जिमी एंडरसन का 21 साल लंबा क्रिकेट करियर
जिमी एंडरसन का नाम जब भी क्रिकेट के महान तेज गेंदबाजों की बात होगी, तो सबसे ऊपर लिया जाएगा। अपने खेल के 21 सालों में उन्होंने 188 टेस्ट मैच खेलकर 704 विकेट लिए, जो किसी भी तेज गेंदबाज द्वारा टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक है। एंडरसन ने अपने अद्वितीय गेंदबाजी कौशल से दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीता।
ये सफर 41 साल की उम्र में आकर खत्म हुआ जब उन्होंने अपने आखिरी मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन विकेट चटकाए। Lord's के ऐतिहासिक मैदान पर इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को पारी और 114 रनों से हराया। इस मैच के दौरान, दोनों टीमों ने एंडरसन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया और मैदान से बाहर जाते समय दर्शकों ने जोरदार तालियों की गूंज के साथ उनका स्वागत किया।
सचिन तेंदुलकर द्वारा श्रद्धांजलि
महान भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने सोशल मीडिया पर एंडरसन को श्रद्धांजलि देते हुए उनके शानदार कॅरियर की सराहना की। सचिन ने एंडरसन के गेंदबाजी एक्शन, स्पीड, सटीकता, स्विंग, और फिटनेस की प्रशंसा की। ये सब विशेषताएँ उन्हें अन्य गेंदबाजों से अलग बनाती थीं।
एंडरसन का क्लब दौरा: मसालेदार गेंदबाजी से लेकर शानदार फिटनेस
एंडरसन का पूरा करियर उनकी गेंदबाजी कौशल और फिटनेस के लिए जाना जाएगा। उन्होंने अपनी उम्र के साथ ढलते हुए भी अपनी परफॉर्मेंस में कभी गिरावट नहीं आने दी। खासकर इंग्लैंड की धरती पर उन्होंने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया। सिर्फ Lord's के मैदान पर ही उन्होंने 28 टेस्ट मैचों में 119 विकेट लिए।
2015 विश्व कप के बाद एंडरसन ने एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया और अपने ध्यान को पूरी तरह से टेस्ट क्रिकेट पर केंद्रित कर दिया। यह उनकी जीवनी का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसमें उन्होंने अपने कौशल को और निखारा और एक अद्वितीय गेंदबाज के रूप में खुद को सिद्ध किया।
भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
एंडरसन की कड़ी मेहनत और क्रिकेट के प्रति समर्पण ने उन्हें युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा बना दिया है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि कैसे मेहनत और अनुशासन के माध्यम से हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। उनकी विदाई के बावजूद, उनका योगदान क्रिकेट जगत में हमेशा याद रखा जाएगा।
अंततः, जिमी एंडरसन का क्रिकेट करियर एक महान यात्रा रही, जो विज्ञान और कला का मेल है। उन्होंने अपनी योग्यता और समर्पण से अपने नाम को क्रिकेट इतिहास में अमर कर दिया है। उनकी विदाई क्रिकेट प्रेमियों और खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा क्षति है, लेकिन उनके उल्लेखनीय उपलब्धियों की वजह से उनकी धरोहर हमेशा जीवित रहेगी।
17 टिप्पणि
ritesh srivastav
जुलाई 15, 2024 at 06:31 पूर्वाह्न
ये सब बकवास है। टेस्ट क्रिकेट में विकेट लेना बहुत कुछ नहीं है। भारत के गेंदबाज जो गर्मी में 60 ओवर फेंकते हैं उनकी क्या बात है? एंडरसन तो बस घर के आसपास घूम रहा था।
sumit dhamija
जुलाई 17, 2024 at 05:40 पूर्वाह्न
एंडरसन के करियर को देखकर एहसास होता है कि सफलता का राज बस एक ही है - लगातार बेहतर बनने की लगन। उन्होंने आयु, चोटें, और दबाव के बावजूद अपनी गेंदबाजी को अपडेट किया। यही तो असली लीडरशिप है।
Sita De savona
जुलाई 19, 2024 at 01:53 पूर्वाह्न
कितनी बार तो बोले गए ये वाक्य - ‘महान गेंदबाज’ - पर कभी याद नहीं रखा कि उन्होंने अपने आप को बर्बाद करने के बजाय बचाया। ये जिमी एंडरसन नहीं तो कौन? बस एक आदमी जिसने खुद को बनाया।
Rahul Kumar
जुलाई 19, 2024 at 23:20 अपराह्न
लॉर्ड्स पर 119 विकेट? वाह बाप रे। मैंने तो उस मैच का वीडियो देखा था जब वो बाएं हाथ से बाउंसर फेंका था और बल्लेबाज उसे देखकर हैरान रह गया। असली जादू है ये।
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
जुलाई 20, 2024 at 13:13 अपराह्न
मुझे लगता है कि एंडरसन के जैसा कोई गेंदबाज आज के टेस्ट क्रिकेट में नहीं आएगा। आज के खिलाड़ी बस रन बनाने और विकेट लेने पर फोकस करते हैं। उन्होंने तो गेंद को जीवित कर दिया।
shubham jain
जुलाई 20, 2024 at 17:57 अपराह्न
704 टेस्ट विकेट। दुनिया के सबसे अधिक। दूसरे स्थान पर शाहिद अफरीदी के 437। आंकड़े बात करते हैं।
shivam sharma
जुलाई 22, 2024 at 11:46 पूर्वाह्न
भारत के खिलाफ भी उन्होंने कई बार जीत दिलाई थी। अब तो सब उनकी तारीफ कर रहे हैं। पर जब वो खेल रहे थे तो किसी ने क्या कहा था? बस बेवकूफ लोगों की तरह गालियां देते थे।
Prathamesh Potnis
जुलाई 24, 2024 at 02:43 पूर्वाह्न
एंडरसन के करियर से हमें यह सीख मिलती है कि अपने व्यक्तित्व को बनाए रखना और अपने लक्ष्य के प्रति लगन रखना ही सच्ची सफलता है। उनकी निष्ठा और शांति ने दुनिया को एक नए तरीके से खेल को देखना सिखाया।
Aarya Editz
जुलाई 24, 2024 at 13:08 अपराह्न
क्या आपने कभी सोचा है कि एंडरसन ने अपनी गेंदबाजी में विज्ञान को कैसे जोड़ा? उन्होंने हर ओवर को एक गणितीय समीकरण की तरह बनाया - वेग, घूर्णन, हवा, धरती का वक्र। उनकी गेंद बस गिरी नहीं, वो चली आई।
उनका अंत एक शानदार उपन्यास का अंत है। नहीं, यह एक कविता है - जिसमें शब्द नहीं, बल्कि गेंद की गति और बल्लेबाज की असमर्थता भाषा है।
हम जो देखते हैं, वो एक खिलाड़ी नहीं, एक दार्शनिक है जिसने गेंद को अपना शास्त्र बना लिया।
उनकी विदाई एक युग के अंत की घोषणा है। अब दुनिया उनके बिना एक थोड़ा अधूरी हो गई है।
हम उन्हें नहीं भूलेंगे। क्योंकि जब भी कोई बच्चा लॉर्ड्स के मैदान पर गेंद फेंकेगा, तो उसके दिल में एंडरसन की आवाज़ होगी - अभी भी गेंद चल रही है।
Nithya ramani
जुलाई 26, 2024 at 08:04 पूर्वाह्न
एंडरसन ने सिर्फ गेंदबाजी नहीं की, उन्होंने हर बच्चे के दिल में एक ख्वाब जगाया। अगर आपको लगता है कि ये बस एक खिलाड़ी है, तो आप गलत हैं। वो एक जीवन दर्शन हैं।
Dinesh Kumar
जुलाई 27, 2024 at 13:30 अपराह्न
वाह! एंडरसन ने तो गेंद को इतना बोलाया कि बल्लेबाज खुद ही अपना विकेट दे देते थे! उनकी स्विंग तो ऐसी थी जैसे देवता ने आकाश से गेंद फेंक दी हो! उनके बाद कोई नहीं आएगा! अमर हैं वो!
Shreya Prasad
जुलाई 28, 2024 at 10:04 पूर्वाह्न
एंडरसन के करियर की गहराई उनकी निरंतरता में छिपी है। उन्होंने अपने आप को एक बार भी आलस में नहीं डाला। यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
Sanjay Gandhi
जुलाई 30, 2024 at 08:17 पूर्वाह्न
क्या आपने कभी सोचा कि एंडरसन ने अपनी फिटनेस को कैसे बनाए रखा? उन्होंने तो बचपन से ही अपने शरीर को एक मंदिर की तरह पूजा। उनकी दिनचर्या, आहार, नींद - सब एक विज्ञान था।
हम तो सिर्फ उनकी गेंदबाजी को देखते हैं, पर उनकी अंदरूनी लड़ाई को नहीं।
Srujana Oruganti
जुलाई 31, 2024 at 22:30 अपराह्न
फिर भी उनकी गेंदबाजी में कुछ खास नहीं था। बस लोगों ने बहुत ज्यादा तारीफ कर दी।
anil kumar
अगस्त 2, 2024 at 09:37 पूर्वाह्न
एंडरसन की गेंदबाजी एक राग है। जैसे राग भैरवी में शुद्ध ध्वनि का खेल होता है, वैसे ही उनकी गेंद भी एक संगीत बनाती थी। बल्लेबाज नहीं, ध्वनि के लिए भटक जाते थे।
हर विकेट एक स्वर था। हर ओवर एक ताल थी। और जब वो अपना आखिरी विकेट लेकर चले गए - तो संगीत रुक गया।
fatima mohsen
अगस्त 2, 2024 at 22:20 अपराह्न
क्या ये सच है कि भारतीय खिलाड़ी इतने नीचे हैं कि एक अंग्रेज की तारीफ कर रहे हैं? अपने खिलाड़ियों को देखो, उनकी तरह गेंदबाजी नहीं कर पा रहे।
Aditya Ingale
जुलाई 14, 2024 at 21:18 अपराह्न
जिमी एंडरसन ने तो बस गेंदबाजी नहीं की, उसने तो धरती को भी झुका दिया। लॉर्ड्स पर उनकी स्विंग देखकर तो लगता था जैसे बादल भी रुक गए हों। उनकी फिटनेस ने तो युवा खिलाड़ियों को एक नया मानक दे दिया। उनके बिना इंग्लैंड का क्रिकेट अधूरा है।
मैंने उनका आखिरी मैच लाइव देखा था। जब वो मैदान से निकले तो मेरी आँखें भर आईं। ऐसा लगा जैसे कोई देवता अपना घर छोड़ रहा हो।