मार्शल लॉ: आसान शब्दों में पूरी जानकारी
आपने शायद समाचार या फिल्म में मार्शल लॉ के बारे में सुना होगा, लेकिन असली मतलब क्या है? सीधे-सीधे कहें तो यह एक ऐसा नियम है जो सरकार को आपातकाल में सामान्य कानून को सस्पेंड करके सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने की शक्ति देता है।
जब और क्यों लगती है मार्शल लॉ?
आमतौर पर तब जब देश में बड़ी हंगामा, दंगे या बाहरी आक्रमण हो. पुलिस और सेना को तेज़ी से कार्रवाई करने के लिए ये नियम लागू किया जाता है। इस दौरान कोर्ट का काम सीमित हो सकता है और कुछ मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लग सकते हैं।
भारत में मार्शल लॉ के उदाहरण
भारत ने आज़ादी के बाद से कई बार आपातकाल घोषित किया, जैसे 1975‑77 का राष्ट्रीय आपातकाल या 1962 की चीन-भाड़ा युद्ध में कुछ हिस्सों में सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार मिले। हालांकि पूरी तरह ‘मार्शल लॉ’ शब्द नहीं इस्तेमाल हुआ, लेकिन वही सिद्धांत लागू हुए थे—कानून के कुछ पहलुओं को रोकना और सुरक्षा को प्राथमिकता देना।
आजकल भी जब बड़े पैमाने पर दंगे होते हैं, जैसे 2020‑21 में कई राज्यों में सशस्त्र बलों की तैनाती देखी गई, तो लोग अक्सर पूछते हैं कि क्या यह मार्शल लॉ है? असली बात ये है कि सरकार को पहले संविधान के अनुच्छेदों के तहत आपातकाल घोषणा करनी पड़ती है, फिर ही ऐसी शक्ति मिलती है।
अगर आप मार्शल लॉ की स्थिति में हों तो कुछ आसान कदम मदद कर सकते हैं: अपने घर में सुरक्षित रहें, आधिकारिक जानकारी पर भरोसा रखें, और अनावश्यक रूप से भीड़ न बनाएं। सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलाने से बचें—वहां से पैनिक बढ़ता है।
कानूनी तौर पर, मार्शल लॉ के दौरान भी कुछ बुनियादी अधिकार जैसे जीवन का अधिकार बरकरार रहता है। अगर कोई अनुचित कार्रवाई देखी जाए तो बाद में अदालत में मुकदमा दायर किया जा सकता है। इसलिए सरकार की हर कार्रवाई को दस्तावेज़ित रखें, ताकि भविष्य में न्याय मिल सके।
आखिरकार, मार्शल लॉ का मकसद जनता की सुरक्षा है, लेकिन इसका दुरुपयोग भी संभव है। इसीलिए नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए और अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए। जब तक आपातकाल नहीं होता, आम जिंदगी में इसे लेकर डरने की ज़रूरत नहीं; बस सूचना स्रोत सही रखें और शांत रहें।
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दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ विवादों के बीच टाला महाभियोग
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपतिक यून सुक-योल ने हाल ही में मार्शल लॉ की घोषणा कर विवाद उत्पन्न कर दिया। विपक्ष द्वारा महाभियोग लगाने के प्रयास असफल सिद्ध हुए। मार्शल लॉ के तहत संसद के साथ राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर रोक लगेगी। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मानवाधिकार उल्लंघन की आशंका जताई है। कानून की वैधता पर भी सवाल खड़े हुए हैं क्योंकि यह कानूनी और संवैधानिक मापदंडों को पूरा नहीं करता।
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