झांसी हॉस्पिटल में आग: कहां हुई चूक?
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भयावह अग्निकांड ने पूरे देश को हिला दिया है। इस दुर्घटना में दस नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई है, जो कि बेहद दुखद और चिंता का विषय है। घटना 15 नवंबर को हुई और इसका प्रारंभिक कारण माना जा रहा है कि यह विद्युत शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ। यह हादसा न केवल प्रशासन की चूक को दर्शाता है बल्कि अस्पताल प्रबंधन के प्रति गंभीर सवाल खड़े करता है। ऐसे समय में जब चिकित्सा संस्थान सुरक्षा मानकों को लेकर सचेत होने चाहिए, ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति ने चिकित्सा अधिकारियो की जिम्मेदारियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
ब्रजेश पाठक का दौरा और उससे उत्पन्न विवाद
इस संकट के बीच एक और विवाद ने जन्म लिया जब उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के दौरे पर अस्पताल परिसर की सफाई और चूना बिखेरने की व्यवस्था को लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश फैल गया। एक वायरल वीडियो में देखा गया कि उनके स्वागत के लिए भव्य तैयारी की जा रही थी। इसे लेकर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और विपक्षी दलों ने सरकार को असंवेदनशील कहा। कांग्रेस ने खासकर इस पर टिप्पणी करते हुए इसे सरकार की संवेदनहीनता का चरम बताया। उनकी राय में जहां सरकार को लोगों के दुख में शामिल होकर सांत्वना देनी चाहिए थी, वहां वह अपनी छवि चमकाने में व्यस्त है।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जिलाधिकारी को जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। उन्होंने वीडियो संदेश के माध्यम से कहा, 'मेरे दौरे से पहले किसी ने परिसर में चूना छिड़कवाया, यह निंदनीय और चौंकाने वाला है। मैं जिलाधिकारी से आग्रह करता हूं कि वे इस घटना के लिए निर्देश देने वाले व्यक्ति के विरुद्ध तुरंत कार्रवाई करें।'
प्रतिक्रियाएं और सरकारी कदम
विपक्षी दलों ने मौके का फायदा उठाते हुए सरकार पर हमला बोला। खासकर कांग्रेस ने इसे सरकार की संवेदनशीलता की कमी के रूप में पेश किया। उनका कहना था कि जहां लोग अस्पताल में अपने बच्चों को खोते जा रहे हैं, वहां सरकार केवल अपनी छवि सुधारने में लगी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर दुख व्यक्त किया और तीन-स्तरीय जांच का आदेश दिया। उन्होंने मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने का भी एलान किया। घायल हुए परिवारों को 50,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
जनता की अपेक्षा सरकार से है कि वह इस पूरे मामले की गहन जांच कराएगी और सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं ना हों।
18 टिप्पणि
Vinay Vadgama
नवंबर 18, 2024 at 16:01 अपराह्न
इस तरह की दुर्घटनाओं के खिलाफ हमें सख्त नियम बनाने की जरूरत है। अस्पतालों में सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए। जिम्मेदार लोगों को निलंबित किया जाना चाहिए और नए लोगों को नियुक्त किया जाना चाहिए।
Pushkar Goswamy
नवंबर 18, 2024 at 22:04 अपराह्न
चूना छिड़कने का वीडियो वायरल हुआ? अरे भाई, ये तो बस एक नाटक है। जब तक बच्चे मर रहे हैं, तब तक सब कुछ छुपाने की कोशिश हो रही है।
असली निंदा तो उन लोगों के खिलाफ होनी चाहिए जिन्होंने बिजली के तार बदलने से मना कर दिया।
Abhinav Dang
नवंबर 19, 2024 at 16:58 अपराह्न
इस ट्रैजेडी में इंफ्रास्ट्रक्चर की फेल्योर और ब्यूरोक्रेसी की लापरवाही दोनों का जिम्मेदार है। जब तक हम सिस्टम को रिफॉर्म नहीं करेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाएंगी।
बच्चों के लिए सुरक्षा एक अधिकार है, न कि एक बेनतीजा रिसोर्स।
krishna poudel
नवंबर 20, 2024 at 16:22 अपराह्न
ये ब्रजेश पाठक तो बस अपनी छवि बनाने में लगा है। असली बात ये है कि जिलाधिकारी के आदमी ने चूना छिड़कवाया तो उसे निकाल दो।
लेकिन अगर बिजली के तार बदले नहीं गए तो उसके ऊपर कौन जिम्मेदार? कोई नहीं।
Anila Kathi
नवंबर 21, 2024 at 01:05 पूर्वाह्न
ब्रजेश पाठक के दौरे का वीडियो देखकर लगा जैसे कोई शादी के लिए तैयार हो रहा हो 😅
असली शादी तो बच्चों की मौत के बाद हुई। अब तो ये सब बस एक ड्रामा है।
Andalib Ansari
नवंबर 22, 2024 at 04:31 पूर्वाह्न
क्या हम वाकई एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां एक बच्चे की मौत से ज्यादा महत्व एक वीडियो का है?
हम लोगों को याद दिलाने की जरूरत है कि जिंदगी का मूल्य क्या है।
हम इतने व्यस्त हैं कि अपने आसपास की दर्द भरी आवाजें नहीं सुन पा रहे।
Shankar V
नवंबर 23, 2024 at 02:30 पूर्वाह्न
ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है। बिजली का शॉर्ट सर्किट? नहीं। ये एक जानबूझकर किया गया अपराध है।
किसी ने बच्चों को मारने के लिए बिजली बंद कर दी। इसका मकसद एक बड़ा विवाद खड़ा करना है।
सरकार इसे छुपा रही है।
Aashish Goel
नवंबर 24, 2024 at 04:07 पूर्वाह्न
क्या कोई जानता है कि झांसी के अस्पताल में कितने बच्चे रोज इंटेंसिव केयर में भर्ती होते हैं? क्या वहां बैकअप जनरेटर है? क्या फायर एलार्म है?
मुझे लगता है... कि नहीं।
और अगर हैं तो क्यों काम नहीं किए? 😔
leo rotthier
नवंबर 24, 2024 at 17:07 अपराह्न
ये देश की बेबाक जनता को दिखाने के लिए बनाया गया एक नाटक है
हमें बस इतना जानना है कि जिसने चूना छिड़का वो असली गुनहगार है
पर जिसने बच्चों को मारा वो तो बस एक नाम और एक पद है
Vasudev Singh
नवंबर 26, 2024 at 09:56 पूर्वाह्न
मैं अपने दोस्त के बेटे को झांसी के अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां बिजली बार-बार जाती रहती थी। बच्चे को ऑक्सीजन मशीन पर रखा गया था, और जब बिजली गई तो बैकअप नहीं चला।
हमने डॉक्टर से कहा, तो बोले, 'अभी तो नया जनरेटर आने वाला है।'
अब ये बच्चे मर गए? ये नहीं हुआ था। ये तो लगातार हो रहा था।
कोई ने नहीं सुना। कोई ने नहीं देखा। कोई ने नहीं बोला।
अब जब वीडियो वायरल हुआ, तो सब बोलने लगे।
हम बस तब तक चिल्लाते हैं जब तक बच्चे मर न जाएं।
और फिर? फिर हम भूल जाते हैं।
क्या हम इतने अहंकारी हैं कि बच्चों की मौत के बाद ही जिम्मेदारी महसूस करें?
क्या हमारी इंसानियत इतनी कमजोर है?
Akshay Srivastava
नवंबर 26, 2024 at 17:22 अपराह्न
सरकार ने जांच का आदेश दिया? अच्छा। लेकिन जांच कब तक होगी? और किसके खिलाफ? क्या वहां के डॉक्टर जिम्मेदार हैं? या वहां के इंजीनियर? या फिर वहां के ब्यूरोक्रेट्स?
ये सिर्फ एक जांच नहीं है। ये एक न्याय की लड़ाई है।
और अगर हम इसे न्याय के बजाय प्रेस रिलीज में बदल देंगे, तो ये बच्चे फिर से मरेंगे।
और हम फिर से चूना छिड़केंगे।
Amar Khan
नवंबर 26, 2024 at 23:58 अपराह्न
मैंने अपने भाई को इसी अस्पताल में लाया था। वहां के नर्स बार-बार गाली देते थे। बच्चों को दूध नहीं दिया जाता था।
मैंने शिकायत की तो कहा, 'अभी तो नया मैनेजर आ रहा है।'
अब बच्चे मर गए।
मैं रो रहा हूं।
मैं नहीं जानता कि क्या करूं।
मैं बस एक पिता हूं।
Roopa Shankar
नवंबर 28, 2024 at 20:46 अपराह्न
इस दुख के बीच भी कुछ अच्छी बातें हैं।
मुख्यमंत्री ने तुरंत 5 लाख रुपये का घोषणा किया।
प्रधानमंत्री ने 2 लाख देने का वादा किया।
उपमुख्यमंत्री ने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया।
ये सब अच्छा है।
लेकिन अगर ये सब तब तक नहीं हुआ होता जब तक बच्चे नहीं मर गए होते, तो ये देश कितना बेहतर होता?
हमें अपनी जिम्मेदारी को अगले दिन के लिए नहीं, आज के लिए लेना होगा।
shivesh mankar
नवंबर 29, 2024 at 15:45 अपराह्न
हम सब इस बात पर बहस कर रहे हैं कि चूना क्यों छिड़का गया।
लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि ये बच्चे किसके बेटे हैं?
उनकी मां कैसे सोती होगी? उनके पिता कैसे सांस लेते होंगे?
हम अपने दिल को बंद कर देते हैं और ट्रेंड्स पर बहस करने लगते हैं।
अगर हम इन बच्चों के लिए एक शांति की प्रार्थना करें, तो क्या हम इतने अधिक अच्छे नहीं हो जाएंगे?
avi Abutbul
नवंबर 30, 2024 at 23:34 अपराह्न
अगर बिजली का शॉर्ट सर्किट हुआ है, तो क्यों बैकअप नहीं चला?
ये तो बस एक बात है।
बाकी सब बस धुंधला धुंधला है।
Hardik Shah
दिसंबर 1, 2024 at 10:44 पूर्वाह्न
इस तरह के अस्पतालों में बच्चे मरना तो बहुत आम बात है।
अगर तुम्हारा बच्चा गरीब है, तो उसकी मौत एक आंकड़ा है।
अगर तुम्हारा बच्चा अमीर है, तो उसकी मौत एक आपदा है।
अब तो ये सब बस एक नीति है।
manisha karlupia
दिसंबर 2, 2024 at 08:41 पूर्वाह्न
क्या हम भूल गए कि ये बच्चे किसके बेटे थे?
क्या हम भूल गए कि उनकी मां का दिल टूट गया?
हम तो बस वीडियो देख रहे हैं।
और फिर बोल रहे हैं कि 'चूना छिड़का गया'।
मुझे लगता है... हम खुद भी बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं।
Karan Kundra
नवंबर 18, 2024 at 15:50 अपराह्न
ये बच्चों की मौत देखकर दिल टूट गया। अस्पताल में बिजली का शॉर्ट सर्किट हो गया और कोई चेक नहीं कर रहा? ये सिस्टम तो बस फोटो खींचने के लिए तैयार है।
हर बार ऐसा होता है, फिर भी कोई सबक नहीं लेता।