शर्दिया नवरात्रि 2022: देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए पहनें ये 9 रंग

नवरात्रि के प्रतिदिन के रंग

शर्दिया नवरात्रि 2022 26 सितंबर से 5 अक्टूबर तक चली। इस दौरान नौ दिनों में दुर्गा के अलग‑अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और हर दिन एक खास रंग पहनना रिवाज़ बन गया है। लोग मानते हैं कि सही रंग पहनने से उस दिन की देवी का आशीर्वाद मिलना आसान हो जाता है। नीचे हमने हर दिन के रंग और उनके अर्थ को आसान भाषा में बताया है।

  • दिन 1 – सफ़ेद (माँ शैलपुत्री): शुद्धता और शांति का प्रतीक। सफ़ेद रंग मन को साफ़ रखता है और नई शुरुआत में मदद करता है।
  • दिन 2 – लाल (माँ ब्रह्मचारिणी): जोश, प्रेम और शक्ति का रंग। लाल ऊर्जा बढ़ाता है और आत्मविश्वास को ऊँचा करता है।
  • दिन 3 – रॉयल ब्लू (माँ चंद्रघंटा): आध्यात्मिक शक्ति और स्थिरता का संकेत। नीला रंग शांत भावनाओं को स्थिर रखता है।
  • दिन 4 – पीला (माँ कूष्मांडा): खुशी, ऊर्जा और रचनात्मकता का रंग। पीला पहनने से मन में उमंग रहती है।
  • दिन 5 – हरा (माँ स्कंदमाता): प्रकृति, विकास और शांति का प्रतिनिधित्व करता है। हरा रंग जीवन में संतुलन लाता है।
  • दिन 6 – स्लेटी (माँ कात्यायनी): संतुलन, स्थिरता और आंतरिक शक्ति को दर्शाता है। स्लेटी रंग तनाव के बीच शांति बनाए रखता है।
  • दिन 7 – नारंगी (माँ कालरात्रि): ऊर्जा, उत्साह और गर्मजोशी का रंग। नारंगी रंग जीवन में जज़्बा भर देता है।
  • दिन 8 – मोरनी हरा (माँ महागौरी): सौंदर्य, अनुग्रह और सकारात्मकता को दर्शाता है। यह अनोखा रंग आत्मा को ऊँचा करने में मदद करता है।
  • दिन 9 – गुलाबी (माँ सिद्धिदात्री): प्रेम, दया और सर्वभौमिक प्रेम का प्रतीक। गुलाबी रंग अंत में शुद्ध भक्ति और सामंजस्य लाता है।

इन रंगों को सिर्फ कपड़े में नहीं बल्कि आभूषण, मेकअप और यहाँ तक कि घर की सजावट में भी अपनाया जाता है, जिससे पूरे माहौल में एकजुटता की भावना बनती है।

रंगों का सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व

रंगों का सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व

भारतीय सभ्यता में रंगों का प्रयोग हमेशा से खास रहा है। शर्दिया नवरात्रि में भी यह परम्परा झुकी नहीं। गुजरात की गार्बा‑डांडिया, बंगाल की दुर्गा पूजा, कर्नाटक की गोले‑पुता—इन सभी में रंगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

हर रंग का अपना आध्यात्मिक गुण माना जाता है। सफ़ेद शांति देता है, लाल साहस का संचार करता है, नीला मन को स्थिर करता है, पीला सौंदर्यबोध को जाग्रत करता है, हरा स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है, स्लेटी तनाव‑मुक्ति में सहायक है, नारंगी जीवन‑ऊर्जा बढ़ाता है, मोरनी हरा सौंदर्य‑और‑संतुलन को बढ़ाता है और गुलाबी प्रेम‑और‑करुणा को स्थापित करता है। इन गुणों को अपनाकर भक्त अपनी आत्मा को उस दिन की देवी के साथ जोड़ते हैं।

रंग पहनने से केवल पूजा ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं। कई लोग बताते हैं कि नवरात्रि के बाद उन्हें काम‑में उत्साह, स्वास्थ्य में सुधार और परिवार में शांति महसूस हुई। यही कारण है कि इस परम्परा को पीढ़ी‑दर‑पीढ़ी मान्यताप्राप्त किया गया है।

साथ ही, इस रंग‑रिवाज़ ने सामाजिक जुड़ाव भी बढ़ाया है। बाजार में तेज़ी से रंग‑भरे कपड़े बिकते हैं, मेले लगते हैं और लोग एक‑दूसरे को रंगीन पोशाक में देखकर मुस्कुराते हैं। इस तरह नवरात्रि केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी एक बड़े उत्सव में बदल जाता है।

यदि आप इस साल शर्दिया नवरात्रि मनाने का मन बना रहे हैं, तो ऊपर बताए गए रंगों में से किसी एक को चुनें और पूरे मन‑ओ‑जज़्बे से पहनें। यही तरीक़ा आप देवी दुर्गा के साथ अपने रिश्ते को और गहरा कर पाएँगे, साथ ही अपने घर और अपने अंदर एक नई ऊर्जा का संचार देखेंगे।