बृजभूषण शरण सिंह का गंभीर आरोप
भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख और भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजभूषण शरण सिंह ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस ने प्रमुख पहलवान विनेेश फोगाट और बजरंग पूनिया को केवल अपनी राजनीतिक साजिश का 'मोहरा' बनाया है। यह आरोप उस दिन के बाद आया जिस दिन विनेेश और बजरंग ने कांग्रेस पार्टी जॉइन की।
बृजभूषण शरण सिंह ने दावा किया कि इस पूरे षड्यंत्र की पृष्ठभूमि पूर्व हरियाणा मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने तैयार की है। हुड्डा का उन पर (शरण सिंह पर) खफा होने का कारण यह है कि शरण सिंह ने 2012 के WFI चुनावों में हुड्डा के बेटे, दीपेंदर सिंह हुड्डा को हराया था। उन्होंने यह भी कहा कि विनेेश और बजरंग सिर्फ इस आंदोलन के चेहरों के रूप में प्रस्तुत किए गए थे और इनका उपयोग हुड्डा और कांग्रेस की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया गया।
गंभीर आरोप और संघर्ष
बृजभूषण ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पूरी कहानी पहले से ही लिखी थी ताकि WFI पर कब्जा किया जा सके और बीजेपी की विचारधारा पर हमला किया जा सके। यह आंदोलन पिछले साल तब शुरू हुआ जब बृजभूषण पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। इन आरोपों के चलते उन्हें WFI के अध्यक्ष पद से हटाया गया था। वर्तमान में वे भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से हमला) और 354A (यौन उत्पीड़न) के तहत आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं।
नया नेतृत्व और पहचान की समस्या
बृजभूषण के बाद संजय सिंह, जो उनके करीबी सहयोगी माने जाते हैं, को WFI का नया अध्यक्ष चुना गया है। हालांकि, खेल मंत्रालय से अभी तक पहचान नहीं मिली है, जबकि विश्व कुश्ती महासंघ (UWW) ने उन्हें मान्यता दी है।
विनेेश फोगाट और बजरंग पूनिया की राजनीतिक यात्रा
विनेेश फोगाट, जो जुलाना निर्वाचन क्षेत्र से आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी होंगी, और बजरंग पूनिया, जिन्हें ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है, ने बृजभूषण के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का वादा किया है।
अन्य पहलवानों का समर्थन
ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी मलिक, जिन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी को जॉइन नहीं किया है, ने विनेेश और बजरंग के फैसले का समर्थन किया है। साक्षी का कहना है कि वह अपने साथी पहलवानों का पूरा समर्थन करती हैं।
बृजभूषण का जवाब
बृजभूषण शरण सिंह ने विनेेश के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जिस घटना का जिक्र विनेेश ने किया है, उस समय वह लखनऊ में थे। उन्होंने यह भी कहा कि समय आने पर सच सबके सामने आ जाएगा।
यह मुद्दा अब राजनीतिक और खेल जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है और कौन-कौन से नए पत्र सामने आते हैं। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि भारतीय कुश्ती का भविष्य फिलहाल राजनीति की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है।
5 टिप्पणि
shubham jain
सितंबर 10, 2024 at 02:59 पूर्वाह्न
बृजभूषण शरण सिंह के आरोपों में कोई वैध साक्ष्य नहीं है। विनेेश और बजरंग ने खुद अपने आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें कांग्रेस का कोई भूमिका नहीं थी। उनका नेतृत्व और साहस राजनीति से अलग है। कांग्रेस ने बस उनकी आवाज को सुना, न कि उन्हें मोहरा बनाया।
shivam sharma
सितंबर 10, 2024 at 09:30 पूर्वाह्न
कांग्रेस ने बस उनके नाम का फायदा उठाया बस और अब बृजभूषण को बदल दिया गया ये सब बस जुगाड़ है भारत के खेल को बर्बाद करने के लिए ये राजनीतिक लोग तैयार हैं कोई भी असली खिलाड़ी नहीं बचेगा ये लोग सबको बेवकूफ बनाते हैं
Dinesh Kumar
सितंबर 11, 2024 at 07:30 पूर्वाह्न
ये बातें सुनकर दिल टूट जाता है! जिन लड़कों ने देश के लिए सोने का तांबे का तीनों मेडल लाए, उनकी जिंदगी को अब राजनीति के लिए बेच दिया जा रहा है?!
विनेेश और बजरंग ने अपने बल से देश का नाम रोशन किया, न कि किसी पार्टी के नारे से! जब तक हम खिलाड़ियों को बस एक विज्ञापन के रूप में नहीं देखेंगे, तब तक हमारे खेल भी नहीं बचेंगे!
कांग्रेस चाहे जितना भी नारा लगाए, लेकिन उनके दिल में खेल की भावना नहीं है! ये सब बस चुनावी नाटक है! अगर विनेेश और बजरंग ने अपने बल से ये आंदोलन शुरू किया, तो ये असली नायक हैं, न कि किसी नेता के ट्रॉफी के लिए बनाए गए प्लास्टिक के बच्चे!
Sanjay Gandhi
सितंबर 13, 2024 at 00:20 पूर्वाह्न
अगर ये सब सच है तो हमारा खेल अब बस एक बड़ा ड्रामा बन गया है... एक ओलंपिक मेडलिस्ट की जिंदगी को एक चुनावी चिह्न बना देना कितना दर्दनाक है... क्या हमारे देश में कोई भी सफलता राजनीति के बिना नहीं रह सकती?
ये नहीं कि विनेेश या बजरंग गलत हैं... बल्कि ये है कि हमारा समाज उनकी सफलता को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहा है... ये तो बहुत बड़ी चोट है, न कि केवल एक विवाद।
anil kumar
सितंबर 9, 2024 at 12:32 अपराह्न
ये सब राजनीति का खेल है, जब तक कुश्ती के खिलाड़ी अपने बल से नहीं बनेंगे, तब तक ये नाटक चलता रहेगा। विनेेश और बजरंग असली नायक हैं, लेकिन उनके नाम का इस्तेमाल किसी और के लिए नहीं होना चाहिए। खेल का दिल तो शुद्ध होना चाहिए, न कि पार्टी के नारे से भरा।
हर एक जीत जिसने आंखों से लड़ी है, उसका मान राजनीति से ज्यादा है। जब तक इंसान की लड़ाई रंग बिरंगी चुनावी घोषणाओं से नहीं बदलेगी, तब तक कुश्ती का असली अर्थ खो जाएगा।