश की। एरिगाइसी के घोड़ों और बिशप के साथ बेहतरीन स्थिति थी। लेकिन फिर—छह चालों में—सब कुछ बदल गया। कार्लसन ने अपनी रानी की बलिदान करके एक असंभव लगने वाली धमाकेदार वापसी की। शतरंज विश्लेषक मार्क क्रोथर ने बताया: ‘कार्लसन तब तक बर्बाद लग रहे थे, फिर उन्होंने खेल को उलट दिया।’
चैस24 के ट्विटर पर तब एक वायरल पोस्ट आई: ‘अविश्वसनीय रूप से, मैग्नस अब जीत रहा है!’ जबकि ESPN की रिपोर्ट में लिखा गया: ‘स्टावांगर के दर्शकों के लिए यह एक घबराहट भरा पल था।’ लेकिन जब टाइम प्रेशर ने कार्लसन को अपने खेल को खत्म करने के लिए मजबूर कर दिया, तो वे ड्रॉ पर रुक गए। और फिर एरिगाइसी ने आर्मेगेडॉन टाई-ब्रेक में कार्लसन को हरा दिया—लेकिन यह टूर्नामेंट के लिए अब बेकार था। कार्लसन के 16 अंक बच गए।
गुकेश का दुख: एक चाल में सपना टूटा
जबकि कार्लसन अपने खेल में जीत के लिए लड़ रहे थे, उसी हॉल में गुकेश अपनी जान बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे। वे कारूआना के खिलाफ अपने खेल में एक निर्णायक गलती कर बैठे। चैस.कॉम के अनुसार, ‘गुकेश ने अपने आखिरी चाल में एक ऐसी भूल की जिसके बाद वे अपने आप को देख नहीं पाए।’
विकिपीडिया के अनुसार, ‘गुकेश ने अपने आखिरी चाल में एक बिशप को बेकार जगह रख दिया। कारूआना ने तुरंत उसके राजा पर हमला शुरू कर दिया।’ गुकेश ने खेल के बाद अपने सीट पर बैठकर आँखें बंद कर लीं। उनकी आँखों में आँखें नहीं, बल्कि असंभव की भावना थी। उन्हें टूर्नामेंट में दूसरे स्थान का मौका मिल रहा था—लेकिन एक चाल ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।
भारतीय शतरंज का इतिहास बदल रहा है
इस टूर्नामेंट में भारतीय शतरंज का एक नया अध्याय लिखा गया। ओपन सेक्शन में तीन भारतीय खिलाड़ी—गुकेश, एरिगाइसी और प्रग्गनांधा—टॉप छह में शामिल थे। एरिगाइसी ने पांचवां स्थान हासिल किया, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। वहीं, महिला सेक्शन में कोनेरू हंपी ने तीसरा स्थान लिया, और आर वैशाली ने भी टॉप छह में जगह बनाई।
यह टूर्नामेंट सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि एक संकेत था। भारत अब शतरंज के दुनिया के शीर्ष पर नहीं, बल्कि उसके बीच में खड़ा है। गुकेश की अपनी टूर्नामेंट में कार्लसन के खिलाफ जीत ने भी दुनिया को दिखाया कि भारतीय खिलाड़ी अब केवल अच्छे नहीं, बल्कि अनुभवी भी हो गए हैं।
कार्लसन: ‘यह टूर्नामेंट मेरा आखिरी शब्द नहीं है’
टूर्नामेंट के बाद कार्लसन ने एक अनूठी बात कही। ‘मैं जानता हूँ कि लोग कह रहे हैं कि मैं शतरंज छोड़ रहा हूँ। लेकिन मैं अभी भी खेलना चाहता हूँ।’ उन्होंने एक बार फिर अपने आप को दुनिया के शीर्ष पर खड़ा किया—लेकिन उनकी आवाज़ में एक नया टोन था। अब वे बस जीतने के लिए नहीं, बल्कि खेल के लिए खेल रहे हैं।
उन्होंने अपने पिछले छह खिताब 2013, 2014, 2015, 2016, 2018 और 2019 में जीते थे। इस बार वे 13 बार में सातवां खिताब जीत चुके हैं। यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे अब तक किसी ने नहीं बनाया। लेकिन यह रिकॉर्ड अब एक नया सवाल खड़ा करता है—क्या अब कोई उन्हें चुनौती दे सकता है?
नॉर्वे चेस का महत्व: क्यों यह टूर्नामेंट अलग है?
यह टूर्नामेंट सिर्फ एक शतरंज प्रतियोगिता नहीं है। यह एक नाटक है। इसके नियम अलग हैं: 100 मिनट के 40 चाल, फिर 50 मिनट के 20 चाल, और फिर 15 मिनट के बाकी खेल के साथ 30 सेकंड का इनक्रीमेंट। इसके अलावा, ड्रॉ होने पर आर्मेगेडॉन टाई-ब्रेक होता है—जहां एक खिलाड़ी को ब्लैक बेटा दिया जाता है, लेकिन उसे समय कम मिलता है। यह तकनीकी नहीं, बल्कि मानसिक युद्ध है।
इस बार टूर्नामेंट की कुल राशि 2.25 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोन (लगभग $218,000 डॉलर) थी। ओपन सेक्शन में 1.5 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोन और महिला सेक्शन में 750,000 नॉर्वेजियन क्रोन। इस टूर्नामेंट का आयोजन नॉर्वे चेस एस ने किया, जिसका मुख्यालय स्टावांगर में है।
अगला क्या होगा?
अब दुनिया की नजर वर्ल्ड चैंपियनशिप 2026 पर है। गुकेश अब अपनी चैंपियनशिप के लिए फिर से तैयार होंगे। एरिगाइसी अपने पहले ग्रैंडमास्टर टूर्नामेंट जीत के बाद अब एक नया नाम बन चुके हैं। और कार्लसन? वे अभी भी अपने खेल के बारे में सोच रहे हैं। लेकिन एक बात तय है—वे अभी भी शीर्ष पर हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कार्लसन ने नॉर्वे चेस में कितनी बार जीत हासिल की है?
मैग्नस कार्लसन ने 2013 से लेकर 2025 तक 13 बार आयोजित नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में सात बार खिताब जीता है—2013, 2014, 2015, 2016, 2018 और 2019 के बाद 2025 में यह उनका सातवां जीत है। यह रिकॉर्ड अभी तक किसी अन्य खिलाड़ी ने नहीं बनाया है।
गुकेश ने कार्लसन के खिलाफ कैसे जीत दर्ज की?
टूर्नामेंट के एक पहले दौर में, गुकेश ने कार्लसन के खिलाफ एक नाटकीय जीत हासिल की। उन्होंने 46वीं चाल में Qh6+ की थी, जिसके बाद कार्लसन ने अपने राजा को सुरक्षित नहीं कर पाया। इस जीत के बाद कार्लसन ने टेबल पर हाथ मारा और तुरंत मीडिया इंटरव्यू से बाहर हो गए।
नॉर्वे चेस का खेल कैसे अलग है?
इस टूर्नामेंट में प्रत्येक खिलाड़ी को 100 मिनट के 40 चाल, फिर 50 मिनट के 20 चाल और फिर 15 मिनट के बाकी खेल के लिए दिए जाते हैं, जिसमें हर चाल के बाद 30 सेकंड का इनक्रीमेंट जोड़ा जाता है। ड्रॉ होने पर आर्मेगेडॉन टाई-ब्रेक होता है—जहां एक खिलाड़ी को ब्लैक बेटा मिलता है लेकिन समय कम।
भारतीय खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट में कैसा प्रदर्शन किया?
भारतीय खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। ओपन सेक्शन में गुकेश (तीसरे), एरिगाइसी (पांचवें) और प्रग्गनांधा (टॉप छह में) शामिल थे। महिला सेक्शन में हंपी तीसरे और वैशाली छठे स्थान पर रहे। भारत अब शतरंज के विश्व स्तर पर एक प्रमुख शक्ति बन चुका है।
क्या गुकेश अभी भी विश्व चैंपियन हैं?
हाँ, डी गुकेश डॉम्मराजू अभी भी विश्व शतरंज चैंपियन हैं। नॉर्वे चेस एक टूर्नामेंट है, न कि विश्व चैंपियनशिप। वे अपना खिताब 2024 में जीते थे और इस टूर्नामेंट में उनका दूसरा स्थान हासिल करना उनकी शक्ति को दर्शाता है।
क्या कार्लसन अब शतरंज छोड़ देंगे?
कार्लसन ने खुद कहा है कि वे अभी भी शतरंज खेलना चाहते हैं, लेकिन अब वे अधिक चुनिंदा टूर्नामेंट ही खेलेंगे। उन्होंने कहा, ‘क्या आप अब भी क्लासिकल शतरंज खेलेंगे? नहीं, निश्चित रूप से नहीं।’ लेकिन यह उनके अंत का संकेत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है।
14 टिप्पणि
Basabendu Barman
दिसंबर 10, 2025 at 18:51 अपराह्न
ये सब फेक है। कार्लसन को नॉर्वे सरकार ने जानबूझकर जीतने का मौका दिया है। वो अमेरिकी खिलाड़ियों के खिलाफ अपनी जगह बचाना चाहते हैं। गुकेश की गलती? वो भी बनाई गई थी-एक ऐसी चाल जिसे कोई भी ग्रैंडमास्टर नहीं करता। ये सब बड़ा ब्रांडिंग नाटक है।
Krishnendu Nath
दिसंबर 11, 2025 at 06:32 पूर्वाह्न
भाई गुकेश ने जो किया वो बहुत बड़ा हुआ बस एक चाल में टूट गया लेकिन ये जो बच्चे आ रहे हैं वो अब भारत के लिए बहुत बड़ा अच्छा है एरिगाइसी ने तो अपना नाम दुनिया में लिख दिया अब देखो ये बच्चे क्या करते हैं अगले वर्ल्ड चैंपियनशिप में जरूर जीतेंगे जीतेंगे जीतेंगे
dinesh baswe
दिसंबर 12, 2025 at 04:50 पूर्वाह्न
इस टूर्नामेंट के नियमों को लेकर कई बार बहस हुई है, लेकिन आर्मेगेडॉन टाई-ब्रेक का तरीका वाकई अद्भुत है। यह खिलाड़ियों की मानसिक टिकाऊपन को टेस्ट करता है। कार्लसन ने जो वापसी की, वह एक रणनीतिक जागरूकता का उदाहरण है। गुकेश की गलती भी एक शिक्षा है-कभी भी आखिरी चाल में आत्मविश्वास नहीं बढ़ाना चाहिए।
Boobalan Govindaraj
दिसंबर 12, 2025 at 13:58 अपराह्न
गुकेश तुम अभी भी विश्व चैंपियन हो और ये टूर्नामेंट तो बस एक टूर्नामेंट है तुमने जो दिखाया वो दुनिया के लिए एक नया संदेश है कि भारत अब शतरंज के दुनिया में आगे है और तुम इसका प्रतीक हो बस थोड़ा और आत्मविश्वास रखो तुम अभी भी जीत सकते हो
mohit saxena
दिसंबर 13, 2025 at 20:47 अपराह्न
एरिगाइसी का पांचवां स्थान देखकर मुझे लगा कि भारत ने अब शतरंज का नया अध्याय शुरू कर दिया। गुकेश की गलती दुखद लगी, लेकिन उसने जो जीत की थी कार्लसन के खिलाफ, वो तो इतिहास बन गई। अब ये बच्चे जो घरों में शतरंज खेल रहे हैं, उनके लिए ये एक प्रेरणा है।
Sandeep YADUVANSHI
दिसंबर 14, 2025 at 15:58 अपराह्न
कार्लसन को सात बार जीतना आसान नहीं है, लेकिन ये सब तो बस एक टूर्नामेंट है। गुकेश अभी भी विश्व चैंपियन हैं। ये नॉर्वे चेस किसी के लिए नहीं, बल्कि कार्लसन के लिए बनाया गया एक ब्रांडिंग फैक्ट्री है। भारत के खिलाड़ियों को अपनी गलतियों पर रोना बंद करना चाहिए, बल्कि अपनी ताकत पर ध्यान देना चाहिए।
Vikram S
दिसंबर 15, 2025 at 21:43 अपराह्न
ये सब एक जाल है। कार्लसन को जीतने के लिए बहुत सारे अनुकूलन किए गए-समय का नियम, आर्मेगेडॉन का नियम, यहाँ तक कि एरिगाइसी की हार भी। गुकेश को गलती करने के लिए बाध्य किया गया। भारत के खिलाड़ियों को अब तक कुछ नहीं समझा गया। ये सब एक विश्व व्यवस्था की योजना है जो हमें नीचे रखना चाहती है।
nithin shetty
दिसंबर 16, 2025 at 19:33 अपराह्न
कार्लसन ने जो वापसी की वो वाकई अद्भुत थी, लेकिन क्या आपने देखा कि उसके बाद एरिगाइसी का आर्मेगेडॉन खेल कैसे खेला? वो तो बस एक ड्रॉ के लिए तैयार था। गुकेश की गलती एक बिशप की गलत जगह पर रखने की थी, लेकिन उसके बाद कारूआना की रानी की चाल ने सब कुछ बदल दिया। ये शतरंज का खेल है, न कि किसी की भाग्य की कहानी।
Aman kumar singh
दिसंबर 18, 2025 at 07:39 पूर्वाह्न
हमारे देश में शतरंज अब सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक संस्कृति बन गया है। गुकेश के बाद अब लाखों बच्चे घरों में शतरंज खेल रहे हैं। एरिगाइसी का नाम अब देश का गौरव है। हम अपने खिलाड़ियों को नहीं छोड़ेंगे। जब तक हमारे बच्चे शतरंज खेलेंगे, तब तक भारत का नाम दुनिया में चमकता रहेगा।
UMESH joshi
दिसंबर 18, 2025 at 22:06 अपराह्न
कार्लसन की जीत एक व्यक्तिगत विजय है, लेकिन गुकेश की हार एक सामाजिक संदेश है। हम सब अपनी जीत और हार को बहुत गहराई से लेते हैं। लेकिन शतरंज का असली अर्थ तो यह है कि हर चाल के बाद एक नया विचार जन्म लेता है। गुकेश की गलती ने उसे अपने अंदर की शक्ति देखने का मौका दिया। अब वो और भी ताकतवर हो जाएंगे।
pradeep raj
दिसंबर 20, 2025 at 02:24 पूर्वाह्न
यह टूर्नामेंट के नियमों के अंतर्गत आर्मेगेडॉन टाई-ब्रेक की गणना और उसके अंतर्गत ब्लैक बेटा के लाभ और हानि का विश्लेषण करना आवश्यक है, क्योंकि यह खिलाड़ियों की निर्णय लेने की क्षमता को तात्कालिक रूप से परखता है। कार्लसन की वापसी एक उच्च-स्तरीय मानसिक प्रतिरोध का उदाहरण है, जबकि गुकेश की गलती एक अतिरिक्त दबाव के कारण उत्पन्न हुई, जिसे उन्होंने अपने आंतरिक संघर्ष के दौरान अनदेखा कर दिया।
Vishala Vemulapadu
दिसंबर 20, 2025 at 23:50 अपराह्न
कार्लसन ने सात बार जीता? ये तो बहुत है। लेकिन गुकेश ने जो गलती की, वो तो बच्चों वाली गलती थी। बिशप को गलत जगह रख दिया? अरे भाई, ये तो शुरुआती खिलाड़ी करते हैं। विश्व चैंपियन होकर भी ऐसा? अब तो देखना होगा कि वो अगली बार क्या करते हैं।
M Ganesan
दिसंबर 21, 2025 at 01:37 पूर्वाह्न
ये सब एक धोखा है। कार्लसन को जीतने के लिए विश्व शतरंज संघ ने गुकेश को जानबूझकर हराया। भारत के खिलाड़ियों को अभी तक कोई नहीं बनने देता। एरिगाइसी का पांचवां स्थान? बस एक झूठी उपलब्धि। ये सब अमेरिका और यूरोप के लिए एक बड़ा धोखा है। हम अपने खिलाड़ियों को अभी तक नहीं छोड़ेंगे।
Ayushi Kaushik
दिसंबर 9, 2025 at 11:46 पूर्वाह्न
इस टूर्नामेंट ने भारत के शतरंज के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। गुकेश की गलती दुखद थी, लेकिन एरिगाइसी का पांचवां स्थान? वो तो एक बड़ी जीत है। हम अब सिर्फ देखने वाले नहीं, बल्कि बनाने वाले हैं। ये जो नया पीढ़ी आ रही है, उनके पास वो दृढ़ता है जो हमारे पास कभी नहीं थी।