जब मुशफिकुर रहीम ने अपना आखिरी वनडे मैच खेला, तो वह न सिर्फ एक बल्लेबाज थे, बल्कि बांग्लादेश क्रिकेट का एक अध्याय थे। 5 मार्च, 2025 को, चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के ग्रुप चरण के बाद, जब बांग्लादेश की टीम रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ बारिश से रद्द हुए मैच के बाद टूर्नामेंट से बाहर हो गई, तो उन्होंने अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक पर एक छोटा सा पोस्ट डाला — लेकिन उसमें छिपा था एक ऐसा भाव, जो किसी अंतिम वक्तव्य जैसा लगा। "जब भी मैंने अपने देश के लिए मैदान पर कदम रखा, मैंने समर्पण और ईमानदारी के साथ 100% से ज़्यादा दिया," लिखा उन्होंने। और फिर, चुपचाप, एक युग का अंत।
19 साल की लंबी यात्रा, जो कभी नहीं भूली जाएगी
मुशफिकुर रहीम ने 6 अगस्त, 2006 को जिम्बाब्वे के खिलाफ ढाका में अपना वनडे डेब्यू किया था। तब वह एक 18 साल का लड़का था, जिसकी आंखों में चमक थी और हाथों में भारी बल्ला। आज, वह बांग्लादेश क्रिकेट के इतिहास में तीसरे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं — 7,795 रन, 274 मैच, 9 शतक, 49 अर्धशतक, और एक स्ट्राइक रेट 79.70 जो विकेटकीपर-बल्लेबाज के लिए अद्भुत है। उनके बाद केवल तमीम इकबाल (8,357 रन) आगे हैं। लेकिन उनका योगदान सिर्फ रनों तक सीमित नहीं था। वह टीम का स्थायी आधार थे — जब बल्लेबाजी टूट रही थी, तो वे बचाते थे। जब दबाव बढ़ रहा था, तो वे शांत रहते थे।
चैंपियंस ट्रॉफी 2025: अंतिम बार, अधूरा मैच
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन पाकिस्तान और यूएई में हुआ था। बांग्लादेश को ग्रुप बी में न्यूजीलैंड, भारत और पाकिस्तान के साथ रखा गया — एक ग्रुप जहां जीत का रास्ता बहुत कठिन था। मुशफिकुर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 15 रन और भारत के खिलाफ 23 रन बनाए। दोनों ही पारियां उनके लिए असफल रहीं, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी से लड़े। अंतिम मैच पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी में था — जहां बारिश ने खेल को रद्द कर दिया। उस मैच में उनका बल्ला नहीं चला। लेकिन उनका बल्ला अब चलने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने अपने आप को तैयार किया था। और अब, वे चले गए।
पिछले कुछ हफ्ते बहुत चुनौतीपूर्ण रहे
मुशफिकुर ने संन्यास के कारण के रूप में पिछले कुछ सप्ताह को "बहुत चुनौतीपूर्ण" बताया। यह सिर्फ टूर्नामेंट के निराशाजनक प्रदर्शन की बात नहीं थी। उनके अंदर एक ऐसा दर्द था जो बाहर नहीं दिखता था — जब आप अपने देश के लिए 19 साल खेल चुके हों, तो आपको यह महसूस होता है कि आपके बिना टीम कैसे आगे बढ़ेगी। उन्होंने अपने संदेश में कहा, "हमारी उपलब्धियां सीमित हो सकती हैं, लेकिन मैंने हमेशा अपना सब कुछ दिया।" यह बात उनके लिए अपने आप में एक बयान थी।
स्टीव स्मिथ के बाद, एक नया दौर शुरू
मुशफिकुर का संन्यास ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ के वनडे से संन्यास के ठीक बाद हुआ। स्मिथ ने सेमीफाइनल में हार के बाद अपना वनडे करियर समाप्त किया था। दोनों ही खिलाड़ी — एक ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज जिसने गेंदबाजी को भी बदल दिया, और एक बांग्लादेशी विकेटकीपर जिसने बल्लेबाजी को अपने अंदाज़ में बदल दिया — दोनों ने एक ही समय पर अपने वनडे करियर का अंत किया। यह सिर्फ संयोग नहीं था। यह एक नए युग की शुरुआत थी — जहां अनुभवी खिलाड़ी अपनी जगह युवाओं को छोड़ रहे हैं।
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड का चुप्पी का राज
अब तक, बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने इस संन्यास के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। यह चुप्पी अजीब लग रही है। क्यों? क्योंकि मुशफिकुर ने सिर्फ खेल नहीं खेला — वह एक नेता थे। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन दिया। उन्होंने टीम के अंदर एक व्यक्तित्व बनाया। बोर्ड को इस अंत को सम्मान करना चाहिए। नहीं तो यह लगेगा कि उन्हें यह नहीं पता था कि उनके पास कितना बड़ा खिलाड़ी था।
अब क्या होगा? एक खालीपन का डर
मुशफिकुर के संन्यास के बाद, बांग्लादेश की वनडे टीम के लिए एक बड़ा खालीपन बन गया है। विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में उनकी जगह किसी के पास नहीं है। अब तक टीम ने न तो कोई नया विकेटकीपर तैयार किया है, न ही कोई ऐसा बल्लेबाज निकाला है जो नीचे के क्रम में टीम को बचा सके। अगर टीम ने अभी तक इस खालीपन के लिए योजना नहीं बनाई, तो अगले दो साल बहुत कठिन हो सकते हैं।
लेकिन एक बात अच्छी है — मुशफिकुर ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की कोई घोषणा नहीं की है। अगर वे टेस्ट में जारी रहते हैं, तो बांग्लादेश के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी होगी। उनका अनुभव टेस्ट क्रिकेट में भी अमूल्य है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मुशफिकुर रहीम के संन्यास के बाद बांग्लादेश की वनडे टीम को क्या चुनौती मिलेगी?
मुशफिकुर के बिना टीम को विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में एक बड़ी कमी महसूस होगी। उनके बाद कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है जो नीचे के क्रम में टीम को बचा सके। अभी तक बोर्ड ने कोई नया विकेटकीपर तैयार नहीं किया है। यह खालीपन अगले विश्व कप और अगले चैंपियंस ट्रॉफी के लिए बड़ी समस्या बन सकता है।
मुशफिकुर रहीम ने टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास लेने की घोषणा की है?
नहीं, मुशफिकुर रहीम ने अभी तक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की कोई घोषणा नहीं की है। उन्होंने सिर्फ वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है। अगर वे टेस्ट में जारी रहते हैं, तो बांग्लादेश के लिए यह बहुत बड़ी खुशखबरी होगी, क्योंकि उनका अनुभव टेस्ट क्रिकेट में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुशफिकुर रहीम के करियर में कितने वनडे मैच और रन थे?
मुशफिकुर रहीम ने अपने 19 साल के वनडे करियर में 274 मैच खेले, जिनमें 256 पारियों में उन्होंने 7,795 रन बनाए। उनकी औसत 36.42 और स्ट्राइक रेट 79.70 रही। उन्होंने 9 शतक और 49 अर्धशतक लगाए, जो बांग्लादेश के लिए तीसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बनाता है।
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में बांग्लादेश का प्रदर्शन कैसा रहा?
बांग्लादेश ने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में ग्रुप बी में न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ हार झेली, जबकि पाकिस्तान के खिलाफ मैच बारिश के कारण रद्द हो गया। तीन मैचों में से दो हार के बाद टीम ग्रुप चरण से ही बाहर हो गई। यह प्रदर्शन उनके संन्यास का एक कारण भी रहा।
मुशफिकुर रहीम के संन्यास के बाद कौन बांग्लादेश की वनडे टीम का नेतृत्व करेगा?
अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन टीम के नेतृत्व का बोझ अब टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों — शाकिब अल हसन या नजमुल हुसैन शांतू — पर पड़ेगा। लेकिन विकेटकीपिंग का बोझ किसी नए खिलाड़ी को देना होगा, जिसकी तैयारी अभी तक नहीं हुई है।
क्या मुशफिकुर रहीम भविष्य में कोच या अधिकारी बन सकते हैं?
जी हां, बहुत संभावना है। उनका अनुभव, बुद्धिमत्ता और टीम के भीतर अपना नेतृत्व उन्हें एक बेहतरीन कोच या टीम बिल्डर बना सकता है। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड को उन्हें अपनी योजनाओं में शामिल करना चाहिए — न कि उन्हें भूलना चाहिए।
10 टिप्पणि
Abhinav Rawat
नवंबर 22, 2025 at 13:45 अपराह्न
क्या आपने कभी सोचा है कि एक खिलाड़ी जब अपने करियर के अंत में आता है, तो वो सिर्फ रन या शतकों के बारे में नहीं सोचता, बल्कि उन 274 मैचों के बारे में सोचता है जिनमें उसकी आंखों में डर था, उन 19 सालों में जब उसे घर पर बैठकर अपने बच्चे को बताना पड़ा कि पापा आज फिर नहीं आएगा, और उन रातों में जब उसने अपने बल्ले को चाँदी की तरह साफ किया था और उसे लगा कि ये बल्ला उसकी आत्मा का हिस्सा है।
मुशफिकुर ने जो किया, वो क्रिकेट नहीं, एक जीवन था। और अब जब वो चले गए, तो हम सबके अंदर एक खालीपन बच गया है - वो खालीपन जो कोई स्टैट्स नहीं भर सकता।
Shashi Singh
नवंबर 24, 2025 at 08:49 पूर्वाह्न
ये सब एक बड़ी चाल है!!! बांग्लादेश बोर्ड ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया है - ये तो राजनीति है! अब तक कोई बयान नहीं? क्या वो जानते हैं कि उनके बिना टीम कैसे चलेगी? ये एक गुप्त षड्यंत्र है! शायद वो उन्हें भारतीय टीम में शामिल करने की योजना बना रहे हैं!!! 😱
मुशफिकुर ने जो किया, वो कोई खिलाड़ी नहीं - वो एक आत्मा थी! और अब वो चले गए… और बोर्ड चुप है!!! 🤫💣
Surbhi Kanda
नवंबर 25, 2025 at 12:35 अपराह्न
मुशफिकुर के संन्यास के बाद बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड की अनुपस्थिति एक गंभीर लीडरशिप फेल्योर है। एक ऐसे व्यक्ति के जिसने टीम के संरचनात्मक ढांचे को डिज़ाइन किया, उसके संन्यास के बाद कोई आधिकारिक रिकॉग्निशन न होना एक ऑर्गनाइजेशनल गैप है।
विकेटकीपिंग और नीचे के ऑर्डर के लिए एक डेवलपमेंट पाथवे का अभाव टीम के लिए सिस्टमिक रिस्क है। इसे तुरंत रेस्टोर किया जाना चाहिए।
Sandhiya Ravi
नवंबर 27, 2025 at 01:36 पूर्वाह्न
मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि जिस तरह मुशफिकुर ने खेला, वो बहुत कम लोग कर पाते हैं। उन्होंने हमेशा टीम के लिए खेला, अपने लिए नहीं।
अगर कोई युवा खिलाड़ी उनके बारे में सोचे तो उसे याद रखना चाहिए - बल्ला नहीं, दिल से खेलना ही असली बात है।
उनका जिस्म अब बाहर नहीं होगा, लेकिन उनकी आत्मा हम सबके अंदर है।
JAYESH KOTADIYA
नवंबर 27, 2025 at 10:19 पूर्वाह्न
भारत ने जो खिलाड़ी बनाए, वो बांग्लादेश के लिए भी बहुत कुछ हैं। अब मुशफिकुर ने छोड़ दिया, तो उनकी जगह कौन लेगा? 😒
ये बांग्लादेशी टीम तो हमेशा बर्बाद होती है - जब भी कोई बड़ा खिलाड़ी जाता है, तो बस चिल्लाने लगते हैं।
मुशफिकुर का जो बल्ला था, उसे अब मैं देखकर रो दूंगा 😭🏏
Narayana Murthy Dasara
नवंबर 27, 2025 at 10:44 पूर्वाह्न
अगर आप मुशफिकुर के बारे में सोचते हैं, तो आपको लगता है कि वो बस एक खिलाड़ी थे - लेकिन वो एक नेता थे।
उन्होंने जब भी टीम के लिए बल्ला उठाया, तो उनके अंदर एक अजीब सी शांति थी - जैसे वो जानते हों कि अगर वो बच गए, तो टीम बच जाएगी।
उनका अंत अच्छा नहीं लगा, लेकिन उनका जीवन बहुत अच्छा रहा। और अगर वो टेस्ट में रहते हैं, तो बांग्लादेश के लिए ये एक बड़ी बरकत है।
Debsmita Santra
नवंबर 28, 2025 at 07:53 पूर्वाह्न
मुशफिकुर के संन्यास के बाद बांग्लादेश क्रिकेट के लिए एक बड़ी चुनौती ये है कि उनकी जगह कोई नहीं ले पाएगा - क्योंकि उनकी उपलब्धियाँ नहीं, उनकी उपस्थिति थी।
उन्होंने युवा खिलाड़ियों को एक ऐसा माहौल दिया जहाँ डर नहीं, बल्कि विश्वास था।
अब जब वो नहीं हैं, तो टीम का अंदरूनी आत्मविश्वास टूट रहा है - और ये एक सिस्टमिक फेलियर है।
बोर्ड को उन्हें एक आदर्श बनाना चाहिए - न कि एक खिलाड़ी के रूप में भूलना चाहिए।
हमें उनके जीवन की कहानी को एक लाइफ लॉन्ग लर्निंग प्रोग्राम में शामिल करना चाहिए - जहाँ युवा खिलाड़ी उनकी शांति, उनकी जिम्मेदारी, उनके चुप्पी को सीखें।
उनका बल्ला अब शेल्फ पर है, लेकिन उनकी शिक्षा अभी भी हमारे साथ है।
Vikash Kumar
नवंबर 30, 2025 at 05:50 पूर्वाह्न
अंतिम बार बल्ला नहीं चला - तो फिर क्या बात है? जाने दो।
Siddharth Gupta
दिसंबर 1, 2025 at 10:20 पूर्वाह्न
मुशफिकुर के संन्यास के बाद जो खालीपन है, वो किसी रन या शतक से नहीं भर सकता।
उन्होंने बांग्लादेश क्रिकेट को एक दिल दिया - अब बस ये देखना है कि कौन उस दिल को दोबारा धड़काएगा।
अगर वो टेस्ट में रहे, तो ये दुनिया के लिए एक बड़ा उपहार होगा - एक ऐसा खिलाड़ी जो बिना शोर के बड़े काम कर जाता है।
अगर बोर्ड उन्हें याद करता है, तो उन्हें कोच बनाएं - न कि भूल दें।
क्योंकि जब एक युग खत्म होता है, तो अगला युग उसकी छाया में जन्म लेता है।
Vasudha Kamra
नवंबर 21, 2025 at 18:13 अपराह्न
मुशफिकुर का संन्यास बस एक खिलाड़ी के जाने का मामला नहीं, बल्कि एक पीढ़ी के अंत की बात है। उन्होंने जो जिम्मेदारी निभाई, वो आज के युवा खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल है। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड को अब इस अनुभव को बरकरार रखना चाहिए, न कि उसे भूल जाना।
हम जिस तरह से रोहित शर्मा और विराट कोहली को याद करते हैं, उसी तरह अब मुशफिकुर को याद करना चाहिए।