ओडिशा की राजनीति में नया मोड़
ओडिशा की राजनीति में हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटना घटित हुई, जब सोफिया फिर्दौस नामक एक युवा और प्रभावशाली महिला ने राज्य की पहली मुस्लिम महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया। 32 वर्षीया सोफिया, पूर्व कांग्रेसी विधायक मोहम्मद मोकीम की बेटी हैं और उन्होंने अपने पिता की न्यायिक समस्याओं के चलते यह कठिनायम भरी चुनौती स्वीकार की। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओडिशा ग्रामीण आवास विकास निगम (ORHDC) के ऋण घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद, उनके पिता चुनाव नहीं लड़ सके। हालाँकि चुनौतियाँ अनेक थीं, पर सोफिया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अचानक से चुनावी मैदान में
सोफिया का राजनीतिक करियर एक अनज़ाने और अचानक मोड़ पर शुरू हुआ जब कांग्रेस पार्टी ने उनके पिता की जगह उन्हें उम्मीदवार बनाने का फैसला किया। उस समय चुनाव सिर पर थे, और उम्मीदवार की घोषणा होने के ठीक 30 दिन पहले ही सोफिया को इसका कार्यभार सौंपा गया। यह समय उनके लिए तनावपूर्ण था, पर इससे उनकी निष्ठा और काम के प्रति समर्पण का परिचय मिलता है।
पूर्व कैंपेन अनुभव ने दी मदद
हालाँकि सोफिया के राजनीतिक करियर की औपचारिक शुरुआत 2023 में हुई, पर उनके पिता के चुनाव अभियानों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही है। 2014 और 2019 में उन्होंने अपने पिता के लिए डोर-टू-डोर कैंपेनिंग और सोशल मीडिया मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस अनुभव ने उन्हें चुनाव के तनावपूर्ण माहौल में भी लगातार प्रदर्शन करने में मदद की।
कड़ी मेहनत और संसाधनों का दक्ष उपयोग
चुनाव के लिए मात्र 30 दिनों का समय एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने समय का कुशल उपयोग करते हुए प्रभावशाली ढंग से डोर-टू-डोर कैंपेनिंग का नेतृत्व किया। अपने पिता के जमीनी कार्य को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने जनता के बीच अपनी पकड़ बनाई और मतदाताओं का भरोसा प्राप्त किया। उनके संकल्प और योगदान का परिणाम यह रहा कि उन्होंने बीजेपी के पुरना चंद्र महापात्र को 8,001 वोटों के अंतर से पराजित किया।
नए दृष्टिकोण और योजनाएँ
ओडिशा विधान सभा की सबसे युवा विधायकों में से एक होने के नाते, सोफिया अपने निर्वाचन क्षेत्र की कई महत्वपूर्ण समस्याओं को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विशेष रूप से कटक में ड्रेनेज और मच्छरों की समस्या को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया है। उनकी अन्य योजनाओं में कटक को भारत की फिलीग्री कला की राजधानी बनाने का उद्देश्य है।
प्रेरणा और प्राथमिकताएँ
सोफिया अपनी राजनीतिक प्रेरणा के रूप में ओडिशा की पूर्व मुख्यमंत्री नंदिनी सत्पथी को मानती हैं। वह महिलाओं के सशक्तिकरण को अपनी प्राथमिकता की सूची में सबसे ऊपर रखती हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्र की महिलाओं की समस्याओं को सुलझाने के लिए तत्पर हैं।
राजनीतिक परिदृश्य
ओडिशा में हाल ही में हुए राज्य चुनावों में बड़ा बदलाव देखा गया। बीजेपी ने 78 सीटें प्राप्त कीं, जिससे नवीन पटनायक के 24 साल के शासन का अंत हो गया। बीजेडी को 51 सीटें और कांग्रेस को 14 सीटें मिलीं। ऐसे में सोफिया की जीत कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा संदेश लेकर आई है।
18 टिप्पणि
Srujana Oruganti
जून 11, 2024 at 12:00 अपराह्न
क्या ये सिर्फ एक फैसला था कि पिता की जगह लेने के लिए? बस इतना ही नहीं, बहुत सारे लोग इसे बस एक ट्रिक समझते हैं।
fatima mohsen
जून 13, 2024 at 05:47 पूर्वाह्न
मुस्लिम महिला विधायक? अच्छा हुआ कि ये बात अब सामने आई। लेकिन अगर ये वाकई देश के लिए काम करना चाहती हैं तो पहले अपने समुदाय की भी समस्याएं सुलझाएं।
Pranav s
जून 14, 2024 at 14:50 अपराह्न
30 दिन में कैंपेन चलाना? बस इतना ही नहीं, ये तो जादू है। कैसे किया? कोई बताएगा?
Ali Zeeshan Javed
जून 14, 2024 at 23:30 अपराह्न
सोफिया की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। राजनीति में ये नया रुख देखकर लगता है कि अब अलग अलग पिछड़े वर्गों के लोग भी आगे आ रहे हैं। इसकी बहुत बहुत बधाई।
Žééshañ Khan
जून 15, 2024 at 23:02 अपराह्न
यह उपलब्धि व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक अपेक्षाओं के विरुद्ध एक अभियान है। राजनीति के क्षेत्र में इस प्रकार की उपलब्धि का महत्व अत्यधिक है।
ritesh srivastav
जून 17, 2024 at 11:27 पूर्वाह्न
अरे ये सब बातें तो बस फेक न्यूज़ हैं। ये सब बस लोगों को भावनाओं से भटकाने के लिए बनाई गई हैं। किसी को यकीन है ये वाकई काम करेगी?
sumit dhamija
जून 18, 2024 at 08:47 पूर्वाह्न
ये लड़की बहुत अच्छी है। लेकिन अब देखना होगा कि वो वाकई क्या करती है। बस बोलने से कुछ नहीं होता।
Aditya Ingale
जून 18, 2024 at 23:19 अपराह्न
इस लड़की ने तो बस एक बार दिखा दिया कि जब दिल में आग हो तो 30 दिन भी बहुत हो जाते हैं। बीजेपी का चंद्र महापात्र तो बस एक बूढ़ा नौकर था।
Aarya Editz
जून 19, 2024 at 16:26 अपराह्न
इस कहानी में एक गहरा संदेश है - विरासत नहीं, विवेक ही नेतृत्व की असली परिभाषा है। एक व्यक्ति की शक्ति उसके पिता के नाम से नहीं, बल्कि उसके कर्मों से मापी जाती है।
Prathamesh Potnis
जून 20, 2024 at 08:42 पूर्वाह्न
यह एक अत्यंत उत्साहजनक विकास है। ओडिशा के लिए यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है जहां विविधता और समावेशन का वास्तविक उदाहरण दिया गया है।
Sita De savona
जून 21, 2024 at 23:59 अपराह्न
अरे ये तो बस एक और चुनावी नाटक है जहां लड़की को बनाया गया और फिर बाकी सब बैठे देख रहे। अब देखते हैं कि वो क्या करती है या फिर चुप हो जाती है।
Rahul Kumar
जून 22, 2024 at 08:04 पूर्वाह्न
मैं तो बस इतना कहूंगा कि इस लड़की की हिम्मत के लिए बहुत बहुत बधाई। ऐसी लड़कियां ही हमारे देश की उम्मीद हैं।
Shreya Prasad
जून 23, 2024 at 06:54 पूर्वाह्न
इस उपलब्धि को स्वीकार करना आवश्यक है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है जिसे हमें सम्मान देना चाहिए।
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
जून 24, 2024 at 17:16 अपराह्न
क्या आपने कभी सोचा है कि इस चुनाव में उसके पिता की न्यायिक समस्याएं उसके लिए एक फायदा बन गईं? क्या यह एक न्यायसंगत चुनाव था?
anil kumar
जून 25, 2024 at 11:41 पूर्वाह्न
ये लड़की ने न सिर्फ एक चुनाव जीता, बल्कि एक सोच बदल दी। अब कोई नहीं कह पाएगा कि राजनीति केवल कुछ लोगों के लिए है। ये तो जनता की आवाज़ है।
shubham jain
जून 26, 2024 at 15:50 अपराह्न
सोफिया फिर्दौस ने 8,001 वोटों से जीत दर्ज की। यह आंकड़ा औपचारिक रूप से दस्तावेजीकृत है।
shivam sharma
जून 27, 2024 at 10:05 पूर्वाह्न
मुस्लिम महिला विधायक? ये सब बस एक नए तरीके से हिंदुओं को अलग करने की कोशिश है। ये राजनीति नहीं, विभाजन है।
Nithya ramani
जून 10, 2024 at 10:46 पूर्वाह्न
इतनी छोटी उम्र में इतना बड़ा काम कर लिया... ये लड़की असली नेता है। ओडिशा को ऐसी युवा नेताओं की जरूरत है।