शिवराज सिंह ने बायोइलेक्शन परिणाम को ‘काफी सुखद’ कहा, भाजपा ने जीती विजयपुर और बुडनी सीटें

नवम्बर 2024 में मध्यप्रदेश में दो प्रमुख बायोइलेक्शन आयोजित हुए थे, जिनमें विजयपुर (शीओपुर जिला) और बुडनी (सेहोरे जिला) सीटें शामिल थीं। दोनों क्षेत्रों में भाजपा ने मजबूत बहुमत से जीत दर्ज की, जिससे राज्य में अपनी शक्ति को और दृढ़ किया गया।

परिणाम और प्रमुख आँकड़े

विजयपुर में भाजपा के उम्मीदवार ने लगभग 55% वोट प्रतिशत हासिल किया, जबकि दूसरी जगह पर कांग्रेस को 31% से घातक हार मिली। बुडनी में भी भाजपा ने लगभग 58% वोट प्राप्त किए, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार ने 27% वोट ही जुटा सके। दोनो सीटों पर कुल मतदाता turnout 71% रहा, जो पिछले चुनावों की तुलना में थोड़ा बढ़ा।

इन जीतों के बाद राज्य में भाजपा की सीटों की गिनती 164 से बढ़कर 166 हो गई, जबकि विपक्षी दलों के पास 39 सीटें बचीं। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा, "इन बायोइलेक्शन के परिणाम काफी सुखद हैं, जो हमारी नीतियों और कार्यों की स्वीकार्यता को दर्शाते हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों में अपने आधार को कमजोर किया है।

मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति

मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति

शिवराज सिंह ने परिणामों को अपने सरकार के विकास कार्यों, खासकर ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, जल एवं कृषि योजनाओं के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह जीत आगामी विधानसभा चुनावों में भी जनता के भरोसे को कायम रखने का संकेत देती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का प्रदर्शन विशेषकर एएलएस और एनपीसी जैसी स्थानीय शक्ति समूहों के साथ गठबंधन पर आधारित था। साथ ही, कांग्रेस की दो साल पुरानी चुनावी रणनीति और उम्मीदवार चयन में खामियां भी इस हार के प्रमुख कारण हैं।

भविष्य में धारा 370 जैसी राष्ट्रीय मुद्दों पर भी भाजपा की सख्त रुख को प्रदेश में मजबूत करने का इरादा साफ़ है। भाजपा ने कहा कि वह इस ऊर्जा को आगे भी इस्तेमाल करके लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए काम करेगा।

6 टिप्पणि

Amar Khan
Amar Khan

सितंबर 27, 2025 at 20:52 अपराह्न

ये वो बात है जो हम सब जानते हैं, लेकिन कोई बोलने का हौसला नहीं करता। भाजपा ने बस गाँवों में टीवी लगा दिया, पानी का नल खोल दिया, और फिर वो वोट मिल गए। कांग्रेस तो अभी भी अपने नेताओं के फोटो लगा रहा है।

Akshay Srivastava
Akshay Srivastava

सितंबर 28, 2025 at 20:38 अपराह्न

इन परिणामों को सिर्फ विकास का नतीजा नहीं कहा जा सकता। ये एक राजनीतिक अभियान है जिसमें सामाजिक रूप से व्यापक नियंत्रण का उपयोग किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल निगरानी, आधार-आधारित लाभ वितरण, और धर्म-आधारित राजनीति का संयोजन - यही वह जटिल संरचना है जिसने वोटों को नियंत्रित किया। कांग्रेस की असफलता तो बस एक परिणाम है, न कि कारण।

Roopa Shankar
Roopa Shankar

सितंबर 30, 2025 at 07:33 पूर्वाह्न

हाँ, ये जीत बहुत अच्छी है, लेकिन इसके पीछे जो लोग हैं - वो भी याद रखना चाहिए। जिन्होंने रात भर वोटर्स को ट्रांसपोर्ट किया, जिन्होंने स्कूलों में जल के लिए अपील की, जिन्होंने बिना पैसे के घूमकर लोगों को समझाया - उनकी मेहनत का श्रेय भी देना चाहिए। ये सिर्फ नेताओं की जीत नहीं, ये आम आदमी की जीत है।

Hardik Shah
Hardik Shah

अक्तूबर 1, 2025 at 14:57 अपराह्न

अरे भाई, ये सब झूठ है। वोटर्स को भरोसा नहीं दिया गया, बल्कि डराया गया। जिन लोगों ने वोट दिया, उन्हें ये बताया गया कि अगर तुम कांग्रेस दोगे तो तुम्हारी राशन कार्ड बंद हो जाएगी। ये चुनाव नहीं, अपराध है।

shivesh mankar
shivesh mankar

अक्तूबर 2, 2025 at 17:05 अपराह्न

हम सब यहाँ अलग-अलग बातें कर रहे हैं, लेकिन एक बात साफ है - लोग बदल रहे हैं। वो अब सिर्फ नाम नहीं देख रहे, बल्कि दिन-रात बिजली, पानी, सड़क, और बच्चों के स्कूल की बात कर रहे हैं। भाजपा ने इसे समझ लिया। कांग्रेस को अब अपनी रणनीति बदलनी होगी - न कि बूढ़े नेताओं के नाम लेकर आना।

avi Abutbul
avi Abutbul

अक्तूबर 2, 2025 at 22:22 अपराह्न

मुख्यमंत्री जी की बात सही है। ये जीत उनके काम का नतीजा है। अब बाकी सब बस बहस कर रहे हैं।

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