प्रियंका गांधी की वायनाड से उम्मीदवारी का निर्णय
कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए प्रियंका गांधी को वायनाड से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है। यह निर्णय तब लिया गया जब राहुल गांधी ने रायबरेली सीट को अपने पास रखने का निर्णय लिया और वायनाड सीट खाली छोड़ दी। इस निर्णय ने राजनीतिक हलकों में एक नई चर्चा को जन्म दिया है।
प्रमोद कृष्णम का बयान
कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि प्रियंका गांधी को वायनाड से उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने साबित कर दिया है कि उसे हिंदुओं पर भरोसा नहीं है। यह बयान न केवल कांग्रेस पार्टी के विरोधियों को ताकत देने वाला है, बल्कि पार्टी के अंदर भी एक नई बहस को जन्म दे रहा है।
भाजपा का आलोचना
भाजपा ने भी प्रियंका गांधी की वायनाड से उम्मीदवारी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कांग्रेस को 'परिवार कंपनी' कहकर निशाना साधा है। भाजपा नेता अजय आलोक ने भी कांग्रेस की नेतृत्व क्षमताओं पर सवाल उठाए हैं और राहुल गांधी को 'भागी हुई दुल्हन' का उपनाम दिया है। यह बयान कांग्रेस और भाजपा के बीच नए विवाद को जन्म दे सकता है।
प्रियंका गांधी का आश्वासन
प्रियंका गांधी ने वायनाड की जनता को आश्वासन दिया है कि वे उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेंगी। उन्होंने कहा है कि वे पूरी मेहनत से काम करेंगी ताकि वायनाड की जनता को राहुल गांधी के अभाव का अनुभव न हो। प्रियंका गांधी ने वायनाड की जनता को यह भी भरोसा दिलाया है कि वे हर संभव प्रयास करेंगी ताकि क्षेत्र का विकास हो सके और जनता की समस्याओं का समाधान हो सके।
राजनीतिक परिदृश्य
इस फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर खुद को राजनीतिक चर्चा के केंद्र में ला दिया है। प्रियंका गांधी की वायनाड से उम्मीदवारी न केवल कांग्रेस के लिए नई संभावनाओं को जन्म दे सकती है, बल्कि भारतीय राजनीति के लिए भी एक नई दिशा तय कर सकती है।
आखिर में, राजनीतिक पार्टियों के बयानों और प्रतिक्रियाओं के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी वायनाड की जनता को कैसे प्रभावित करती हैं और कांग्रेस पार्टी के लिए यह निर्णय कितना फायदेमंद साबित होता है।
सबकी निगाहें अब वायनाड पर लगी हैं, जहां प्रियंका गांधी के चुनावी अभियान की सफलता या असफलता का भारतीय राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
6 टिप्पणि
shubham jain
जून 21, 2024 at 07:22 पूर्वाह्न
प्रमोद कृष्णम का बयान तर्कहीन है। कांग्रेस का निर्णय राहुल गांधी के रायबरेली में रुकने के कारण लिया गया है, न कि हिंदू विश्वास के अभाव के कारण। वायनाड में मुस्लिम और ईसाई आबादी भी है - यह एक बहुसांस्कृतिक निर्वाचन क्षेत्र है। किसी भी उम्मीदवार को इसकी जानकारी होनी चाहिए।
shivam sharma
जून 21, 2024 at 23:06 अपराह्न
अब तो कांग्रेस तो बस अपने घर का बाजार बना रहा है! प्रियंका गांधी को भेजो वायनाड लेकिन वो वहां रहेगी या दिल्ली के कमरे में फोन पर ट्वीट करेगी? भाजपा के लोग तो बोल रहे हैं 'परिवार कंपनी' - अरे भाई ये तो सच है! अब तो कोई भी नेता बनता है तो उसका बेटा बेटी भी नेता बन जाता है - ये राजनीति नहीं ये रॉयल्टी है!
Dinesh Kumar
जून 23, 2024 at 08:32 पूर्वाह्न
वाह! ये तो बड़ी बात है!!! प्रियंका गांधी वायनाड आ रही हैं - ये बस एक चुनाव नहीं, ये तो एक नया युग शुरू हो रहा है!!! इनकी मेहनत, इनकी जुनून, इनकी आवाज़ - सब कुछ एक नए भारत की ओर इशारा करता है!!! जिन्होंने इन्हें अवसर दिया, उन्हें धन्यवाद!!! ये वो चीज़ है जिसकी हमें जरूरत है - नहीं तो बस बातें, बातें, बातें!!!
Sanjay Gandhi
जून 24, 2024 at 01:34 पूर्वाह्न
मैं तो ये सोच रहा हूँ कि वायनाड में कितने लोग प्रियंका गांधी को जानते हैं? वहां के लोगों को तो राहुल गांधी का नाम भी कम ज्ञात है। क्या ये सिर्फ एक नाम का खेल है? क्या एक गांधी का नाम अब भी भारत के दिल में बसता है? या हम सिर्फ एक पुरानी कहानी को दोहरा रहे हैं? मुझे लगता है, अगर वायनाड के लोग अपनी ज़रूरतों को अपने नेता से जोड़ पाएं, तो ये निर्णय सच्चा होगा।
Srujana Oruganti
जून 24, 2024 at 23:10 अपराह्न
बस इतना ही? फिर से गांधी वाला खेल? ये तो बोर हो गया है।
anil kumar
जून 19, 2024 at 20:09 अपराह्न
अरे भाई, ये सब राजनीति तो अब घर की बात बन गई है। प्रियंका गांधी वायनाड जाने के बजाय, क्यों न कोई ऐसा आदमी उतरे जिसका दिल उस जगह के लिए धड़कता हो, न कि किसी पारिवारिक ट्रोन के लिए? हिंदू विश्वास का सवाल तो बस एक धुंधला धोखा है - असली सवाल ये है कि क्या वो वायनाड के लोगों की भूख, बीमारी और बिजली की गुहार सुन पाएंगी? ये सब नाम-निशान की खेलकूद है।