दक्षिण अफ्रीका में नई गठबंधन सरकार का गठन
दक्षिण अफ्रीका का राजनीतिक परिदृश्य इस समय कुछ नया और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। हाल ही में हुए चुनावों में सिरिल रामाफोसा के नेतृत्व में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) ने अन्य कुछ पार्टियों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई है। इस गठबंधन में डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए), इन्काथा फ्रीडम पार्टी, पैट्रियोटिक अलायंस और गुड पार्टी शामिल हैं। यह सभी पार्टियां मिलकर 400 में से 273 सीटों पर काबिज हैं।
गठबंधन सरकार की संरचना और विशेषताएँ
इस गठबंधन सरकार के गठन के पीछे मुख्य उद्देश्य देश में स्थिरता लाना और विभिन्न वर्गों के हितों का ध्यान रखना है। हालांकि, डीए और एएनसी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं। डीए एएनसी की नीतियों के खिलाफ है जैसे कि आरक्षण नीति, न्यूनतम वेतन और सरकार द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा।
इस गठबंधन की एक और चुनौती यह है कि इसमें तीसरी और चौथी सबसे बड़ी पार्टियों, इकॉनोमिक फ्रीडम फाइटर्स (ईएफएफ) और उमखोंटो वे सिजवे पार्टी (एमके), को शामिल नहीं किया गया है। इन दोनों पार्टियों ने एक विरोधी संघ गठित किया है जिसे प्रोग्रेसिव कॉकस कहा जाता है।
प्रोग्रेसिव कॉकस और उनकी मांगें
ईएफएफ और एमके की मांगें काफी कठोर हैं। वे खदानों, जमीन और बैंकों का राष्ट्रीयकरण चाहते हैं। ईएफएफ ने विशेष रूप से बिना मुआवजे के श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों से भूमि छीनने का सुझाव दिया है। यह प्रस्ताव काफी विवादास्पद है और देश में विभाजन की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
ईएफएफ और एमके की नीतियों को लेकर दक्षिण अफ्रीका की जनता में भी मिलाजुला रुख दिखाई दे रहा है। कुछ लोग इसे आवश्यक मानते हैं तो कुछ इसके खिलाफ हैं।
सिरिल रामाफोसा और जैकब जुमा के बीच का संघर्ष
गठबंधन सरकार के सामने एक और बड़ी चुनौती है सिरिल रामाफोसा और पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के बीच का व्यक्तिगत विरोध। जैकब जुमा, जिन्होंने एएनसी के भीतर एक शक्तिशाली भूमिका निभाई थी, इस समय एक 15 महीने की जेल की सजा का सामना कर रहे हैं। यह सजा उन्हें एक भ्रष्टाचार आयोग के सामने गवाही देने से मना करने पर मिली थी।
रामाफोसा और जुमा के बीच का यह संघर्ष गठबंधन सरकार की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कैसे रामाफोसा इस व्यक्तिगत विरोध को संभालते हैं और अपनी सरकार को मजबूत रखते हैं।
गठबंधन सरकार के सामने चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालांकि, इस गठबंधन के गठन से कुछ हद तक स्थिरता की उम्मीद है, लेकिन इसमें कई निहित चुनौतियाँ भी हैं। डीए और एएनसी के बीच विचारधारात्मक मतभेदों के अलावा, ईएफएफ और एमके की मांगें भी सरकार के लिए चिंताजनक हो सकती हैं।
आपसी सहयोग और समझौते की आवश्यकता होगी ताकि यह गठबंधन सफल हो सके। देश में शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए रामाफोसा को अपने नेतृत्व क्षमताओं का पूरा उपयोग करना होगा। साथ ही, सरकारी नीतियों को इस तरह से लागू करना होगा कि सभी वर्गों के लोग इससे लाभान्वित हो सकें।
सभी विविधताओं और चुनौतियों के बावजूद, यदि यह गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने और महत्वपूर्ण सुधार लाने में सफल होती है, तो यह दक्षिण अफ्रीका के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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