स्वच्छता सर्वे में इंदौर की फर्स्ट क्लास परफॉर्मेंस
हर साल जब स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजे आते हैं तो लोगों की नजर एक ही नाम पर सबसे पहले जाती है – इंदौर। इस बार भी इंदौर ने कमाल कर दिया है। लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने का रिकॉर्ड इंदौर ने अपने नाम किया है। यह उपलब्धि और भी खास है क्योंकि इस साल केंद्र सरकार ने सर्वेक्षण में ‘Super Swachh League’ नाम की नई श्रेणी शुरू की थी, जिसमें पिछले सात सालों में सर्वोच्च स्थान पाने वाले शहरों को अलग पहचान दी गई है। इसी लीग में इंदौर, सूरत, नवी मुंबई और विजयवाड़ा जैसे शहरों को शामिल किया गया है।
नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदौर को यह पुरस्कार दिया। Ministry of Housing and Urban Affairs ने इस आयोजन के जरिए न केवल इंदौर, बल्कि देशभर के ऐसे शहरों की मेहनत को सराहा जिनकी सफाई व्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है।
बड़े शहरों में अहमदाबाद आगे, बचे शहरों का परफॉर्मेंस
‘Super Swachh League’ के अलावा, 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में अहमदाबाद ने सबसे साफ शहर का खिताब हासिल किया। इसके बाद भोपाल और लखनऊ रहे, जिनके अंक भी काफी करीब थे—अहमदाबाद को 12,079, भोपाल को 12,067 और लखनऊ को 12,001 अंक मिले। ये आंकड़े दिखाते हैं कि बड़े शहरों में भी सफाई को लेकर होड़ कम नहीं है।
अगर दूसरी श्रेणियों की बात करें तो 3 से 10 लाख की आबादी में नोएडा ने बाजी मारी। 50 हजार से 3 लाख आबादी वाले शहरों में नई दिल्ली टॉप पर है। मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई की बात करें तो ये शहर इस बार पीछे रहे। मुंबई 33वें स्थान पर रहा, बेंगलुरु 36वें और चेन्नई को 38वां स्थान मिला। जबकि देश की राजधानी की मैनेजमेंट और मेहनत को जरूर सराहना चाहिए, जो उसकी रैंकिंग में दिखता है।
इस बार सर्वेक्षण में सिर्फ बड़े शहरों पर नहीं, बल्कि खास आयोजनों और छोटे शहरों को भी जगह मिली। महाकुंभ, जो हरिद्वार में हुआ था, उसकी स्वच्छता के लिए खास सराहना की गई। वहीं, चंडीगढ़ को भी विशेष पुरस्कार मिला, जिससे पता चलता है कि सफाई के मामले में अब छोटे-बड़े सभी शहर आगे आना चाहते हैं।
कुल मिलाकर, भारत के शहरी इलाकों में सफाई के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ी है। लेकिन सर्वे के नतीजे यह भी बताते हैं कि अब भी कई शहर हैं जिनमें सुधार की काफी गुंजाइश है। ऐसे में इंदौर जैसी मिसालें बाकी शहरों के लिए एक मोटिवेशन से कम नहीं हैं।
12 टिप्पणि
Hardik Shah
जुलाई 21, 2025 at 13:45 अपराह्न
अरे यार फिर यही बातें? इंदौर के बाहर भी लोग साफ सुथरा रखते हैं, लेकिन कोई उनकी तारीफ नहीं करता। ये सर्वे तो बस राजनीति का नाटक है।
manisha karlupia
जुलाई 22, 2025 at 11:31 पूर्वाह्न
कभी कभी लगता है कि हम स्वच्छता को एक ट्रॉफी की तरह देख रहे हैं न कि एक जीवनशैली के रूप में... इंदौर ने जो किया है वो अच्छा है लेकिन क्या हम अपने घर के बाहर भी इतना ध्यान रखते हैं? कभी-कभी लगता है कि बाहर साफ है तो अंदर भी हो जाएगा... शायद नहीं।
vikram singh
जुलाई 22, 2025 at 15:30 अपराह्न
इंदौर का ये आठवां ट्रॉफी नहीं, ये तो एक सांस्कृतिक क्रांति है! जब एक शहर इतना जुनून से साफ रहता है, तो उसकी हवा भी साफ हो जाती है! अहमदाबाद और भोपाल तो बस दूसरे राउंड के लिए तैयार हो रहे हैं, लेकिन इंदौर तो चैंपियनशिप का बाज़ार बना रहा है!
balamurugan kcetmca
जुलाई 23, 2025 at 23:21 अपराह्न
इस सर्वेक्षण में जो शहर टॉप पर आए हैं वो सिर्फ गंदगी को हटाने के लिए नहीं, बल्कि इस बात के लिए भी हैं कि लोगों को स्वच्छता की आदत डालने में कितना समय लगा, कितनी शिक्षा दी गई, कितने नागरिक सामूहिक रूप से शामिल हुए। इंदौर ने इसे एक जनआंदोलन बना दिया, जहां हर घर के बाहर डस्टबिन है, हर बच्चा गंदगी फेंकने से डरता है, और हर नगरपालिका कर्मचारी अपने काम को गर्व से करता है। ये रिकॉर्ड एक दिन का नहीं, बल्कि आठ साल की लगातार मेहनत का है।
Arpit Jain
जुलाई 25, 2025 at 13:17 अपराह्न
मुंबई 33वें स्थान पर? ये तो बहुत अच्छा है। मैंने सोचा था कि वो नीचे लगे होंगे। लेकिन फिर भी ये बात अजीब है कि इतने बड़े शहर इतने नीचे कैसे आ गए? क्या हमारे लोग अब गंदगी फेंकने के बजाय बैठकर फोन चला रहे हैं?
Karan Raval
जुलाई 27, 2025 at 10:47 पूर्वाह्न
अगर इंदौर के बारे में बात करें तो ये बहुत अच्छी बात है कि ये लगातार आठ साल टॉप पर है लेकिन ये भी सोचना चाहिए कि बाकी शहर भी कैसे बेहतर हो सकते हैं बिना किसी तुलना के
divya m.s
जुलाई 28, 2025 at 21:55 अपराह्न
ये सब बकवास है। जब तक एक आम आदमी के घर के बाहर कचरा उखड़ नहीं जाता, तब तक ये सर्वेक्षण सिर्फ एक नाटक है। इंदौर के लोग बाहर साफ रखते हैं लेकिन अंदर क्या है? क्या उनकी नागरिकता की असली जांच तो यही है कि वो अपने घर के बाहर भी अपनी गंदगी नहीं फेंकते?
PRATAP SINGH
जुलाई 29, 2025 at 07:18 पूर्वाह्न
इंदौर की यह उपलब्धि वास्तविक है, लेकिन इसके पीछे एक निश्चित शासन संरचना और अत्यधिक नियंत्रण का अस्तित्व है जो अन्य शहरों के लिए अनुकरणीय नहीं है। यह एक उच्च शासन की उपलब्धि है, न कि जनता की।
Akash Kumar
जुलाई 29, 2025 at 20:26 अपराह्न
इंदौर की इस उपलब्धि को देखकर भारतीय सांस्कृतिक जागृति की ओर एक अच्छा संकेत मिलता है। यह एक ऐसा उदाहरण है जहां निजी जिम्मेदारी और सामाजिक चेतना का संगम हुआ है। यह राष्ट्रीय गौरव का एक छोटा सा प्रतीक है।
Shankar V
जुलाई 31, 2025 at 13:37 अपराह्न
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सर्वेक्षण किसके द्वारा तैयार किया जाता है? क्या ये डेटा बाहर से लाया जाता है या फिर एक अंतर्दृष्टि वाली टीम ने फर्जी डेटा बनाया है? मुझे लगता है कि ये सब एक बड़ा राजनीतिक नाटक है जिसमें एक शहर को चुना गया है ताकि लोगों का ध्यान भ्रमित हो जाए।
Hardik Shah
अगस्त 2, 2025 at 05:15 पूर्वाह्न
अब तो इंदौर को नोबेल पुरस्कार दे दो। ये शहर अब जीवन का अर्थ है।
avi Abutbul
जुलाई 20, 2025 at 16:50 अपराह्न
इंदौर ने फिर से कमाल कर दिया! ये रिकॉर्ड सिर्फ एक शहर का नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा है। स्वच्छता का ये जुनून अब बस आमदारों के नाम का नहीं, आम आदमी की आदत बन गया है।