झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: पहले चरण की प्रमुख विशेषताएँ
झारखंड में विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का आगाज 13 नवंबर को हुआ, जिसमें 81 में से 43 सीटों पर मतदान हो रहा है। चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे, और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। राज्य में इस बार का चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जहां हर पार्टी ने अपने मजबूत गढ़ो को बचाने और नए इलाकों में पैठ बनाने की कोशिश की है।
चुनावी मैदान और प्रमुख मैदान
इस चरण में 13.7 मिलियन पंजीकृत मतदाता 43 सीटों पर 683 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने जा रहे हैं। इनमें से 17 सामान्य सीटें हैं, जबकि 20 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए और 6 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। प्रमुख मुकाबलों में सेरीकेला, रांची, जमशेदपुर वेस्ट, जगन्नाथपुर और जमशेदपुर ईस्ट जैसी सीटें शामिल हैं। इन चुनावों में हर दल अपने-अपने एजेंडे और वादों के साथ मैदान में उतरा है।
अभियान और राजनीतिक वादे
भाजपा ने 36 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने क्रमशः 2 और 7 उम्मीदवार पेश किए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने 23, कांग्रेस ने 17 और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने 5 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।
भाजपा का प्रचार अभियान अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने और समान नागरिक संहिता को लागू करने के मुद्दों पर केंदित रहा। भाजपा ने हर महिला को हर महीने 2,100 रुपये देने और युवाओं के लिए 5 लाख रोजगार के अवसर प्रदान करने का वादा किया।
वहीं, जेएमएम के गठबंधन ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं को उजागर किया, जिसमें 'मैयान सम्मान योजना' शामिल है, और भाजपा पर वोटरों को ध्रुवीकृत करने का आरोप लगाया। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जातीय जनगणना के मुद्दे को उठाया, जिसका उत्तर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर सत्ता में आने पर जातीय जनगणना का वादा करके जनता को गुमराह करने का आरोप लगाकर दिया।
जेएमएम ने रोजगार सृजन के लिए विभाग-वार योजना जारी की और पिछली सरकार की लैंड बैंक योजना को रद्द करने का वादा किया, जिसके बदले भूमिहीनों को जमीन के अधिकार देने की बात की है। पार्टी ने छह महीने में बिना जमीन रेकॉर्ड वाले व्यक्तियों को जाति और आवासीय प्रमाणपत्र जारी करने का प्रस्ताव भी दिया है।
कांग्रेस का घोषणा पत्र और अन्य घटनाक्रम
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अगले पांच वर्षों में 10 लाख सरकारी नौकरियां सृजित करने और सरकारी भर्ती के लिए अयोग्य हो चुके युवाओं को 5,000 रुपये का मासिक भत्ता देने का वादा किया।
इसके अलावा, 31 विधानसभा सीटों और केरल के वायनाड लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव हो रहे हैं, जिन्हें विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए एक परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, और क्षेत्रीय दल शामिल हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव का यह चरण कई राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां हर पार्टी ने अपनी रणनीतियों को बदलते हुए चुनावी रण में अपने-अपने वादे और योजनाएं प्रस्तुत की हैं।
12 टिप्पणि
balamurugan kcetmca
नवंबर 14, 2024 at 19:15 अपराह्न
इस चुनाव में जो बातें चल रही हैं वो सिर्फ वादे नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक बदलाव की ओर इशारा हैं। जेएमएम की लैंड बैंक योजना रद्द करने का वादा, भूमिहीनों को जमीन का अधिकार देना, और छह महीने में जाति और आवासीय प्रमाणपत्र जारी करने की योजना-ये सब एक ऐसी रणनीति है जो वास्तविक जनता के साथ जुड़ती है। ये वादे बस चुनावी नारे नहीं, बल्कि एक नए सामाजिक समझौते की शुरुआत हैं। जब तक हम जमीन, रोजगार और पहचान के मुद्दों को नहीं सुलझाएंगे, तब तक कोई भी सरकार टिक नहीं पाएगी।
Arpit Jain
नवंबर 15, 2024 at 21:11 अपराह्न
कांग्रेस का 10 लाख नौकरियां वाला वादा? अरे भाई, तुम लोग तो अभी तक अपनी खुद की फाइलें भी नहीं निकाल पाए, अब 10 लाख नौकरियां देने का दावा? ये वादे तो बिल्कुल बाजार में लगे हुए फेक ऑफर्स जैसे हैं-दिखने में अच्छे, असल में झूठे।
Karan Raval
नवंबर 17, 2024 at 14:06 अपराह्न
जेएमएम की मैयान सम्मान योजना सुनकर लगा जैसे कुछ असली बदलाव आ रहा है। महिलाओं को सम्मान देने का ये तरीका बहुत अच्छा है। ये वादा बस एक शब्द नहीं, ये तो एक नए नागरिक संबंध की शुरुआत है। हमें ऐसी पार्टियों को समर्थन देना चाहिए जो वास्तविक जीवन के सवालों को सुनती हैं।
divya m.s
नवंबर 19, 2024 at 07:09 पूर्वाह्न
भाजपा के वादों को देखकर लगता है जैसे कोई बच्चे को चॉकलेट देकर शांत कर रहा हो। अवैध घुसपैठियों का मुद्दा? अरे भाई, ये तो तुम्हारी राजनीति का आधार है-डर फैलाना। तुम लोग अपने अंदर के नफरत को वोटर के दिल में घुसाना चाहते हो। ये चुनाव नहीं, ये तो एक धर्मयुद्ध है।
PRATAP SINGH
नवंबर 20, 2024 at 05:11 पूर्वाह्न
इस चुनाव में जातीय जनगणना का मुद्दा अत्यंत गौरवशाली रूप से उठाया गया है। विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से, यह एक व्यवस्थित राजनीतिक अभियान है जिसका उद्देश्य भारतीय जनता के जातीय संरचनाओं को पुनर्परिभाषित करना है। इसके विपरीत, भाजपा की एक विशिष्ट राष्ट्रीय नीति वास्तविक सामाजिक समानता की ओर एक अधिक सुसंगठित दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
Akash Kumar
नवंबर 21, 2024 at 10:56 पूर्वाह्न
झारखंड के आदिवासी समुदाय की भूमिका इस चुनाव में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के लोगों की सांस्कृतिक पहचान, भाषा और जमीनी अधिकारों का संरक्षण न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नमूना हो सकता है। यह चुनाव एक राष्ट्रीय विरासत के बचाव का मौका है।
Karan Kundra
नवंबर 23, 2024 at 00:46 पूर्वाह्न
मैयान सम्मान योजना सुनकर लगा जैसे किसी ने अपनी माँ को गले लगा लिया हो। इतने सारे वादे हैं लेकिन ये एक ऐसा है जो दिल छू जाता है। बस ये बन जाए तो जीवन बदल जाएगा। इसके लिए जो भी पार्टी है, उसे वोट देना चाहिए।
Vinay Vadgama
नवंबर 24, 2024 at 11:06 पूर्वाह्न
इस चुनाव में जो योजनाएं पेश की गई हैं, वे भारत के भविष्य के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। रोजगार के अवसर, जमीनी सुधार और आरक्षण के नए दृष्टिकोण एक समावेशी समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन वादों को वास्तविकता में बदलने की आवश्यकता है।
Pushkar Goswamy
नवंबर 26, 2024 at 04:47 पूर्वाह्न
भाजपा के वादों को लेकर तो बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन असली बात ये है कि जब तक हम अपनी जमीन, अपनी भाषा और अपने आदिवासी संस्कृति को बचाएंगे, तब तक कोई भी वादा असली नहीं होगा। ये चुनाव तो बस एक नए भारत की शुरुआत है।
Abhinav Dang
नवंबर 28, 2024 at 00:06 पूर्वाह्न
10 लाख नौकरियां? 5000 रुपये भत्ता? ये सब तो बस गलत आंकड़ों का खेल है। कोई नहीं जानता कि ये पैसा कहाँ से आएगा। और जेएमएम की लैंड बैंक वाली बात? वो तो अब तक किसी ने नहीं देखी, अब तो बस वादा कर रहे हैं। भाई, असली चीज़ तो बनानी होगी, वादे नहीं।
krishna poudel
नवंबर 29, 2024 at 15:41 अपराह्न
भाजपा के वादे तो बस वोट के लिए बोले गए, जेएमएम के वादे तो असली जमीन पर आधारित हैं। अगर तुम अपनी जमीन नहीं बचाओगे तो तुम्हारी जाति, तुम्हारी भाषा, तुम्हारी पहचान सब खत्म हो जाएगी। ये चुनाव तो बस वोट नहीं, ये तो बचाव है।
vikram singh
नवंबर 14, 2024 at 05:23 पूर्वाह्न
भाजपा का वादा 2100 रुपये महीना हर महिला को? ये तो बस चुनावी नाच है भाई, असल में जब सरकार चलती है तो ये सब धूल में मिल जाता है। झारखंड में तो पहले से ही बार-बार वादे हुए हैं, अब तक किसी ने कुछ नहीं दिया। ये लोग तो वोट के लिए बोलते हैं, फिर वोट मिलते ही चुप हो जाते हैं।