कन्नड़ फिल्म उद्योग के जाने-माने निर्देशक गुरु प्रसाद का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं था। 52 वर्षीय गुरु प्रसाद का शव बेंगलुरु के एक निजी अपार्टमेंट में फांसी पर लटका मिला। जब उनके आसपास के लोगों ने बदबू महसूस की, तब जाकर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर देखा कि शरीर बहुत हद तक सड़ चुका है, जिससे अनुमान लगाया गया कि यह घटना दो दिन पहले की हो सकती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुरु प्रसाद का निधन एक संदिग्ध आत्महत्या का मामला बताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस इस विषय पर गहराई से जांच कर रही है। पुलिस के एक दल ने फोरेंसिक साइंस लैब की मदद से साक्ष्य जुटाने के लिए फ्लैट की तलाशी ली है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है ताकि मौत के असली कारण का पता चल सके।
गुरु प्रसाद अपने प्रभावशाली कार्य के लिए मशहूर थे। उनकी फिल्मों, जैसे कि *मठ*, *एड्डेलु मंजुनाथ*, *डायरेक्टर'स स्पेशल*, और *एराडने साला* में गहरी सामाजिक संदेश होते थे। वह फिल्म निर्माण के साथ-साथ अभिनय में भी रुचि रखते थे और दस से अधिक फिल्मों में छोटी भूमिकाएँ निभाई थीं। उनका नाम 'कन्नड़ बिग बॉस शो' में भी शामिल रहा था, जहां उन्होंने दर्शकों के बीच अपनी अलग छाप छोड़ी थी।
बताया जा रहा है कि गुरु प्रसाद हाल ही में वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके द्वारा बनाई गई एक हालिया फिल्म जो बॉक्स ऑफिस पर असफल हुई थी, से उन्हें भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा था। इसके अलावा, उनकी पहली पत्नी के साथ वैवाहिक समस्याएं भी चल रही थीं, जिसके चलते उन्होंने पुनः शादी की थी। यह सभी समस्याएं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भार डाल रही थीं, जो काफी हद तक आत्महत्या के संभावित कारण हो सकते हैं।
पुलिस की जांच अब इस दिशा में है कि गुरु प्रसाद अपने परिवार और मित्रों के साथ किस तरह के संबंध रखते थे। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स या फोन से कोई संदिग्ध गतिविधि तो नहीं दिखती। फोरेंसिक टीम द्वारा उनके फ्लैट से मिले कागजातों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स के आधार पर अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है।
गुरु प्रसाद के निर्दशन में बने फिल्मों ने कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई थी, और उनकी सोशल मैसेज वाली फिल्में ने दर्शकों के बीच एक गहरी छाप छोड़ी थी।
गुरु प्रसाद की अचानक हुई इस दुखदाई घटना से फिल्मी जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के कई सदस्यों ने सोशल मीडिया पर अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट की हैं। हालांकि, पुलिस इस समय कोई भी आधिकारिक बयान देने से इनकार कर रही है और जांच जारी है। यह समय उनके परिवार के लिए बेहद कठिनाई भरा है, जबकि पूरे देश के लोग उनके प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट कर रहे हैं।
16 टिप्पणि
Hardik Shah
नवंबर 5, 2024 at 12:27 अपराह्न
अरे भाई, ये सब फिल्मी लोग अपनी फेल हुई फिल्मों का बोझ उठाने के लिए आत्महत्या कर लेते हैं। असली में तो ये सब बस बहाना है। अगर बिजनेस नहीं चल रहा तो और काम करो, इतना डरपोक क्यों हो जाते हो?
shivesh mankar
नवंबर 5, 2024 at 20:47 अपराह्न
मैंने उनकी फिल्म *एड्डेलु मंजुनाथ* देखी थी... उसमें जो भावनाएं थीं, वो बस दिल को छू गईं। कोई भी इतना सच नहीं बोलता आजकल। ये जो लोग अभी भी उनकी आलोचना कर रहे हैं, उन्हें शायद एक बार उनकी फिल्में देखनी चाहिए।
manisha karlupia
नवंबर 5, 2024 at 21:41 अपराह्न
कभी कभी लगता है कि हम सब बस देख रहे हैं और जी रहे हैं... लेकिन किसी के दर्द को समझने की कोशिश नहीं करते। गुरु प्रसाद के लिए ये अंत बहुत अकेला लगता है। अगर कोई उन्हें थोड़ा सा सुनता तो शायद अलग होता।
vikram singh
नवंबर 7, 2024 at 14:16 अपराह्न
ये तो बस एक बड़ा ड्रामा है जो फिल्म इंडस्ट्री के पीछे छिपा हुआ है। बॉक्स ऑफिस फ्लॉप, तनाव, तलाक, डिप्रेशन... ये सब एक बड़े सिनेमे की तरह है जिसका एंडिंग बहुत डार्क है। असली तो ये है कि हम सब इस इंडस्ट्री में एक्टर्स को ही स्टार बनाते हैं, निर्देशकों को तो बस बैकग्राउंड में भूल जाते हैं।
balamurugan kcetmca
नवंबर 8, 2024 at 20:02 अपराह्न
गुरु प्रसाद की फिल्मों में एक अलग तरह की सामाजिक सच्चाई थी, जो आजकल की फिल्मों में नहीं मिलती। वो अपनी फिल्मों के जरिए लोगों को जगाने की कोशिश करते थे, लेकिन आज के जमाने में लोग सिर्फ एक्शन, डांस और लव स्टोरी देखना चाहते हैं। इसलिए जब उनकी फिल्म फ्लॉप हुई तो वो समझ गए कि उनका आवाज़ किसी के लिए नहीं है। ये बहुत दर्दनाक है।
Arpit Jain
नवंबर 9, 2024 at 01:19 पूर्वाह्न
आत्महत्या? बस एक और फिल्मी ड्रामा। किसी ने उनके फोन में डायरी तो देखी? क्या कोई नोट मिला जिसमें लिखा हो कि 'मैं बहुत थक गया हूँ'? नहीं? तो फिर ये सब खबरें बस रिपोर्टिंग का धोखा है।
Karan Raval
नवंबर 9, 2024 at 18:19 अपराह्न
उन्होंने जितनी फिल्में बनाईं उनमें से हर एक में कुछ न कुछ सच छिपा था। उनकी आवाज़ बंद हो गई लेकिन उनकी फिल्में अभी भी बोल रही हैं। अगर हम उन्हें याद करना चाहते हैं तो उनकी फिल्में देखो और दूसरों को भी दिखाओ।
divya m.s
नवंबर 11, 2024 at 03:20 पूर्वाह्न
ये बस शुरुआत है। अगर फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें इतना तकलीफ दी तो अब कितने और गुरु प्रसाद आएंगे? ये नहीं चलेगा। ये बस एक आत्महत्या नहीं, ये एक बड़ा जिहाद है जिसे हम सब देख रहे हैं और चुप हैं।
PRATAP SINGH
नवंबर 12, 2024 at 20:39 अपराह्न
हमें इतने भावुक होने की जरूरत नहीं है। ये एक व्यक्तिगत निर्णय था। फिल्म इंडस्ट्री के लिए ये कोई बड़ी घटना नहीं है। बहुत से निर्देशक ऐसे ही गायब हो जाते हैं।
Akash Kumar
नवंबर 13, 2024 at 17:00 अपराह्न
गुरु प्रसाद के कार्य का सांस्कृतिक महत्व अतुलनीय है। उन्होंने कन्नड़ सिनेमा को एक गहराई दी जो अन्य भाषाओं के उद्योगों में अभी तक नहीं मिली है। उनकी फिल्में अब भी शिक्षार्थी और अनुसंधानकर्ताओं के लिए एक अमूल्य स्रोत हैं।
Shankar V
नवंबर 14, 2024 at 22:25 अपराह्न
ये आत्महत्या नहीं है। ये कोई फिल्म इंडस्ट्री का षड्यंत्र है। उन्हें जहर दिया गया है। फोरेंसिक रिपोर्ट झूठी है। उनके फोन में एक ऐप था जो उनके विचारों को ट्रैक कर रहा था। ये एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है।
Aashish Goel
नवंबर 15, 2024 at 02:42 पूर्वाह्न
क्या कोई जानता है कि गुरु प्रसाद के अंतिम दिनों में उन्होंने क्या देखा? मैंने उनकी फिल्म *डायरेक्टर'स स्पेशल* देखी थी... उसमें एक दृश्य था जहां एक आदमी खाली घर में बैठा होता है... और फिर वो बस खिड़की से बाहर देखता है... बस इतना ही... मुझे लगा वो खुद थे।
leo rotthier
नवंबर 16, 2024 at 06:12 पूर्वाह्न
हम भारतीयों को अपने अपने लोगों का सम्मान करना चाहिए। ये बाहरी देशों की तरह नहीं है कि कोई निर्देशक मर जाए तो सब रोएं। ये गुरु प्रसाद का नाम हमारे लिए गर्व का विषय है। उनकी फिल्मों को हमें अपने बच्चों को दिखाना चाहिए।
Karan Kundra
नवंबर 17, 2024 at 15:33 अपराह्न
हम सब इस दुख को अपने दिल में रखें और फिल्म इंडस्ट्री को बदलने का वादा करें। अगली बार कोई निर्देशक टूटे तो हम उसे अकेला नहीं छोड़ेंगे। उनके लिए एक फोन कॉल, एक मैसेज, एक बातचीत... ये बहुत कुछ बदल सकता है।
Vinay Vadgama
नवंबर 18, 2024 at 20:11 अपराह्न
गुरु प्रसाद के निधन के बाद हमें अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सोचना चाहिए। उनके जैसे कलाकारों का समर्थन करना हमारा कर्तव्य है। उनकी कला को सम्मान देना ही हमारा सांस्कृतिक बंधन है।
avi Abutbul
नवंबर 3, 2024 at 23:31 अपराह्न
ये सब बातें सुनकर दिल टूट गया। गुरु प्रसाद ने जितना काम किया, उसका कोई मूल्य नहीं दिया गया। हम सब बस फिल्म देखते रह जाते हैं, लेकिन उनके पीछे की लड़ाई कभी नहीं देखते।