रंग परम्परा: भारतीय संस्कृति में रंगों का जादू
क्या आप कभी सोचते हैं कि हमारे त्यौहारों में उतने रंग क्यों होते हैं? हर रंग का अपना मतलब, कहानी और भाव है। चाहे सावन में हल्की नीली सादगी हो या दशहरा की गर्म लालिमा, रंग सिर्फ दिखावे नहीं, बल्कि भावना का प्रतीक हैं।
त्यौहारों में रंगों की परम्परा
होलिका दहन में लाल, नारंगी, पीले रंग की भीड़ देखी जाती है। यह रंग साहस, उत्सव और बुराई पर जीत का संदेश देते हैं। रंगोली में इस्तेमाल होने वाले गुलाबी, हरा, नीला आदि रंग घर की समृद्धि और खुशहाली को दर्शाते हैं।
इसी तरह, तीज‑त्योहारी में महिलाएँ सिंदूर (लाल) को शुद्धता और विवाहित जीवन की सुरक्षा के रूप में पहनती हैं। वह भी एक रंग परम्परा है जो पीढ़ी‑दर‑पीढ़ी चली आ रही है।
शादियों में रंगों का महत्व
शादी की रीतियों में गुलाल (गुलाबी), पीला (हल्दी) और सुनहरा (स्वर्ण) रंग प्रमुख होते हैं। हल्दी के रस में सूँघी हुई पीली रंगत त्वचा को चमक देती है और शुभकामनाएँ लाती है। गुलाल का उपयोग अक्सर बहनों और दोस्तों द्वारा किया जाता है, जिससे माहौल में ख़ुशी की फुहार आती है।
आधुनिक समय में भी ये रंग परम्पराएँ बदल नहीं रहीं। शादी का सोशल मीडिया ट्रेंड भी अब इन पारंपरिक रंगों को दिखाता है, जिससे युवा वर्ग भी इनकी अहमियत को समझता है।
उद्योगों में भी रंग परम्परा का असर दिखाई देता है। कुछ उत्पाद, जैसे पारंपरिक कपड़े या सजावट, विशेष रंगों पर आधारित होते हैं। इससे न सिर्फ स्थानीय कारीगरों को समर्थन मिलता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान भी बनी रहती है।
रंग सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि एक अनुभव है। जब आप कोई त्यौहार मनाते हैं, तो रंग आपको उस माहौल में पूरी तरह डुबो देते हैं। यह छोटे‑छोटे रंगों की बातें हमें हमारे इतिहास और रीति‑रिवाज़ों से जोड़ती हैं।
तो अगली बार जब भी आप रंगीन कपड़े, मसाले या सजावट देखें, तो याद रखें कि यह सब हमारी रंग परम्परा का हिस्सा है—जो हमें एकजुट करती है और हमारी पहचान को मजबूत बनाती है।

शर्दिया नवरात्रि 2022: देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए पहनें ये 9 रंग
शर्दिया नवरात्रि 2022 में दुर्गा के नौ रूपों को सम्मानित करने के लिए प्रत्येक दिन एक विशिष्ट रंग पहना जाता है। सफेद से शुरू होकर गुलाबी तक, हर रंग का अपना आध्यात्मिक अर्थ और ऊर्जा है। यह परम्परा भक्तों को शांति, शक्ति और समृद्धि की ओर ले जाती है। रंगों की ये परम्परा भारत के विभिन्न प्रदेशों में विविध रूप में मनाई जाती है।
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