लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण के कई हिस्से हटाए गए: हिंदू, पीएम मोदी, आरएसएस पर टिप्पणियां

राहुल गांधी के लोकसभा भाषण के हटाए गए हिस्से

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हाल ही में दिए गए लोकसभा भाषण के कई हिस्सों को रिकॉर्ड से हटाने का फैसला लिया गया है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। बताया जा रहा है कि हटाए गए हिस्सों में हिंदू धर्म, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर की गई टिप्पणियां शामिल थीं। हालांकि, हटाए गए हिस्सों का सटीक विवरण अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

भाजपा और कांग्रेस के बीच तनाव

राहुल गांधी का यह भाषण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीतियों और विचारधारा के खिलाफ एक कड़ा आलोचनात्मक भाषण माना जा रहा था। इससे यह स्पष्ट होता है कि संसद में भाषणों को लेकर किस तरह का तनाव मौजूद है। संसद के इस घटनाक्रम ने राजनीतिक वातावरण को गर्मा दिया है और इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच संबंध कितने तीखे हो चुके हैं।

कौन से बयान हटाए गए?

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में ऐसे कौन से बयान दिए जिन्हें संसद के रिकॉर्ड से हटाना पड़ा। लेकिन यह माना जा रहा है कि उन्होंने अपने भाषण में कुछ संवेदनशील या विवादास्पद बातें कही होंगी जिन्हें हटाना जरूरी समझा गया।

राजनीतिक बहस की शुरुआत

इस घटनाक्रम के बाद इस बात की प्रबल संभावना है कि राष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस की शुरुआत हो सकती है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार है और इस बात की पूरी संभावना है कि आगामी दिनों में संसद और राजनीतिक मंचों पर इस मामले को जोर-शोर से उठाया जाएगा।

लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

इस पूरी घटना ने एक बार फिर से हमारे देश के लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या संसद में दिए गए भाषणों को अधूरा या संपादित करना सही है? यह मुद्दा न केवल संसद के सदस्यों बल्कि देश भर के नागरिकों के लिए भी चिंताजनक है।

आगे की राह

जैसा कि हमारे देश में अक्सर होता है, इस मामले में भी राजनीति के मिजाज का असर सीधे जनता पर पड़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार इस मामले में दोनों पार्टियों की रणनीति क्या रहती है और जनता किसके साथ खड़ी होती है। साथ ही, यह भी देखा जाना चाहिए कि क्या संसद में भाषणों की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

निष्कर्ष

राहुल गांधी के भाषण के हिस्सों को रिकॉर्ड से हटाने का फैसला निस्संदेह एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है। यह हमारे देश के राजनीतिक परिदृश्य में आने वाले दिनों में बड़े विवादों का सबब बन सकता है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय राजनीति में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मानकों को बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण है।

19 टिप्पणि

Dinesh Kumar
Dinesh Kumar

जुलाई 3, 2024 at 20:05 अपराह्न

ये सब बकवास देखकर लगता है कि संसद अब कोई विचारों का मंच नहीं, बल्कि एक चुप्पी का अभियान है! जो कुछ भी नहीं बोलना चाहते, वो बयान हटा देते हैं। लोकतंत्र का ये हाल है? 😡

Sanjay Gandhi
Sanjay Gandhi

जुलाई 5, 2024 at 15:38 अपराह्न

अरे भाई... राहुल गांधी ने जो कुछ कहा उसे हटाने का मतलब ये नहीं कि वो गलत था... बल्कि वो इतना सच था कि उसे दबा दिया गया। जैसे आजकल के टीवी पर भी जो बात असली होती है, उसे ब्लैकआउट कर देते हैं। अब तो इतिहास भी रिवाइज हो रहा है।

Srujana Oruganti
Srujana Oruganti

जुलाई 6, 2024 at 09:16 पूर्वाह्न

फिर से ये सारा नाटक? किसी को फर्क नहीं पड़ता। मैं तो अपना चाय पीकर बैठ जाती हूँ।

fatima mohsen
fatima mohsen

जुलाई 6, 2024 at 22:05 अपराह्न

अगर राहुल गांधी ने हिंदू धर्म की बात की तो वो अपराध है? 🤦‍♀️ आरएसएस को नाम लेना गुनाह है? ये लोग तो अपने दुश्मन को नहीं, अपने इतिहास को भूलना चाहते हैं। भारत का असली दुश्मन वो है जो सच को दबाता है। #HinduHate

Pranav s
Pranav s

जुलाई 7, 2024 at 17:11 अपराह्न

yrr ye sab kya hota hai... koi bolta hai toh uski baat delete kar dete hai... kya ye democracy hai ya censorship?

Ali Zeeshan Javed
Ali Zeeshan Javed

जुलाई 8, 2024 at 01:49 पूर्वाह्न

सबके लिए एक बात - अगर हम अपने विचारों को बोलने से डरते हैं, तो हमारा लोकतंत्र किस लिए है? राहुल गांधी ने जो कहा, वो एक नागरिक का हक है। उसे छीनना नहीं, सुनना चाहिए था। हम सब एक देश में रहते हैं - अलग-अलग विचारों के साथ।

Žééshañ Khan
Žééshañ Khan

जुलाई 9, 2024 at 15:23 अपराह्न

संसद के रिकॉर्ड में अनुचित वाक्यांशों को हटाना एक संवैधानिक आवश्यकता है। भाषणों की अनुशासन की रक्षा के लिए यह आवश्यक है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ अनियंत्रित अपमान नहीं है।

ritesh srivastav
ritesh srivastav

जुलाई 10, 2024 at 08:23 पूर्वाह्न

हटाया गया? अच्छा तो ये बातें जो बाहर आ गईं, वो क्या थीं? शायद वो बातें थीं जो आरएसएस के बारे में बोल रही थीं। अब तो बोलने के बाद भी बोलने का अधिकार नहीं है। ये देश अब एक लिपिक का देश बन गया है।

sumit dhamija
sumit dhamija

जुलाई 10, 2024 at 21:23 अपराह्न

मैं इस बात से सहमत हूँ कि संसद में भाषणों का रिकॉर्ड संपादित होना एक खतरनाक प्रथा है। लेकिन इसके लिए जिम्मेदारी एक पार्टी की नहीं, बल्कि संसद की संस्थागत संरचना की है। इसे सुधारने की जरूरत है।

Aditya Ingale
Aditya Ingale

जुलाई 11, 2024 at 07:37 पूर्वाह्न

दोस्तों... ये सब तो बस एक नाटक है। जैसे कोई अपने बच्चे को गुस्से में बोलते देख ले और फिर उसकी बात को रिकॉर्ड से मिटा दे। असली बात ये है - क्या वो बात सच थी? या बस बोलने का डर था? 😅

Aarya Editz
Aarya Editz

जुलाई 12, 2024 at 22:23 अपराह्न

इतिहास वही बनता है जिसे लिखा जाता है। अगर भाषण हटाए जा रहे हैं, तो आने वाली पीढ़ियाँ क्या जानेंगी? यह सवाल अब तक के सभी विवादों से अधिक गहरा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब बोलना है - न कि चुप रहना।

Prathamesh Potnis
Prathamesh Potnis

जुलाई 13, 2024 at 09:52 पूर्वाह्न

हमें यह याद रखना चाहिए कि संसद एक विवाद का मंच है। जिन बातों को छिपाया जा रहा है, वे बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। लोकतंत्र का मूल आधार खुलापन है।

Sita De savona
Sita De savona

जुलाई 14, 2024 at 00:13 पूर्वाह्न

हटाया गया? तो फिर जो बातें बाहर आईं वो क्या थीं? शायद राहुल ने कहा - 'मोदी जी ने अपने घर का बारिश में छत ठीक नहीं कराई' 😂 अरे भाई, ये तो अभी तक राजनीति की बात है या शायद फिल्म स्क्रिप्ट?

Rahul Kumar
Rahul Kumar

जुलाई 15, 2024 at 13:55 अपराह्न

मैं राहुल गांधी के बारे में नहीं बोल रहा... मैं बोल रहा हूँ कि क्या हमारे देश में अब बात करना गुनाह है? अगर हाँ, तो हम क्या बचा हैं?

Shreya Prasad
Shreya Prasad

जुलाई 16, 2024 at 10:01 पूर्वाह्न

संसद के भाषणों के रिकॉर्ड को संपादित करना लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है। इसके लिए एक स्वतंत्र समिति की आवश्यकता है जो इस तरह के निर्णयों की समीक्षा करे।

GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante

जुलाई 16, 2024 at 10:25 पूर्वाह्न

यह बात तो बहुत पुरानी है। जब भी कोई बड़ा बयान देता है, तो उसे रोकने की कोशिश होती है। यह देश तो हमेशा से ऐसा ही है। अब तो यह नॉर्मल हो गया है।

Nithya ramani
Nithya ramani

जुलाई 17, 2024 at 08:29 पूर्वाह्न

हमें अपने देश के लिए उम्मीद रखनी चाहिए। जब तक लोग बोलेंगे, तब तक लोकतंत्र जिंदा रहेगा। इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लें।

anil kumar
anil kumar

जुलाई 18, 2024 at 14:09 अपराह्न

एक संस्कृति तब जीवित रहती है जब वह अपने अतीत को देखती है - न कि उसे मिटाती है। राहुल गांधी के बयानों को हटाने का मतलब है - हम अपने इतिहास को नहीं देखना चाहते। ये खतरनाक है।

shubham jain
shubham jain

जुलाई 20, 2024 at 12:30 अपराह्न

रिकॉर्ड में अनुचित वाक्यांश हटाए जाते हैं। यह नियम है। कोई विवाद नहीं।

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