शेयर बाजार में गिरावट: पूंजीगत लाभ पर कर वृद्धि के प्रस्ताव से निवेशकों में निराशा

शेयर बाजार में गिरावट का कारण

23 जुलाई, 2024 को भारतीय शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट में पूंजीगत लाभ कर में वृद्धि के प्रस्ताव ने निवेशकों में गहरा आघात पहुँचाया। इस खबर के बाद बाजार में मंदी छा गई और निवेशकों ने भारी मात्रा में बिकवाली की। पिछले महीने सेंसेक्स और निफ्टी में 4.3% की वृद्धि दर्ज की गई थी, जिससे निवेशकों में सकारात्मकता थी, लेकिन यह सब बजट प्रस्ताव के बाद ध्वस्त हो गया।

रिलायंस इंडस्ट्रीज और कोटक महिंद्रा बैंक की भूमिका

बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज और कोटक महिंद्रा बैंक में भारी बिकवाली रही। 22 जुलाई, 2024 को इन दोनों बड़ी कंपनियों के शेयरों में प्रमुख गिरावट दर्ज की गई थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण स्तंभ है, के शेयर गिरने से निवेशकों की उम्मीदें टूटी। कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में भी अस्थिरता देखी गई, जिससे बैंकिंग सेक्टर में चिंता पैदा हुई।

निवेशकों में बढ़ती भागीदारी

2019 के बाद से भारतीय शेयर बाजार में छोटे निवेशकों की भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। मार्च 2024 तक, करीब 9.5 करोड़ निवेशकों ने सीधे तौर पर बाजार में निवेश किया था। 2,500 सूचीबद्ध कंपनियों में इनके कुल संपत्ति का मूल्य 36 लाख करोड़ रुपये था। सरकार द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण ने इस तेजी के चलते निवेशकों को बाजार में अधिक आत्मविश्वास और अटकलों से बचने की सलाह दी है।

केन्द्रिय बजट का महत्व

केन्द्रीय बजट देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह बजट न केवल सरकार की राजस्व और व्यय नीति को स्पष्ट करता है, बल्कि आर्थिक विकास के लिए आवश्यक कदम भी प्रस्तुत करता है। कर और व्यय नीतियाँ व्यवसायों को प्रेरित करने और रोजगार सृजन में मदद करती हैं। इसके अलावा, बजट के माध्यम से सरकार अपने वित्तीय स्वास्थ्य को भी दर्शाती है, जिसमें राजस्व, व्यय और वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए उधारी शामिल होती है।

नए कर प्रस्ताव का प्रभाव

पूंजीगत लाभ पर कर वृद्धि के प्रस्ताव ने बाजार में निवेशकों के बीच चिंता को बढ़ा दिया है। यह प्रस्ताव खासतौर पर उन निवेशकों को प्रभावित करता है जो दीर्घकालिक लाभ की योजना बना रहे थे। कर वृद्धि का मतलब है कि निवेशकों को अपने लाभ का एक बड़ा हिस्सा सरकार को देना होगा, जिससे निवेशकों में निराशा और बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।

वित्तीय सुधार एवं भविष्य की दिशा

वित्त मंत्रालय द्वारा पेश किये गए सुधारों का उद्देश्य वित्तीय घाटे को कम करना और राजस्व में वृद्धि करना था। हालाँकि, निवेशकों ने इसे उधारी संकट के रूप में देखा जिससे बाजार में बेचैनी बढ़ी। सरकार की नीति अब इस बात पर निर्भर करेगी कि वह इस अनिश्चितता को कैसे दूर करती है और निवेशकों का विश्वास कैसे वापस लाती है।

निवेशकों के लिए सुझाव

वर्तमान बाजार अस्थिरता के दौर में, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने निवेश पोर्टफोलियो का पुनर्मूल्यांकन करें और किसी भी नए निवेश से पहले विभिन्न प्रबंधकों और वित्तीय सलाहकारों से परामर्श लें। पूंजीगत लाभ कर वृद्धि के प्रभावों को समझना और अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सतर्कता से कदम उठाना अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

कुल मिलाकर, बजट के बाद शेयर बाजार में उत्पन्न हुई अस्थिरता ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। भारतीय बाजार में छोटे निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है, सरकार की नीतियाँ और निर्णय इन निवेशकों की सुरक्षा और विश्वास को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

12 टिप्पणि

Sita De savona
Sita De savona

जुलाई 25, 2024 at 05:00 पूर्वाह्न

बजट आया तो बाजार गिरा और सबने कहा अब तो बस बेच देते हैं। सरकार को तो लगता है हम सब एआई हैं जो कर बढ़ाएंगे तो भी खुशी से निवेश करेंगे।

Aditya Ingale
Aditya Ingale

जुलाई 25, 2024 at 13:29 अपराह्न

दोस्तों ये सब तो बस नाटक है। जब तक रिलायंस के शेयर ऊपर नहीं जाते, तब तक ये बाजार जिंदा नहीं है। और जब रिलायंस गिरता है, तो सारा भारत गिरता है। कोटक बैंक तो बस एक ट्रेंड फॉलोअर है। मैंने 2020 में 1000 रुपये में रिलायंस खरीदा था। आज वो 28000 है। अगर कर बढ़ गया तो भी मैं नहीं बेचूंगा। इसका मतलब ये नहीं कि बाजार गिर गया, बल्कि अभी तक तो सिर्फ शुरुआत हुई है।

sumit dhamija
sumit dhamija

जुलाई 26, 2024 at 17:50 अपराह्न

मैं एक साधारण निवेशक हूँ। मैंने कभी शेयर बाजार के बारे में गहराई से नहीं पढ़ा। लेकिन ये बात स्पष्ट है कि जब लंबे समय तक निवेश करने वालों के लिए कर बढ़ा दिया जाता है, तो वो लोग बाहर निकल जाते हैं। और जब वो बाहर निकलते हैं, तो बाजार अस्थिर हो जाता है। हमें बाजार को जिंदा रखने के लिए निवेशकों को समझना होगा, न कि उन्हें दंडित करना।

ritesh srivastav
ritesh srivastav

जुलाई 26, 2024 at 18:11 अपराह्न

कर बढ़ाना तो बहुत आसान है। बस एक नोटिफिकेशन जारी कर दो। लेकिन अगर तुम निवेशकों को लगातार धोखा देते रहोगे, तो वो भारत के बाहर जा रहे हैं। सिंगापुर, डुबई, अमेरिका - वहाँ कर बहुत कम है। हम अपने देश को नहीं छोड़ रहे हैं, हम अपने पैसे को छोड़ रहे हैं।

Rahul Kumar
Rahul Kumar

जुलाई 28, 2024 at 13:11 अपराह्न

मैंने आज अपना एक शेयर बेच दिया... नहीं तो लगता था बस इंतजार करूंगा। पर अब लगा कि इंतजार करने से ज्यादा नुकसान होगा। अब तो बस इंतजार करना है कि सरकार कब समझेगी कि हम बेच रहे हैं तो नहीं... हम बच रहे हैं।

shubham jain
shubham jain

जुलाई 29, 2024 at 02:29 पूर्वाह्न

पूंजीगत लाभ पर कर 10% से बढ़कर 12.5% हो गया है। यह नियम 1 अप्रैल 2024 से लागू है। लंबी अवधि के लाभ के लिए लाभ की गणना में अनुमोदित लागत अपडेट की गई है। कर वृद्धि का प्रभाव सिर्फ उन पर है जिन्होंने 31 मार्च 2024 के बाद शेयर खरीदे हैं।

Aarya Editz
Aarya Editz

जुलाई 29, 2024 at 14:46 अपराह्न

हम सब ये भूल जाते हैं कि बाजार कोई जीवित चीज नहीं है। ये तो बस एक नियम है - जो लोग भरोसा करते हैं, वो जीतते हैं। जो डरते हैं, वो बेच देते हैं। क्या असली समस्या कर बढ़ाना है? या ये कि हमने अपने दिमाग को बाजार के चक्कर में खो दिया है? जब तक हम अपने निर्णय भावनाओं से नहीं करेंगे, तब तक ये चक्र चलता रहेगा।

Prathamesh Potnis
Prathamesh Potnis

जुलाई 31, 2024 at 09:01 पूर्वाह्न

मैं एक छोटे शहर से हूँ। मेरे पास कोई फाइनेंशियल एडवाइजर नहीं है। मैंने बस एक एप से शेयर खरीदे। मैं नहीं जानता कि कर क्या है। मैं जानता हूँ कि मेरा पैसा बढ़ रहा है। अगर अब ये बढ़ना बंद हो गया, तो मैं क्या करूँ? मेरी बहन का बच्चा अभी पढ़ रहा है। मैं उसके लिए बचत कर रहा था। क्या ये बजट मेरे लिए भी है?

Nithya ramani
Nithya ramani

जुलाई 31, 2024 at 20:24 अपराह्न

हम सब अपने निवेश को अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं। ये सिर्फ शेयर नहीं हैं - ये हमारी आशाएँ हैं। सरकार को ये याद रखना चाहिए कि हम आपके लिए नहीं, बल्कि भारत के लिए निवेश कर रहे हैं। हम नहीं भाग रहे हैं। हम बस एक न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante

अगस्त 1, 2024 at 10:49 पूर्वाह्न

यह बात सच है कि कर वृद्धि निवेशकों को प्रभावित करती है, लेकिन यह भी सच है कि भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए ऐसे कदम जरूरी हैं। यदि हम वित्तीय घाटे को नहीं सुधारेंगे, तो आने वाले वर्षों में अधिक नुकसान होगा। इसलिए, यह एक दुखद विकल्प है, लेकिन आवश्यक। हमें इसे समझना चाहिए और अपनी अपेक्षाओं को समायोजित करना चाहिए।

anil kumar
anil kumar

अगस्त 1, 2024 at 23:14 अपराह्न

क्या आपने कभी सोचा है कि ये बाजार किसके लिए है? निवेशकों के लिए? या बजट बनाने वालों के लिए? हम तो सिर्फ एक बार जब बाजार ऊपर जाता है, तभी याद आता है कि हम भारतीय हैं। जब गिरता है, तो सब कहते हैं - ये तो सरकार की गलती है। लेकिन क्या हमने कभी अपने आप को देखा है? हमने क्या सीखा? क्या हमने अपने निवेश को बुद्धिमानी से समझा? या बस ट्रेंड के साथ चल दिया? बाजार तो अपना रास्ता बनाता है। हम तो बस उसके पीछे भागते हैं।

Shreya Prasad
Shreya Prasad

अगस्त 2, 2024 at 08:53 पूर्वाह्न

सरकार के पास वित्तीय घाटे को संतुलित करने के लिए सीमित विकल्प हैं। पूंजीगत लाभ पर कर वृद्धि एक उचित उपाय है, जो दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आवश्यक है। निवेशकों को इस नीति के लंबे समय तक के लाभों को समझना चाहिए। मार्केट वॉलैटिलिटी का एक प्राकृतिक हिस्सा है। निवेशकों को अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि अल्पकालिक उतार-चढ़ाव पर।

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