बिहार कोकिला की स्वास्थ्य की चिंता
भारतीय लोक संगीत की गूंज में शारदा सिन्हा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनका संगीत सिर्फ गीत नहीं, बल्कि एक ऐसी धुन है जो हर दिल को छू जाती है। उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और मागही संगीत को एक नई पहचान दी है। उनकी आवाज की कशिश ने न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी लाखों दिलों को जीत लिया है। 72 वर्षीया शारदा सिन्हा पिछले कुछ वर्षों से रक्त कैंसर, मल्टीपल मायलोमा से संघर्ष कर रही हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है।
एम्स में भर्ती, स्थिति गंभीर
उनकी स्वास्थ्य स्थति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है और हाल ही में उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि शारदा सिन्हा वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं और उनकी स्थिति हमेशा के लिए स्थिर नहीं कही जा सकती। इसके बावजूद, डॉक्टर्स की एक टीम लगातार उनकी स्वास्थ्य पर नजर रख रही है और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का हर संभव प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री का सेवा भावना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अशांत हैं। वो शारदा सिन्हा की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और इलाज कर रही टीम से लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने शारदा सिन्हा के परिवार को किसी भी जरूरत की स्थिति में मदद का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री ने भी गायिका के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा है कि वो इस कठिन समय में उनके साथ हैं।
जीवन का सफर और सम्मान
शारदा सिन्हा को 2018 में भारत सरकार द्वारा कला और संस्कृति में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इस सम्मान से यह सिद्ध होता है कि उनकी कला का सम्मान सिर्फ उनके सुनने वालों ने ही नहीं, बल्कि हमारे देश ने भी किया है। उन्होंने हमेशा भारतीय संस्कृति और संगीत को बढ़ावा दिया है और इसे उच्चतम स्तर तक पहुंचाया है।
शारदा सिन्हा की जीवन यात्रा संगीत की दुनिया में एक प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। उनकी आवाज न केवल भावनाओं को व्यक्त करती है बल्कि एक कहानी भी कहती है, जो किसी भी श्रोता को मंत्रमुग्ध कर देने में सक्षम है। आज उनके स्वास्थ्य संकट ने उनके चाहने वालों को चिंतित कर दिया है, लेकिन उनकी आवाज का जादू और उसके पीछे छुपा संदेश कभी नहीं मिट सकता।
उनके चाहने वाले और विभिन्न संगीत प्रेमी उनकी शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। पूरे देश की दुआएं उनके साथ हैं, और सभी उनकी पुनः स्वस्थ होने और मंच पर वापसी की उम्मीद कर रहे हैं। शारदा सिन्हा ने जो संगीत और खुशी की ध्वनि फैलाई है, वह हमेशा हमारे दिलों में बनी रहेगी।
14 टिप्पणि
leo rotthier
नवंबर 6, 2024 at 20:22 अपराह्न
प्रधानमंत्री का इतना ध्यान रखना बहुत अच्छी बात है लेकिन इतने सारे लोग अभी भी बिना दवाई के रह रहे हैं जबकि एक गायिका के लिए एम्स का बेड तुरंत मिल जाता है ये देश की नाजुक स्थिति है
Anila Kathi
नवंबर 7, 2024 at 12:57 अपराह्न
मैंने उनका गीत 'बिहार की धूप' सुना था और रो पड़ी 😭 अब जब वो बीमार हैं तो हम सबको उनके लिए दुआ करनी चाहिए... और हाँ बहुत अच्छा हुआ कि PM ने इतना ध्यान दिया 💪❤️
Andalib Ansari
नवंबर 8, 2024 at 19:46 अपराह्न
कला का सच्चा मूल्य तब पता चलता है जब वो खतरे में हो। शारदा सिन्हा ने जिस तरह से भोजपुरी संगीत को जीवन दिया, वो किसी राजनीतिक वादे से कहीं ज्यादा असली है। ये देश की आत्मा है जो अभी भी गा रही है।
Pooja Shree.k
नवंबर 10, 2024 at 13:11 अपराह्न
मैं तो बस यही कहूंगी कि उनके लिए दुआ करें... दुआ करें... दुआ करें... और अगर कोई जानता है कि उनके लिए कोई दान की जरूरत है तो बताएं... बहुत जरूरी है।
Roopa Shankar
नवंबर 10, 2024 at 15:13 अपराह्न
मैंने उनके गीत से सीखा है कि दर्द को भी गाया जा सकता है। शारदा दीदी की आवाज़ ने मुझे बताया कि जीवन अगर टूट गया तो भी गीत बना सकते हैं। आप जीते रहिए, हम सब आपके साथ हैं।
PRATAP SINGH
नवंबर 11, 2024 at 21:29 अपराह्न
क्या इस तरह की गायिका के लिए एम्स का बेड दिया जा रहा है और आम आदमी को तीन महीने का इंतजार? ये व्यवस्था ही टूटी हुई है। जब तक संस्कृति के लिए अलग नियम नहीं होंगे, तब तक ये न्याय नहीं होगा।
Akash Kumar
नवंबर 13, 2024 at 17:11 अपराह्न
शारदा सिन्हा का संगीत बिहार के जीवन का अंग है। उनके गीतों में वह भाषा बसती है जो आज के शहरी युवाओं ने भूल दी है। उनकी आवाज़ एक सांस्कृतिक विरासत है।
Abhinav Dang
नवंबर 15, 2024 at 12:18 अपराह्न
मैं तो बस इतना कहूंगा कि इस तरह की कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर लाइफटाइम एक्सेस देना चाहिए। उनके लिए डॉक्टर्स, दवाएं, नर्सिंग सब कुछ फ्री में। ये बस एक अधिकार है जो उन्हें देना चाहिए।
krishna poudel
नवंबर 16, 2024 at 23:35 अपराह्न
अरे भाई ये तो बहुत बड़ी बात है! जब तक शारदा दीदी नहीं गाएंगी तब तक भोजपुरी संगीत मर जाएगा! अब तो हमें बाहर जाकर उनके लिए जुलूस निकालना चाहिए! ये नहीं हो सकता कि एक इतिहास चला जाए!
vasanth kumar
नवंबर 17, 2024 at 23:03 अपराह्न
उनकी आवाज़ ने मुझे गाँव की धूल और नदी के किनारे की याद दिलाई। जब भी उनका गीत बजता है, मैं बचपन के उस घर की तरफ जाता हूँ... जहाँ दादी रोटी बनाते हुए गाती थीं।
Vasudev Singh
नवंबर 19, 2024 at 05:34 पूर्वाह्न
मैं एक छोटे शहर से हूँ, जहाँ अभी भी लोग शारदा सिन्हा के गीत सुनकर अपनी बेटियों को गाना सिखाते हैं। उनका संगीत केवल धुन नहीं, ये एक पारंपरिक शिक्षा है। अगर वो चली गईं तो हम उनके गीतों को बचाने के लिए एक डिजिटल आर्काइव बनाने की जरूरत है। ये बस एक विचार है, लेकिन इतना जरूरी है।
Akshay Srivastava
नवंबर 20, 2024 at 02:28 पूर्वाह्न
इस देश में कलाकारों के लिए स्वास्थ्य बीमा का अभाव है। शारदा सिन्हा की स्थिति एक आंकड़ा नहीं, ये एक अपराध है। एक ऐसी व्यक्तित्व को जिसने राष्ट्रीय सम्मान पाया, उसे बेस्ट केयर देना न्याय है, न कि कृपा।
Amar Khan
नवंबर 20, 2024 at 14:02 अपराह्न
मैंने उनका गीत सुना था जब मेरी बहन बीमार थी... वो उस गीत को सुनकर रो रही थी... और अब वो चली गई... और अब शारदा दीदी भी... ये दुनिया कितनी क्रूर है।
Aashish Goel
नवंबर 6, 2024 at 08:35 पूर्वाह्न
ये बात सुनकर दिल टूट गया... शारदा दीदी की आवाज़ तो मेरे बचपन की यादें हैं। घर में हर रोज़ उनके गीत बजते थे, अब उनकी आवाज़ सुनने का मौका नहीं मिल रहा? 😔