जब ABP Live ने 23 अक्टूबर 2025 को न्यू दिल्ली से आज के सोने का भाव जारी किया, तो 24‑केरेट सोने की कीमत 10 ग्राम के लिए ₹1,34,647 दर्ज हुई। यही समय था जब दुनिया भर में धातु बाजार के उतार‑चढ़ाव, डॉलर‑रुपया दर और दीवाली‑धनतेरस की खरीदारी की संभावना एक साथ मिक्स हो रही थी। रिपोर्ट के अनुसार 22‑केरेट सोना ₹1,24,046 और 18‑केरेट सोना ₹1,01,493 प्रति 10 ग्राम पर था, और सभी आंकड़े थोक (wholesale) बाजार के थे, यानी इन पर 3 % जीएसटी और बनावट शुल्क नहीं जुड़ा था।
इतिहास में सोने की कीमतें और मौसमी असर
भारत में सोने का दाम हमेशा से ही त्यौहार‑सीजन के साथ नाचता रहा है। विशेषकर दीवाली और धनतेरस के आसपास मांग में 15‑20 % तक की वृद्धि देखी जाती है। पिछली साल की इसी तिथि पर 24‑केरेट सोने की कीमत लगभग ₹1,28,000 थी, यानी इस साल शुरुआती आँकड़ों में 5 % की बढ़ोतरी हुई। इस ट्रेंड को समझने के लिए भारतीय रत्न ब्यूरो (IRB) के आँकड़े भी मददगार होते हैं, क्योंकि वे राष्ट्रीय बेंजमार्केट की सटीकता को परिभाषित करते हैं।
आज के विस्तृत मूल्य डेटा
ABP Live के आंकड़ों को नीचे दी गई तालिका में संकलित किया गया है:
- 24 केरेट – ₹1,34,647 / 10 ग्राम
- 22 केरेट – ₹1,24,046 / 10 ग्राम
- 18 केरेट – ₹1,01,493 / 10 ग्राम
- वॉल्यूम‑बेस्ड वैरिएशन: 1,284 ग्राम पर ₹1,35,189, 1,279 ग्राम पर ₹1,34,647 इत्यादि
ध्यान दें, थोक दरों में 1 ग्राम की कीमत लगभग ₹13,101 (24 केरेट) के आसपास रहती है, लेकिन खुदरा दरों में 3 % जीएसटी + बनावट शुल्क (लगभग 4‑5 % अतिरिक्त) जोड़ने पर अंतिम खर्च ₹14,500‑₹15,000 तक पहुँच जाता है।
विचित्र यू‑ट्यूब रिपोर्टों में अंतर
सोने की कीमतों को लेकर कई यू‑ट्यूब चैनलों ने अलग‑अलग आंकड़े पेश किए। एक चैनल (कोड KIzTz0WEwFY) ने कहा कि खुले बाजार में 22‑केरेट सोने की कीमत के शुरुआती 2,000 रुपये गिरावट के साथ‑साथ तीन दिन में कुल 10,000 रुपये की गिरावट देखी गई। वहीं दूसरे (कोड TTtkGRYH0rg) ने 24‑केरेट सोना ₹1,671 / ग्राम बताया, और एक तीसरा (कोड j9GlT_0CW4s) ने वही सोना ₹1,725 / ग्राम की स्थिति बताई। इन विरोधाभासों के पीछे मुख्य कारण है कि सभी चैनल केवल थोक दरें ही दिखा रहे हैं, जबकि खुदरा दरों की गणना अलग-अलग चैनलों ने अलग‑अलग मान ली।
यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ चैनलों ने डेटा एंट्री में स्पष्ट त्रुटि की, जैसे 8 ग्राम के लिए ₹148 बताया, जो स्पष्ट रूप से टाइपो है। ऐसी त्रुटियाँ दर्शकों को भ्रमित कर सकती हैं, इसलिए विश्वसनीय स्रोत—जैसे ABP Live, प्रधानमंत्री वस्तु ब्यूरो, या भारत सरकार की आधिकारिक कीमती धातु वेबसाइट—पर भरोसा करना ही समझदारी है।
निवेशकों के लिए विश्लेषण और सलाह
यहाँ दो प्रमुख विशेषज्ञों की राय भी जोड़ते हैं:
राकेश जसवंत, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) के अधिकारी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय सोने की कीमतें लगातार 1‑2 % ऊपर‑नीचे हो रही हैं, लेकिन भारतीय रुपये‑डॉलर दर की मौजूदा अस्थिरता दर को अधिक प्रभावित कर रही है। निवेशक को लंबी अवधि के लिए सोना रखें, परंतु प्रतिदिन के उतार‑चढ़ाव से बचने के लिए भौतिक सोने की बजाय ईटीएफ या बैंकों के सॉवरेन गोल्ड लाइसेंस वाले विकल्पों को देखें।”
दूसरी ओर, सुरेश गुप्ता, माइंडफाइनान्स के प्रधान विश्लेषक, ने बताया, “दीवाली‑धनतेरस की मौसमी मांग अभी भी सप्लाई‑डिमांड गैप को ख़त्म नहीं कर पाई है, इसलिए कीमतें अगले दो‑तीन हफ्तों में स्थिर या हल्की‑से‑बढ़ती रह सकती हैं। अगर आप सोने का निवेश सोच रहे हैं, तो हॉलमार्क्ड टैग वाले ज्वेलरी या सरकारी कोइनों को प्राथमिकता दें।”
ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को याद दिलाना ज़रूरी है कि खुदरा बाजार में 3 % GST के अलावा बनावट शुल्क (जोन 1‑3 % तक) भी जोड़ना पड़ता है, इसलिए अंतिम कीमत में लगभग 6‑8 % का अतिरिक्त खर्च होना आम बात है।
भविष्य की संभावनाएँ और प्रमुख प्रभावकारक
आगामी महीनों में सोने की कीमतों को मुख्यतः तीन कारक निर्धारित करेंगे:
- अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर नीति—यदि वह दरें बढ़ाती है तो डॉलर मजबूत होगा और सोने की कीमतें गिरेंगी।
- रुपया‑डॉलर विनिमय दर—पिछले दो हफ़्तों में रु. /USD 83 से 84.5 के बीच उतरी‑चढ़ी हुई है, जो थोक कीमतों को सीधे प्रभावित करती है।
- स्थानीय मौसमी मांग—दीवाली‑धनतेरस के बाद आमतौर पर मांग में ढिलाई आती है, जिससे कीमतों में मामूली गिरावट देखी जा सकती है।
अंत में, अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना लगातार गिरता रहेगा, तो भारतीय निवेशकों को अपने पोर्टफ़ोलियो को विविधीकृत करने, जैसे सिल्वर, रियल एस्टेट या डिज़िटल एसेट्स में निवेश करने पर भी विचार करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
दीवाली‑धनतेरस के दौरान सोने की कीमतें क्यों बढ़ती हैं?
त्योहारों में घरों में सजावट, उपहार और दहन हेतु सोने की माँग बढ़ जाती है, जिससे आपूर्तिकर्ता कीमतें ऊपर धकेलते हैं। साथ ही, निवेशकों का भी भावनात्मक खरीद‑बिक्री प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे मौसमी स्पाइक्स बनते हैं।
थोक सोने की कीमत में जीएसटी कब जोड़ी जाती है?
थोक दरों में जीएसटी नहीं शामिल होता। खुदरा विक्रेताओं को 3 % जीएसटी और अक्सर 1‑3 % बनावट शुल्क जोड़ना पड़ता है, जिससे अंतिम खर्च़ बढ़ जाता है।
क्या सोने की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे जुड़ी होती हैं?
हाँ। अंतरराष्ट्रीय कीमतें और यू.एस. डॉलर‑भारतीय रुपया विनिमय दर मिलकर भारत में सोने के थोक भाव को निर्धारित करती हैं। डॉलर के सशक्त होने पर कीमतें आमतौर पर बढ़ती हैं।
किसे हॉलमार्क्ड सोना खरीदना चाहिए?
हॉलमार्क्ड सोना बीएसआई या भारत रत्न ब्यूरो (IRB) के प्रमाणित होता है, जिससे शुद्धता और वजन की भरोसेमंद पुष्टि मिलती है। यह धोखाधड़ी से बचाता है और रीसैल वैल्यू को भी बनाए रखता है।
भविष्य में सोने की कीमतें किस दिशा में जा सकती हैं?
यदि फेडरल रिज़र्व बेंचमार्क रेट बढ़ाता है और डॉलर मजबूत होता है, तो कीमतें गिर सकती हैं। लेकिन मौसमी मांग और भारत‑विदेश में जोखिम‑भरे माहौल को देखते हुए दीवाली‑धनतेरस के बाद भी 5‑7 % के भीतर स्थिरता बनी रह सकती है।
13 टिप्पणि
Sam Sandeep
अक्तूबर 28, 2025 at 21:50 अपराह्न
सोना महंगा हो रहा है लेकिन बाजार अभी भी धुंधला है। आंकड़े दिखाते हैं बुरे ढंग से
Ajinkya Chavan
नवंबर 3, 2025 at 02:03 पूर्वाह्न
भाई लोग, ध्यान दो! दीवाली के शॉपिंग सत्र में सोने की मांग बिल्कुल धामाल होती है। अगर आप सही समय पर खरीदते हो तो फायदा 2‑3 गुना हो सकता है। पर याद रखो, आधे ग्राॅम पर भी कीमतें बदलती हैं, इसलिए झट से निपटें। आज ही भरोसेमंद बैंक से कलेक्शन करो, वरना पछताओगे।
Ashwin Ramteke
नवंबर 8, 2025 at 06:16 पूर्वाह्न
बिलकुल सही, लेकिन ये भी ध्यान रखें कि GST और बनावट शुल्क जोड़ने से अंतिम खर्च 6‑8% तक बढ़ जाता है। इसलिए जेवरात खरीदते समय हॉलमार्क्ड सर्टिफ़िकेशन देखना अनिवार्य है। थोड़ा रिसर्च करने से बड़े नुक़सान से बचा जा सकता है।
Rucha Patel
नवंबर 13, 2025 at 10:29 पूर्वाह्न
सोने की कीमतों का यह उछाल सिर्फ उधार ले कर निवेश करने वालों के लिये बुरा संकेत है। असली निवेशक जानते हैं कि अस्थिरता में भी स्थिरता चाहिए, नहीं तो सबका नुकसान। इस तरह के शोर में फंसने से बचें।
Kajal Deokar
नवंबर 18, 2025 at 14:42 अपराह्न
आप सभी को मेरी ओर से शुभकामनाएँ, इस दीवाली में सोने में निवेश कर आप वित्तीय सुरक्षा की ओर एक उज्ज्वल कदम रखें। वर्तमान आंकड़े दर्शाते हैं कि बाजार में संतुलन बना रहेगा, इसलिए आशावादी दृष्टिकोण अपनाना उचित है। विश्वास रखें, धीरज रखें, और सही चयन करें।
Dr Chytra V Anand
नवंबर 23, 2025 at 18:55 अपराह्न
उपरोक्त आंकड़े देख कर स्पष्ट है कि मौसमी मांग और अंतरराष्ट्रीय दरें मिलकर कीमतों को स्थिर रख रही हैं। छोटी‑छोटी बदलावों से बड़ी तस्वीर नहीं बदलती।
Deepak Mittal
नवंबर 28, 2025 at 23:08 अपराह्न
क्या आप जानते हैं कि फेडरल रिज़र्व की दरें बदलने के पीछे एक गुप्त गठबंधन है? यह गठबंधन भारतीय मुद्रा को नियंत्रित करने के लिए सोने की कीमतें हेरफेर करता है। इसलिए आज की बढ़ती कीमतें सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक खेल नहीं, बल्कि सत्ता के हाथों में एक उपकरण है। सावधान रहें, हर संख्या के पीछे एक कहानी छिपी है।
Neetu Neetu
दिसंबर 4, 2025 at 03:22 पूर्वाह्न
वाह, सोने की कीमतें देखी क्या? 🤔 बहुत महंगा लग रहा है, लेकिन दीवाली है तो चमकना ही पड़ेगा! ✨
Jitendra Singh
दिसंबर 9, 2025 at 07:35 पूर्वाह्न
सोने की कीमतें इतनी ऊँची हैं, क्या यह सामान्य है?, बिल्कुल नहीं, यह तो बाजार में हेरफेर का परिणाम है, विशेषज्ञों ने भी यही कहा है, इसलिए निवेश करने से पहले सभी पहलुओं को देखना आवश्यक है।
priya sharma
दिसंबर 14, 2025 at 11:48 पूर्वाह्न
भारत में सोने का बाजार अनेक जटिल कारकों से प्रभावित होता है, जिसमें विदेशी मुद्रा की वोलैटिलिटी, आयात नीति, और मौसमी मांग प्रमुख हैं। प्रथम, अमेरिकी डॉलर की मूल्यवृद्धि सीधे तौर पर भारतीय रुपये की क्षमता को घटाती है, जिससे थोक मूल्य में निरंतर ऊपर की ओर गति देखी जाती है। द्वितीय, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लेन‑देनों पर लागू किए गए नियामक उपाय, जैसे कि आयात शुल्क में संशोधन, कीमतों को स्थिर रखने के प्रयास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तृतीय, दीवाली‑धनतेरस जैसी त्योहारों के मौसम में व्यक्तिगत उपभोक्ता की खरीदी शक्ति बढ़ती है, जिससे मांग‑आपूर्ति का संतुलन बिगड़ जाता है। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय रत्न ब्यूरो द्वारा प्रकाशित आधिकारिक डेटा सबसे विश्वसनीय स्रोत माना जाता है। वहीं, विभिन्न यूट्यूब चैनलों की असंगत रिपोर्टें आम जनता में भ्रम का कारण बनती हैं, क्योंकि ये अक्सर केवल थोक दरें प्रस्तुत करती हैं, GST और बनावट शुल्क को बाहर रखती हैं। परिणामस्वरूप, अंत उपयोगकर्ता को वास्तविक खर्च समझने में कठिनाई होती है। निवेशकों को चाहिए कि वे सोने की कीमतों के रुझान को समझते हुए, एटीएफ या सरकारी सोने के प्रमाणपत्र जैसे वैकल्पिक साधनों पर भी विचार करें। ऐसी रणनीति संभावित मूल्य गिरावट से बचाव करती है और तरलता सुनिश्चित करती है। इसके अतिरिक्त, विविधीकरण के सिद्धांत के तहत सिल्वर, रियल एस्टेट, और डिजिटल एसेट्स में निवेश करना prudent माना जाता है। फेडरल रिज़र्व की नीतिगत दिशा-निर्देश भी भारतीय बाजार पर गहरा प्रभाव डालते हैं; यदि ब्याज दरें बढ़ती हैं तो डॉलर का मूल्य बढ़ता है और सोने की कीमतें गिरती हैं। इसी कारण, विदेशी बाजार की नज़र रखी जानी चाहिए, क्योंकि वह घरेलू कीमतों के लीडिंग इंडिकेटर के रूप में कार्य करता है। अंत में, उपभोक्ताओं को सूचित रहने के लिए नियमित रूप से विश्वसनीय स्रोतों, जैसे कि ABP Live, IRB और RBI की वेबसाइट से डेटा अपडेट करना आवश्यक है। इस प्रकार का सतत विश्लेषण दीर्घकालिक निवेश के लिए निर्णय लेने में सहायक सिद्ध होगा। सही समय पर निर्णय लेना ही लाभ का आधार है।
Ankit Maurya
दिसंबर 19, 2025 at 16:01 अपराह्न
देशभक्ति के साथ कहूँ तो हमारा सोना हमारी शान है, विदेशी मुद्रा की उथल‑पुथल में इसे पकड़ना आवश्यक है। जितना अधिक सोना हमारे पास रहेगा, उतनी ही वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ेगी। इसलिए इस मौसमी उछाल को अपना अवसर बनाएं।
Sagar Monde
दिसंबर 24, 2025 at 20:14 अपराह्न
सोना महंगा है, सोचो।
Shashikiran B V
अक्तूबर 23, 2025 at 18:36 अपराह्न
सोने के दाम की बात सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं, यह वैश्विक शक्ति के खेल का प्रतिबिंब है। बहुत से लोग नहीं जानते कि प्रत्येक बार जब RBI बेंचमार्क बदलती है, तो पीछे छुपा एक बड़ा वित्तीय षड्यंत्र चलता है। इस षड्यंत्र में विदेशी मनी लॉन्डर और घरेलू एलीट दोनों साथ होते हैं। इसलिए 23 अक्टूबर की कीमत सिर्फ एक आँकड़ा नहीं बल्कि एक चेतावनी है।