
आंदोलन की पृष्ठभूमि और कारण
पिछले बुधवार लेह में हजारों लोगों ने सड़कों पर जाकर लद्दाख को राज्य दर्जा दिलाने की मांग की। कई लोग कहना चाहते थे कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग किए जाने के बाद उनका क्षेत्र पूरी तरह से संघीय शासन में चला गया, जिससे स्थानीय अधिकारों में गिरावट आई। सोनम वांगचक, जो स्थानीय युवा अँजेलियों में लोकप्रिय हैं, ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर लाने का प्रयास किया। उन लोगों का कहना है कि लद्दाख को विशेष संविधानिक प्रावधान चाहिए, ताकि जनसंपर्क, भूमि‑कृषि नीतियों और जनप्रतिनिधियों का चुनाव स्थानीय स्तर पर हो सके।
इन मांगों को लेकर कई महाद्वीपीय शक्ति‑संबंधों का असर भी है। लद्दाख भारत‑पाकिस्तान‑चीन के केन्द्रीय बिंदु पर स्थित है, इसलिए इसके राजनीतिक बदलाव का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्व है। इस कारण सरकार ने पहले से ही इस क्षेत्र में सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ किया था, पर प्रदर्शन की तीव्रता ने स्थिति को और जटिल बना दिया।

हिंसा का स्वरूप और फौज का जवाब
समारोह के दौरान कुछ लोगों ने पुलिस को पत्थर और ईंटें फेंके। कुछ समूह ने पुलिस व पैरामिलिट्री के वाहनों को आग लगा दी और भाजपा के स्थानीय कार्यालय को जलाकर राख कर दिया। यहीं से स्थिति तेजी से बिगड़ी। सुरक्षा बलों ने बिंदु तोड़ने के लिए बियरिंग, चिल्लाते गैस और रोड़े का उपयोग किया, जिससे चार लोगों की मौत और कई लोगों को गंभीर चोटें आईं।
घटना के बाद 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। स्थानीय प्रशासन ने तुरंत लेह और कर्गिल दोनो जिलों में लेह में कर्फ्यू लागू कर दिया, ताकि आगे का अराजकता रोका जा सके। पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया गया, और हजारों पुलिस एवं पैरामिलिट्री सैनिकों को सड़कों पर तैनात किया गया। इस कारण अधिकांश दुकानें और बाज़ार बंद रहे, और लोग अपने घरों में ही रहे।
सरकार ने निवासियों से अपील की है कि वे बड़ी भीड़‑भाड़ वाले कार्यक्रमों से बचें और बाहर निकलते समय मास्क व सामाजिक दूरी का पालन करें। पुलिस ने बताया कि यह प्रतिबंध अगले दो से तीन दिनों तक जारी रहेगा, जब तक कि स्थिति पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं हो जाता।
इस बीच, आंदोलन के नेतृत्त्व में रहे सोनम वांगचक ने कहा है कि कर्फ्यू और प्रतिबंध अस्थायी कदम हैं, लेकिन उनका मुख्य लक्ष्य लद्दाख को राज्य दर्जा दिलाना है। उन्होंने स्थानीय युवाओं को आगे भी शांतिपूर्ण तरिके से अपना संदेश देने का आह्वान किया, जबकि सरकार के साथ संवाद की भी मांग की।
लेह में हुई इस तीव्र हिंसा ने पूरे देश में एक नया प्रश्न उठाया है—कौन से क्षेत्र में स्वायत्तता की मांग को इतनी गंभीरता से लेना चाहिए और किस हद तक सुरक्षा बलों को प्रतिक्रिया देनी चाहिए। इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अलग‑अलग राय दी है, पर अधिकांश का मानना है कि केंद्र को लद्दाख के विकास एवं सुरक्षा दोनों को संतुलित करना होगा।