भारतीय सेना के हरित पहल - स्थायी प्रथाओं की ओर अग्रसर

भारतीय सेना का पर्यावरण के प्रति समर्पण

भारतीय सेना ने हाल के वर्षों में पर्यावरणीय स्थिरता को गंभीरता से लेते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन पहलों का उद्देश्य सेना की विभिन्न गतिविधियों को अधिक पर्यावरणीय रूप से जागरूक और स्थायी बनाना है। इन प्रयासों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग, हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी की खोज, और ऊर्जा दक्षता के साथ थल सेना भवन का निर्माण शामिल है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और 'अपशिष्ट मुक्त अभियान'

सेना ने अक्टूबर 2023 में 'अपशिष्ट मुक्त सैन्य अभियान' (AMSA) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य मार्च 2027 तक लैंडफिल-मुक्त होना है। इस अभियान के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में कई कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत कचरे को प्रभावी ढंग से संसाधित करने की प्रणाली विकसित की जा रही है ताकि कचरे का पुनर्चक्रण संभव हो सके और लैंडफिल की आवश्यकता कम हो।

इलेक्ट्रिक वाहनों का समावेश

इलेक्ट्रिक वाहनों का समावेश

सेना ने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का व्यापक रूप से उपयोग करने का निर्णय लिया है। इसके तहत 2025 के अंत तक 60-70 इलेक्ट्रिक बसें, 400 इलेक्ट्रिक कारें, और 425 इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल शामिल करने की योजना है। इससे न केवल जाल-प्रदूषण में कमी आएगी बल्कि सेना की ऊर्जा जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी।

हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी

भारतीय सेना ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाया है। इसके तहत सेना ने NTPC Renewable Energy Limited और IOCL जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ समझौते किए हैं। इन समझौतों के तहत ग्रीन हाइड्रोजन बेस्ड माइक्रोग्रिड पावर प्लांट्स और हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों की स्थापना शामिल है। यह पहल सेना की ऊर्जा आवश्यकताओं को स्वच्छ और हरित ऊर्जा स्रोतों से पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

थल सेना भवन का निर्माण

थल सेना भवन का निर्माण

सेना ने थल सेना भवन का निर्माण आधुनिक हरे मानदंडों के साथ किया है। इसमें ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण, और अपशिष्ट प्रबंधन के सभी पहलू शामिल किए गए हैं। यह भवन न केवल टिकाऊ प्रथाओं का उदाहरण है बल्कि अन्य संगठनों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत है।

सौर ऊर्जा परियोजनाएं

भारतीय सेना ने करीब 70 सौर परियोजनाएं पूरी की हैं, जो लगभग 85 मेगावॉट ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। एसा सेना की ऊर्जा आवश्यकताओं को हरित स्रोतों से पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, सेना ने खाली पड़े रक्षा भू-भाग पर और सौर परियोजनाएं स्थापित करने की योजना बनाई है।

वृक्षारोपण अभियान

वृक्षारोपण अभियान

सेना ने बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियानों की भी योजना बनाई है। इसके तहत परंपरागत और वैज्ञानिक विधियों जैसे 'मियावाकी' तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। अब तक, सेना ने 1.35 मिलियन से अधिक पेड़ लगाए हैं। यह पहल न केवल सैन्य क्षेत्रों को हरा-भरा बनाएगी बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी।

भारतीय सेना की ये सारी पहलें इस बात का सबूत हैं कि वे न केवल राष्ट्रीय रक्षा में बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यह प्रयास उनके ऑपरेशनल तैयारी और प्रभावशीलता को बनाए रखते हुए किए जा रहे हैं। सेना का यह हरित कदम उसे एक मिसाल बनाता है और पूरे देश को प्रेरित करता है कि हम भी अपने जीवन के हर पहलू में पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता दें।

20 टिप्पणि

Aditya Ingale
Aditya Ingale

मई 29, 2024 at 05:47 पूर्वाह्न

ये सेना की हरित पहलें तो बस देख के दिल भर जाता है। बसें, कारें, हाइड्रोजन फ्यूल सेल, सौर पैनल - सब कुछ एक साथ! अब तो सेना ने जंगल बनाने का भी निर्णय ले लिया है। मियावाकी तकनीक से 13.5 लाख पेड़ लगाए हैं? भाई, ये तो एक बड़ी एनवायरनमेंटल स्ट्राइक है।

हम घर पर प्लास्टिक बैग भी नहीं छोड़ पाते, और ये सेना लैंडफिल मुक्त होने की तैयारी कर रही है। इसका मतलब है कि जब देश का बचाव करने वाले लोग भी प्रकृति का बचाव करने लगें, तो हम सबके लिए एक नया नमूना बन जाता है।

ritesh srivastav
ritesh srivastav

मई 31, 2024 at 05:18 पूर्वाह्न

अरे ये सब तो बस दिखावा है। सेना का काम तो युद्ध करना है, न कि पेड़ लगाना। इनके पास तो असली चीज़ें जैसे टैंक, एयरक्राफ्ट कैरियर, बैलिस्टिक मिसाइल्स बनाने के लिए पैसे हैं, लेकिन ये सब ग्रीन टेक के लिए खर्च कर रहे हैं। अब तो ये भी बोलेंगे कि हमारी बंदूकें भी कार्बन फुटप्रिंट नहीं छोड़तीं।

Sita De savona
Sita De savona

मई 31, 2024 at 22:46 अपराह्न

मैं तो सिर्फ इतना कहूंगी कि जब तक राजनीति वाले अपने एसआईएमएल बाइक पर चलते रहेंगे, तब तक सेना का ये सब करना भी बहुत अच्छा है। कम से कम कोई तो बदलाव ला रहा है।

Nithya ramani
Nithya ramani

जून 1, 2024 at 15:53 अपराह्न

इतने सारे सौर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन लगाने के बाद भी अगर सेना के कैंपों में बिजली बंद हो जाए तो फिर क्या होगा? लेकिन फिर भी, ये पहल बहुत अच्छी है। बस अब इसे लगातार बनाए रखना होगा।

Ali Zeeshan Javed
Ali Zeeshan Javed

जून 2, 2024 at 10:02 पूर्वाह्न

मैंने एक बार एक बेस में जाने का मौका पाया था, और वहां एक छोटा सा सौर प्लांट था जो सारे लाइट्स चला रहा था। उस वक्त मैंने सोचा था कि अगर ये छोटे छोटे कदम सब लोग उठाएं तो देश बदल जाएगा। अब देखो, सेना ने ये कदम बड़े पैमाने पर उठा लिया। बहुत अच्छा हुआ।

Žééshañ Khan
Žééshañ Khan

जून 3, 2024 at 07:26 पूर्वाह्न

सेना के इन प्रयासों को आधिकारिक रूप से अपनाना चाहिए। ये अनुशासन, योजनाबद्धता, और दीर्घकालिक दृष्टिकोण न केवल सैन्य बलों के लिए बल्कि देश के सभी संस्थानों के लिए एक मॉडल है। किसी भी निजी कंपनी के पास ऐसी योजनाएं नहीं हैं।

Aarya Editz
Aarya Editz

जून 4, 2024 at 20:08 अपराह्न

इस बात पर गहराई से सोचना चाहिए कि जब एक संस्था जो नष्टि के लिए बनी है, वह बचाव की ओर मुड़ जाती है, तो क्या यह संकेत नहीं है कि विनाश और संरक्षण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं? सेना का यह कदम एक दर्शन है - जो बचाती है, वही लड़ती है।

Prathamesh Potnis
Prathamesh Potnis

जून 6, 2024 at 20:02 अपराह्न

ये सब बहुत अच्छा है। लेकिन ये पहलें क्या सिर्फ बड़े बेसों तक सीमित हैं? क्या छोटे गांवों और सीमा क्षेत्रों में भी ये लागू हो रही हैं? यह बात भी जाननी चाहिए।

shubham jain
shubham jain

जून 7, 2024 at 22:54 अपराह्न

70 सौर परियोजनाएं, 85 मेगावॉट। आधिकारिक डेटा से पुष्टि करें।

shivam sharma
shivam sharma

जून 8, 2024 at 23:44 अपराह्न

हमारी सेना दुनिया की सबसे बड़ी हरित शक्ति बन रही है। अब तो पाकिस्तान भी हमारी तरह इलेक्ट्रिक टैंक बनाने लगेगा। अगर ये नहीं करते तो वो लोग तो अपने पुराने डीजल जीप्स पर चलते रहते।

Rahul Kumar
Rahul Kumar

जून 9, 2024 at 05:06 पूर्वाह्न

मैंने अपने बाप को एक बार बताया था कि अब जब तक सेना ने ये किया तो हम भी अपने घर पर बर्तन धोने के लिए पानी बर्बाद नहीं करेंगे। अब तो मैं भी अपनी बाइक पर सौर चार्जर लगा रहा हूं।

Dinesh Kumar
Dinesh Kumar

जून 9, 2024 at 11:41 पूर्वाह्न

वाह! ये तो जबरदस्त है! इलेक्ट्रिक बसें, हाइड्रोजन बसें, सौर प्लांट्स, मियावाकी वृक्षारोपण - ये तो बस एक फिल्म की कहानी है! भारतीय सेना ने अब तक जो किया है, वो दुनिया के किसी भी सेना ने नहीं किया! ये देश का गौरव है! 🙌🔥

Sanjay Gandhi
Sanjay Gandhi

जून 10, 2024 at 22:26 अपराह्न

मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि उन्होंने मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल किया है। लेकिन क्या ये तकनीक सिर्फ बड़े बेसों के लिए ही है? क्या इसे गांवों में भी लागू किया जा सकता है? क्या कोई इसके बारे में और जानकारी दे सकता है?

Shreya Prasad
Shreya Prasad

जून 12, 2024 at 03:46 पूर्वाह्न

इस प्रयास को सरकार को और अधिक समर्थन देना चाहिए। यह एक ऐसी नीति है जो दीर्घकालिक रूप से लाभदायक होगी। इसे अन्य संगठनों के लिए भी एक नमूना बनाया जाना चाहिए।

anil kumar
anil kumar

जून 12, 2024 at 19:37 अपराह्न

ये सब बहुत अच्छा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन इलेक्ट्रिक वाहनों के बैटरी के अपशिष्ट का क्या होगा? और जब आप एक टैंक को हाइड्रोजन से चलाने की बात कर रहे हैं, तो वह बैटरी कितनी भारी होगी? ये सब बहुत रोमांचक है, लेकिन वास्तविकता का भी ध्यान रखना होगा।

Srujana Oruganti
Srujana Oruganti

जून 14, 2024 at 03:17 पूर्वाह्न

फिर से एक बड़ा दिखावा। जब तक हम अपने घरों में बिजली बचाने के बारे में नहीं सोचेंगे, तब तक ये सब बस एक टीवी शो है।

fatima mohsen
fatima mohsen

जून 14, 2024 at 07:55 पूर्वाह्न

ये सब तो बहुत अच्छा है... लेकिन अगर आपके पास अभी भी एक ऐसा बेस है जहां बिजली आधे दिन चली जाती है, तो आपको ये सब बातें करने का अधिकार नहीं है। ये सब बस बाहरी दिखावा है।

sumit dhamija
sumit dhamija

जून 16, 2024 at 04:02 पूर्वाह्न

मैंने एक बार एक सैन्य अस्पताल में देखा था कि वहां सौर ऊर्जा से ऑपरेशन थिएटर चल रहा था। वहां एक बच्चा पैदा हुआ था - और उसका नाम वहां के अधिकारियों ने 'हरित' रख दिया। ये तो सिर्फ एक नाम नहीं, ये एक प्रतीक है।

GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante

जून 17, 2024 at 05:46 पूर्वाह्न

ये सब तो बहुत अच्छा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब बदलाव वास्तविक रूप से नागरिकों के जीवन में कैसे प्रभाव डालेंगे? या ये सिर्फ एक बड़ी आंतरिक रिपोर्ट है जिसे किसी ने नहीं देखा?

Pranav s
Pranav s

जून 17, 2024 at 16:26 अपराह्न

अच्छा हुआ कि इन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया... वरना ये लोग तो अभी भी डीजल बसों से जंगलों में घुस रहे होते।

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