इंजीनियर राशिद ने जेल से बाहर आकर की 'मोदी के नया कश्मीर' के खिलाफ लड़ाई की कसम, J&K विधानसभा चुनाव से पहले बढ़ी राजनीति

शेख अब्दुल राशिद, जिन्हें इंजीनियर राशिद के नाम से भी जाना जाता है, को दिल्ली की एक अदालत द्वारा 11 सितंबर 2024 को तिहाड़ जेल से अंतरिम जमानत दी गई। उनकी जमानत 2 अक्टूबर तक के लिए है, जो उन्हें अपनी राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखने का मौका देती है। राशिद 2019 से जेल में थे, जब उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा 2017 के आतंकवादी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने उन्हें 2 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतने ही मूल्य के जमानतदार के साथ रिहा किया। इसके साथ ही, अदालत ने शर्त रखी की वो इस मामले के बारे में मीडिया से बातचीत नहीं कर सकते। तिहाड़ जेल से बाहर आते ही इंजीनियर राशिद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'नया कश्मीर' के खिलाफ लड़ाई की कसम खाई। उन्होंने कहा कि वे अपनी जनता के प्रति प्रतिबद्ध हैं और 5 अगस्त, 2019 को मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की कड़ा आलोचना की।

राशिद की पार्टी, अवामी इत्तिहाद पार्टी (AIP), आने वाले जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों में भाग लेगी। यह चुनाव तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर, और 1 अक्टूबर को होंगे, और नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। ये चुनाव जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद के पहले स्थानीय चुनाव होंगे।

जेल से बाहर आने के बाद राशिद ने कहा कि केंद्र सरकार का 'नया कश्मीर' का नरेटिव पूरी तरह से विफल हो गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी जनता की सेवा करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ने का अवसर मिल गया है। राशिद के अनुसार, मोदी सरकार के तहत कश्मीर के लोगों को केवल तकलीफ और असुरक्षा का सामना करना पड़ा है।

राशिद, जो बारामुला से लोकसभा सांसद हैं, ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराया था। अब उन्हें उम्मीद है कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। राशिद का मानना ​​है कि उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर की जनता के सच्चे मुद्दों को उठाएगी और उनके अधिकारों के लिए लड़ेगी।

इंजीनियर राशिद के राजनीतिक सफर

इंजीनियर राशिद का राजनीतिक सफर बहुत ही महत्वपूर्ण और घटनाओं से भरा हुआ है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छोटे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में की थी। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी पहचान बनायी और बारामुला क्षेत्र में लोकसभा चुनाव जीता। उनकी पार्टी अवामी इत्तिहाद पार्टी (AIP) ने स्थानीय मुद्दों को उठाकर एवं कश्मीर के लोगों की आवाज़ बनकर अपनी जगह बनायी।

राशिद का राजनीतिक जीवन हमेशा से ही चुनौतियों से भरा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों का लगातार विरोध किया है। 2019 में गिरफ्तारी के बाद से वे लगातार न्याय के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने जोर देकर कहा है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और यह उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।

आगे की राह

उनकी अंतरिम जमानत के बाद, इंजीनियर राशिद को अब आने वाले विधानसभा चुनाव में भाग लेने का मौका मिलेगा। यह चुनाव जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकते हैं। तीन चरणों में होने वाले इन चुनावों के नतीजे कई राजनीतिक पार्टियों के लिए निर्णायक हो सकते हैं।

राशिद की राजनीतिक गतिविधियाँ और उनके बयानों से यह स्पष्ट है कि वे पीएम मोदी और उनकी पार्टी भाजपा के खिलाफ आक्रमक प्रचार करने का मन बना चुके हैं। वे मोदी सरकार की नीतियों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं और उन्हें सरकार की कथित गलतियों के बारे में बता रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता उनके इन प्रयासों को कितना समर्थन देती है।

आर्टिकल 370 और नया कश्मीर

मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला लिया था। यह फैसला जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था। आर्टिकल 370 के हटाने के बाद केंद्र सरकार ने 'नया कश्मीर' का नरेटिव प्रस्तुत किया। सरकार का दावा था कि इससे जम्मू कश्मीर का विकास होगा और वहां के लोगों को मुख्यधारा में शामिल किया जाएगा।

लेकिन इंजीनियर राशिद और उनकी पार्टी का मानना है कि इस फैसले से जम्मू कश्मीर के लोगों को नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि इस फैसले ने वहां की जनता में असुरक्षा की भावना को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि 'नया कश्मीर' का नरेटिव पूरी तरह से विफल हो गया है और वहां के लोगों को अब भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

जम्मू कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण होगा। राशिद और उनकी पार्टी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की तैयारी कर रहे हैं। यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का रुझान किस ओर होता है और वे किसे अपना नेता चुनते हैं।

जनता की उम्मीदें और भूमिका

जम्मू कश्मीर की जनता की उम्मीदें इन चुनावों से बहुत अधिक हैं। आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद यह पहला मौका है जब वहां के लोग अपने नेताओं को चुनेंगे। जनता को अब नए नेताओं से बहुत सी उम्मीदें हैं। उन्हें उम्मीद है कि नए नेता उनकी समस्याओं को सुलझाएंगे और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे।

यह चुनाव जम्मू कश्मीर के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। यह चुनाव वहां की जनता की राय को साफ तौर पर प्रस्तुत करेंगे और देश के अन्य हिस्सों में भी इसका असर हो सकता है। जनता इस बार अपने अधिकारों के प्रति अधिक संवेदनशील है और वे अपने नेतृत्व का चयन बहुत सोच-समझकर करेंगे।

राशिद और उनकी पार्टी की स्थिति इस चुनाव में महत्वपूर्ण हो सकती है। उनके बयानों और उनके संघर्ष के कारण वे जनता के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं या नहीं।

जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव

जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव

जम्मू कश्मीर का राजनीतिक परिदृश्य हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद यह और भी जटिल हो गया है। केंद्र सरकार की नीतियों ने वहां की राजनीति को बहुत प्रभावित किया है। इस बार के विधानसभा चुनाव इस दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं।

इंजीनियर राशिद की रिहाई और उनके बयानों ने निर्वाचन क्षेत्र में एक नई राजनीति की शुरुआत की है। वे एक आक्रमक प्रचार कर रहे हैं और पीएम मोदी की नीतियों की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता उनके इन प्रयासों को कितना समर्थन देती है और वे कितनी सीटें जीत पाते हैं।

कुल मिलाकर, इंजीनियर राशिद की रिहाई और उनके बयानों ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ ला दिया है। इस चुनाव में केंद्र सरकार और उनके विरोधी दल के बीच एक कड़ी लड़ाई देखने को मिल सकती है। जनता की राय और उनका समर्थन इस चुनाव के परिणामों को बहुत हद तक प्रभावित करेगा। यह समय जम्मू कश्मीर के राजनीतिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण समय होगा।

एक टिप्पणी लिखें

तेज़ी से टिप्पणी करना