शॉर्ट सेलिंग – शेयर बाजार में कमाई का आसान तरीका
शॉर्ट सेलिंग सुनने में थोड़ा जटिल लग सकता है, लेकिन असल में यह एक साधारण रणनीति है। आप किसी स्टॉक को उधार लेकर बेचते हैं और बाद में कीमत गिरने पर फिर से खरीदते हैं, ताकि अंतर से फायदा हो सके। अगर सही समझ के साथ किया जाए तो ये आपके पोर्टफोलियो में अच्छा पूरक बन सकता है।
शॉर्ट सेलिंग कैसे शुरू करें?
पहले आपको एक भरोसेमंद ब्रोकरेज चुननी होगी जो शॉर्ट पोजिशन की सुविधा देता हो। फिर आप वह स्टॉक चुनते हैं, जिसकी कीमत गिरने की उम्मीद है। ब्रोकरेज आपके खाते से शेयर उधार लेती है और तुरंत मार्केट में बेच देती है। अब आपका काम है – कीमत कब तक गिरेगी, यह देखना। जब कीमत नीचे आ जाए तो वही शेयर कम दाम पर खरीदकर वापस दे देते हैं, और अंतर आपका मुनाफा बन जाता है।
जोखिम और सावधानियां
शॉर्ट सेलिंग में सबसे बड़ा जोखिम यही है कि अगर स्टॉक की कीमत बढ़ती रही तो आपको नुकसान होगा। क्योंकि आप जितनी ऊँची कीमत पर बेचे थे, उसे ही वापस खरीदना पड़ेगा। इसलिए हमेशा सीमित रिस्क वाला प्लान बनाएं – जैसे स्टॉप‑लॉस ऑर्डर सेट करना या केवल उन कंपनियों में शॉर्ट करें जिनके बारे में आपका शोध मजबूत हो।
एक और बात ध्यान रखें – सभी शेयर शॉर्ट करने के लिए उपलब्ध नहीं होते। कुछ कंपनियां हाई डिमांड वाले या सीमित लिक्विडिटी वाली होने की वजह से उधार पर नहीं मिलते। इस कारण ब्रोकरेज अक्सर उच्च शुल्क लेता है, इसलिए लागत को भी गणना में शामिल करना जरूरी है।
शॉर्ट सेलिंग का उपयोग तब सबसे फायदेमंद होता है जब बाजार में बड़ी गिरावट या कंपनी के बुनियादी समस्याओं की उम्मीद हो। उदाहरण के तौर पर अगर कोई कंपनी बड़े स्कैंडल में फँसी हुई हो, तो उसके शेयर कीमत तेजी से गिर सकते हैं और शॉर्ट पोजिशन आपके लिए लाभदायक बनता है।
कभी-कभी शॉर्ट सेलिंग को बड़ी कंपनियों की खबरों के साथ जोड़ना भी काम आता है। जैसे हाल ही में CDSL के शेयर में 60% उछाल आया था, तो अगर कोई निवेशक पहले इस पर शॉर्ट कर लेता और कीमत गिरती देखता, तो वह अच्छा मुनाफा कमा सकता था – बशर्ते उसने सही समय पर एग्जिट किया हो।
अंत में याद रखें कि शॉर्ट सेलिंग से जुड़ी सभी नियम सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्धारित होते हैं। भारत में SEBI और स्टॉक एक्सचेंजों की गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है, नहीं तो दंड लग सकता है। इसलिए ट्रेड करने से पहले नवीनतम नियम पढ़ें और अगर जरूरत लगे तो एक वित्तीय सलाहकार से बात करें।
संक्षेप में, शॉर्ट सेलिंग एक शक्तिशाली टूल हो सकती है अगर आप जोखिम को समझते हैं, सही रिसर्च करते हैं और अपने एग्जिट प्लान को पहले से तय कर लेते हैं। अब जब आपके पास बेसिक जानकारी है, तो छोटे पोजीशन लेकर प्रैक्टिस शुरू करें और धीरे‑धीरे अपनी रणनीति पर काम करें।

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